
नई दिल्ली:
हम सभी जानते हैं कि बाजार में मिलने वाले जितने भी कोल्ड ड्रिंक्स या पेय पदार्थ होते हैं, उनमें चीनी की मात्रा काफी ज़्यादा पाई जाती है। अगर इन बोतलबंद पेय पदार्थों में शुगर 40 प्रतिशत कम कर दी जाएं, तो इससे अगले दो दशक तक तीन लाख से भी ज़्यादा लोगों को मोटापे से होने वाली टाइप-2 डायबिटीज़ से बचाया जा सकता है।
एक अध्ययन में पता चला है कि अगर इन पेय पदार्थों में से रोजाना 38.4 कैलोरी एनर्जी की कटौती की जाए, तो पांच साल के बाद एक युवा में करीब 1.20 किलो वज़न की कमी देखने को मिलेगी। साथ ही पांच से 10 लाख युवाओं को मोटापे की भी समस्या नहीं होगी। इसके अलावा अगले दो दशकों में लगभग तीन लाख लोग मोटापे से होने वाली टाइप-2 डायबिटीज़ से भी बच सकेंगे।
एक्शन फॉर शुगर ग्रुप के चेयरमैन प्रोफेसर ग्राहम मैकग्रेगोर के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन को लेसेंट डायबिटीज़ एंड एंडोक्रिनोलॉजी नाम के जरनल में प्रकाशित किया गया है। आपको बता दें कि कोल्ड ड्रिंक के अलावा लस्सी और फ्रुट जूस में भी चीनी की भारी मात्रा पाई जाती है, जो कि सेहत के लिए ख़तरनाक हो सकती है।
एक अध्ययन में पता चला है कि अगर इन पेय पदार्थों में से रोजाना 38.4 कैलोरी एनर्जी की कटौती की जाए, तो पांच साल के बाद एक युवा में करीब 1.20 किलो वज़न की कमी देखने को मिलेगी। साथ ही पांच से 10 लाख युवाओं को मोटापे की भी समस्या नहीं होगी। इसके अलावा अगले दो दशकों में लगभग तीन लाख लोग मोटापे से होने वाली टाइप-2 डायबिटीज़ से भी बच सकेंगे।
एक्शन फॉर शुगर ग्रुप के चेयरमैन प्रोफेसर ग्राहम मैकग्रेगोर के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन को लेसेंट डायबिटीज़ एंड एंडोक्रिनोलॉजी नाम के जरनल में प्रकाशित किया गया है। आपको बता दें कि कोल्ड ड्रिंक के अलावा लस्सी और फ्रुट जूस में भी चीनी की भारी मात्रा पाई जाती है, जो कि सेहत के लिए ख़तरनाक हो सकती है।
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