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1 नहीं चार तरह का होता है बॉडी फैट, जानिए कौन सा फैट बॉडी के लिए अच्छा है और किससे होता है नुकसान

Types of Fat: अगर आपकी बॉडी में फैट के टाइप्स का सही बैलेंस नहीं है, तो आपको कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है.

1 नहीं चार तरह का होता है बॉडी फैट, जानिए कौन सा फैट बॉडी के लिए अच्छा है और किससे होता है नुकसान
Types of Fat: जानिए कौन सा बॉडी फैट होता है फायदेमंद.

हमें लगता है कि फैट यानी वसा हमेशा हेल्थ के लिए खराब होता है, क्या आपको पता है कि सर्वाइव करने के लिए हर किसी को शरीर में फैट की जरूरत होती है. ह्यूमन बॉडी (human body) हर दिन एनर्जी प्रोवाइड करने के लिए शरीर के अंदर जो फैट जमा है उस पर निर्भर करती है. इतना ही नहीं फैट, शरीर को गर्म रखने या कुछ इंटरनल ऑर्गन को सहारा देने में भी मदद कर सकता है. सही तरह का फैट आपके शरीर के लिए एक अच्छी चीज है. लेकिन अगर आपकी बॉडी में फैट के टाइप्स का सही बैलेंस नहीं है, तो आपको कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है. इसके टाइप जानने से पहले समझते हैं कि बॉडी फैट क्या होता है.

बॉडी फैट क्या है? (What Is Body Fat?)

बॉडी फैट टर्म का यूज ह्यूमन बॉडी के अंदर मौजूद फैट सेल्स (fat cells) को डिस्क्राइब करने के लिए किया जाता है. इन सेल्स यानी कोशिकाओं का मेन पर्पज एनर्जी को स्टोर करके रखना है. यह एनर्जी खाने में मौजूद पोषक तत्वों (nutrients) से आती है और सेल्स तब तक इस एनर्जी को स्टोर करके रखते हैं, जब तक शरीर को इसकी जरूरत न पड़े. इसका दूसरा पर्पज शरीर को इन्सुलेट करना है. हालांकि ज्यादातर बॉडी फैट त्वचा के नीचे पाया जाता है, लेकिन कुछ टाइप का फैट इंटरनल ऑर्गन के आसपास भी पाया जा सकता है जहां यह प्रोटेक्शन प्रोवाइड करता है.

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कुछ लोगों को लगता है कि किसी व्यक्ति का वजन यह निर्धारित करता है कि वह मोटा है या नहीं. जबकि मोटापा (Obesity) वास्तव में शरीर में मौजूद फैट की मात्रा से निर्धारित होता है. जिन महिलाओं और पुरुष में बॉडी फैट का लेवल हाई होता है, उन्हें मोटा माना जाता है.

फैट के टाइप (Types of Fat)

ह्यूमन बॉडी (Human body) चार तरह का फैट प्रोड्यूस करती है, और हर फैट के अलग-अलग प्रॉपर्टी यानी गुण और पर्पज होते हैं:

1. आंत की चर्बी (Visceral Fat)
आंतों में जमा फैट को विसरल फैट (Visceral Fat) कहते हैं. इसे कभी कभी "हिडन फैट" और "डीप फैट" भी कहा जाता है. यह शरीर के बीचों बीच और अंगों (organs) के आस-पास जमा होता है. जिन लोगों में विसरल फैट (Visceral Fat) का लेवल ज्यादा होता है, वो आमतौर पर रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, शराब, ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट से भरपूर डाइट लेते हैं. एक व्यक्ति जितना ज्यादा इन खाद्य पदार्थों का सेवन करता है, उसका शरीर उतना ही ज्यादा विसरल फैट एब्डोमिनल कैविटी में स्टोर कर सकता है.

विसरल फैट के हाई लेवल से कैंसर, स्ट्रोक, दिल का दौरा, डिमेंशिया और हाई मेटाबोलिक सिंड्रोम सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का रिस्क बढ़ सकता है. यह इंसुलिन प्रोडक्शन में भी रुकावट डाल सकता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. 

