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This Article is From Dec 17, 2023

अक्सर होता है सिरदर्द, तो ये नॉर्मल बात नहीं, अगर दिखें ये संकेत तो तुरंत कराएं चेकअप

अचानक शुरू होने वाले गंभीर सिरदर्द का अनुभव करने वाले व्यक्तियों को मेडिकल हेल्प लेने में संकोच नहीं करना चाहिए. सिरदर्द केवल कुछ समय के लिए होने वाली असुविधा नहीं है बल्कि गंभीर समस्याओं का संभावित संकेतक भी है.

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अक्सर होता है सिरदर्द, तो ये नॉर्मल बात नहीं, अगर दिखें ये संकेत तो तुरंत कराएं चेकअप
हालांकि ज्यादातर सिरदर्द सौम्य हो सकते हैं.

सिरदर्द को अक्सर महज सामान्य कहकर खारिज कर दिया जाता है. हालांकि, अनुमान है कि सिरदर्द का अनुभव करने वाले 18 प्रतिशत रोगियों में कुछ गंभीर बीमारिया होती हैं. समय पर जांच और जल्द इलाज के लिए वार्निंग साइन को पहचानना जरूरी है. हालांकि ज्यादातर सिरदर्द सौम्य हो सकते हैं, फिर भी कुछ मामलों में ध्यान देने जरूरी हो जाता है. अचानक शुरू होने वाले गंभीर सिरदर्द का अनुभव करने वाले व्यक्तियों को मेडिकल हेल्प लेने में संकोच नहीं करना चाहिए. सिरदर्द केवल कुछ समय के लिए होने वाली असुविधा नहीं है बल्कि गंभीर समस्याओं का संभावित संकेतक भी है.

बुखार के साथ सिरदर्द एक खतरे का संकेत देता है, जो मेनिनजाइटिस और एन्सेफलाइटिस जैसे इंफेक्शन का संकेत देता है. जब बुखार के साथ-साथ अलर्टनेस कम हो जाती है और गर्दन में अकड़न हो जाती है, तो मेडिकल हेल्प की जरूरत बढ़ जाती है. ये लक्षण सामूहिक रूप से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली इंफेक्शियस प्रोसेस से जुड़ी संभावित रिस्क को रोकने के लिए चेकअप और तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है.

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छींकने, खांसने या व्यायाम करने से होने वाला सिरदर्द और जो हिलाने से बढ़ जाता है, ब्रेन ट्यूमर जैसी कंडिशन का संकेत हो सकता है. इसके ट्रिगर्स को पहचानना जरूरी है.

सिरदर्द को समझने का एक जरूरी पहलू इंटेंसिटी या पैटर्न में हाल के बदलावों को पहचानना है. यह खासतौर से 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए सच है, जहां गंभीर सिरदर्द सेल्युलर आर्टरीज जैसी कंडिशन का संकेत हो सकता है.

जब सिरदर्द की बात आती है तो गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के तुरंत बाद का समय भी मायने रखता है. इस दौरान ब्रेन सेल्स में खून का संभावित थक्का जमना लगातार सिरदर्द को चिंता का विषय बना देता है. इन सिरदर्दों के लिए मां और नवजात शिशु दोनों की वेलबीइंग के लिए असेसमेंट की जरूरत होती है.

हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और भी कई बीमारियों जैसी कई को मॉर्बिडिटी से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए सतर्कता सर्वोपरि हो जाती है. लंबे समय तक दवा का उपयोग, खासतौर से स्टेरॉयड, ब्रेन के फंगल इफेक्शन जैसे रिस्क का खतरा पैदा कर सकता है. संभावित रिस्क का तुरंत पता लगाने और उनका समाधान करने के लिए जागरूकता और एक प्रोएक्टिव अप्रोच की जरूरत होती है.

(लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ) सीएस नारायणन, वीएसएम, प्रमुख, न्यूरोलॉजी विभाग, मणिपाल अस्पताल, द्वारका)

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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