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बार-बार पसीना क्यों आता है? गर्मी या ब‍िना फ‍िजिकल वर्क के भी आता है बहुत ज्‍यादा पसीना, जानें कारण

पसीने की इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं. अचानक पसीना बढ़ना या रोज-रोज बहुत ज्यादा पसीना आना कई बार किसी गंभीर बीमारी का संकेत होता है.

बार-बार पसीना क्यों आता है? गर्मी या ब‍िना फ‍िजिकल वर्क के भी आता है बहुत ज्‍यादा पसीना, जानें कारण
बार बार पसीना क्‍यों आता है | Bar bar Pasina kyu aata hai

Reasons for excessive sweating: ज्यादा पसीना आना यानी हाइपरहाइड्रोसिस (hyperhidrosis) तब होता है जब पसीने की ग्रंथियां जरूरत से ज्यादा एक्टिव हो जाती हैं. इस हालत में बिना गर्मी या मेहनत के भी पसीना आने लगता है. यह खास तौर पर हाथ, पैरों, बगल, चेहरे या पीठ पर देखा जाता है. कई लोगों में यह टेंडेंसी जन्म से ही होता है और इसे प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस (primary hyperhidrosis) कहा जाता है, जबकि अगर यह किसी बीमारी या दवा की वजह से हो तो इसे सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस (secondary hyperhidrosis) कहा जाता है.

बार बार पसीना क्‍यों आता है, किन वजहों से आता है ज्यादा पसीना (What are the reasons for excessive sweating?)

पसीने की इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं. अचानक पसीना बढ़ना या रोज-रोज बहुत ज्यादा पसीना आना कई बार किसी गंभीर बीमारी का संकेत होता है. डायबिटीज़, थायरॉइड की गड़बड़ी, दिल से जुड़ी समस्या, टीबी जैसे इंफेक्शन, लिम्फोमा (lymphoma) जैसे कैंसर, मेनोपॉज (menopause) या कुछ दवाइयाँ भी इसकी वजह बन सकती हैं.

रात में पसीना आना यानी नाइट स्वेट्स (night sweats) भी चिंता का विषय है, क्योंकि यह आरामदायक माहौल में भी होता है. इसके पीछे हार्मोनल बदलाव, लो ब्लड शुगर, नींद से जुड़ी दिक्कतें, इंफेक्शन या कैंसर जैसी वजहें हो सकती हैं. अगर यह बार-बार होता है तो डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है.

ज्यादा पसीना और उसका असर

ज्यादा पसीना खुद भले ही कोई गंभीर समस्या न हो, लेकिन ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. वैसे भी यह परेशानी सोशल लाइफ और कॉन्फिडेंस पर असर डालती है. इसका इलाज कई तरीकों से किया जाता है.

एंटिपर्सपिरेंट्स (antiperspirants) : यह स्किन पर लगाकर पसीना कम करने में मदद करते हैं. इनमें मौजूद एल्युमिनियम सॉल्ट्स ग्रंथियों को ब्लॉक कर देते हैं जिससे पसीना बाहर नहीं आता.

बोटॉक्स इंजेक्शन (Botox injections) : इन्हें स्किन में इंजेक्ट किया जाता है. यह नसों के सिग्नल्स को रोक देते हैं, जिससे पसीने की ग्रंथियाँ एक्टिव नहीं हो पातीं और उस जगह पर पसीना आना बंद हो जाता है.

आयनटोफोरेसिस (iontophoresis) : इसमें हाथ या पैर पानी से भरे ट्रे में रखे जाते हैं और हल्की बिजली दी जाती है. यह बिजली ग्रंथियों को अस्थायी रूप से रोक देती है, जिससे पसीना कुछ समय के लिए कम हो जाता है.

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ध्यान रखने वाली बातें

  • अगर पसीना ठंडी जगह पर या आराम में भी आता है तो यह प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस (primary hyperhidrosis) हो सकता है.
  • अगर यह किसी बीमारी या दवाई की वजह से हो तो यह सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस (secondary hyperhidrosis) कहलाता है.
  • अगर पसीना दिन-रात सामान्य से ज़्यादा आए, या रात में नींद टूट जाए तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.
  • बार-बार पसीना आना सिर्फ गर्मी का असर नहीं होता, कई बार यह शरीर के अंदर चल रही किसी छुपी हुई दिक्कत का संकेत भी हो सकता है. इसलिए इसे नज़रअंदाज़ करने के बजाय समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना ही सही कदम है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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