विसरल फैट कम करने के उपाय (Ways to reduce visceral fat):
रोज एक्सरसाइज करना,  ऐसी चीजें खाना जो आसानी से पच जाए, रिफाइंड शुगर से परहेज करें, पर्याप्त नींद लें, प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं, फ्रूट्स और रॉ फूड डाइट में शामिल करें, खूब पानी पिएं, कम कार्ब वाली डाइट, जैसे कि कीटो डाइट, आपको विसरल फैट यानी आंत की चर्बी कम करने में मदद कर सकती है.

2. सबक्यूटेनियस फैट (Subcutaneous Fat)
इसे "सॉफ्ट फैट" के तौर पर भी जाना जाता है, सबक्यूटेनियस फैट वो फैट है जिसका यूज आम तौर पर किसी व्यक्ति के बॉडी मास इंडेक्स (Body mass index - BMI) को मापने के लिए किया जाता है. स्किन के नीचे और एब्डॉमिनल कैविटी के बाहर यह मौजूद होता है. यह अक्सर वह फैट होता है जिसे हम कमर, जांघों, कूल्हों और नितंबों के आसपास देखते हैं जब हम मिरर में देखते हैं.

कार्डियोवैस्कुलर डायबिटोलॉजी में पब्लिश 2015 की एक स्टडी के मुताबिक, विसरल फैट (Visceral Fat) के विपरीत, सबक्यूटेनियस फैट (Subcutaneous Fat) वास्तव में कुछ हेल्थ बेनिफिट प्रोवाइड कर सकता है. स्टडी में पाया गया कि यह सॉफ्ट फैट आर्टरी वॉल्स (Artery walls) के अंदर कोलेस्ट्रॉल और फैट बिल्डअप होने के रिस्क को कम करता है.
इसका मतलब यह नहीं है कि लोगों को जानबूझकर ज्यादा सबक्यूटेनियस फैट बिल्ड अप यानी निर्माण करना चाहिए. इस तरह के फैट का बहुत ज्यादा होना लिगामेंट और tendons पर दबाव डाल सकता है क्योंकि यह शरीर के वजन को बढ़ाता है.

इसे कम करने के तरीके:
हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल में बदलाव करके सबक्यूटेनियस फैट (Subcutaneous fat) को कम किया जा सकता है.

3. ब्राउन फैट (Brown Fat)
ब्राउन फैट सभी उम्र के लोगों में पाया जाता है, लेकिन यह आमतौर पर शिशुओं में ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर में ब्राउन फैट का मकसद गर्मी पैदा करने के लिए अपनी स्टोर की गई एनर्जी को जलाना है. वयस्कों की तुलना में शिशुओं को ब्राउन फैट की गर्मी और सुरक्षा की ज्यादा जरूरत होती है. ब्राउन फैट, व्हाइट फैट की तुलना में कम होता है.

ब्राउन फैट सबक्यूटेनियस के नीचे होता है क्योंकि इसका ज्यादातर भाग कंधे की हड्डियों, रीढ़ और कॉलरबोन के आसपास पाया जाता है. हालांकि, यह कुछ ऑर्गन के आसपास पाया जा सकता है.

ब्राउन फैट के फायदे (Benefits of brown fat):
यह शरीर को गर्मी देता है, शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है, वजन घटाने में मदद करता है, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है, ओबेसिटी और टाइप 2 डायबिटीज से लड़ने में मदद करता है.

4. व्हाइट फैट (White Fat)
ह्यूमन बॉडी न्यूट्रीएंट्स और एनर्जी को स्टोर करने के लिए व्हाइट फैट पर निर्भर करती है, जिसका इस्तेमाल उसे जरूरत पड़ने पर करना होता है. शरीर में मौजूद ज्यादातर फैट व्हाइट फैट होता है. यह शरीर के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है, जैसे कि पेट (Abdomen), जांघ (Thighs), नितंब (Buttocks) और बाहें (Arms).

ह्यूमन बॉडी को ठीक से काम करने के लिए व्हाइट और ब्राउन फैट दोनों के स्वस्थ स्तरों की जरूरत होती है. व्हाइट फैट विसरल या सबक्यूटेनियस हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस जगह पर है. इसका मतलब है कि कुछ व्हाइट फैट फायदेमंद हो सकता है, जबकि कुछ को विसरल कंसीडर किया जा सकता है , जो किसी व्यक्ति में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा पैदा कर सकता है.

व्हाइट फैट को कम करने के उपाय (Ways to reduce white fat):
रेगुलर एक्सरसाइज करें, हेल्दी डाइट लें, घर का बना ताजा खाना खाएं

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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