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क्या आप भी दूध के साथ खाते हैं ये चीजें? तो आयुर्वेद एक्सपर्ट से जानिए हो सकता है कौन सा रोग

Milk And Cookies: मीठे और दूध का रिलेशन तो काफी पुराना है. दूध में शक्कर या मिश्री डालकर पीना, कई लोग पसंद करते हैं. वैसे तो नमकीन कुकीज, बिस्कुट और टोस्ट भी दूध के साथ अच्छे लगते हैं. लेकिन दूध के साथ नमक या नमकीन आइटम लेना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है.

क्या आप भी दूध के साथ खाते हैं ये चीजें? तो आयुर्वेद एक्सपर्ट से जानिए हो सकता है कौन सा रोग
Avoid Milk And Salt Together: दूध के साथ नमक खाने से होता है ये नुकसान.

Milk And Salt Together: बहुत से लोगों को ये शौक होता है कि वो गर्मागर्म दूध के साथ कुकीज खाना पसंद करते हैं. कुकीज भी कई तरह की होती है. मीठी कुकीज से लेकर नमकीन कुकीज तक. मीठे और दूध का रिलेशन तो काफी पुराना है. दूध में शक्कर या मिश्री डालकर पीना, कई लोग पसंद करते हैं. वैसे तो नमकीन कुकीज, बिस्कुट और टोस्ट भी दूध के साथ अच्छे लगते हैं. लेकिन दूध के साथ नमक या नमकीन आइटम लेना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इस बारे में एनडीटीवी ने आयुर्वेद एक्सपर्ट वैद्य राम अवतार से विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि दूध के साथ किन किन चीजों को लेना नुकसान पहुंचा सकता है.

दूध और नमक का साथ| Harmful Effects Of Milk And Salt Together

दूध के साथ न लें ये चीजें

वैद्य राम अवतार ने बताया कि दूध के साथ नमक वाली चीजें नहीं खाना चाहिए. इस के अलावा खट्टे पदार्थ भी दूध के साथ ही कंज्यूम करना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. आयुर्वेद के जानकार वैद्य राम अवतार कहते हैं कि दूध के साथ मछली का सेवन भी आयुर्वेद के लिहाज से वर्जित है. दूध के साथ इन चीजों के सेवन से ल्यूकोडर्मा नाम की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए दूध के साथ नमक वाली चीजें खाने से बचना चाहिए.

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क्या होता है ल्यूकोडर्मा?

ल्यूकोडर्मा का अर्थ है शरीर पर होने वाले सफेद दाग. जिसे विटिलिगो भी कहा जाता है. ल्यूकोडर्मा की शुरुआत छोटे छोटे पैच के रूप में होती है. लेकिन समय के साथ ये पैच बड़े होते जाते हैं और आपस में मिल भी जाते हैं. जिस की वजह से ये बड़ा रूप ले लेते हैं. वैसे तो ये दाग शरीर के किसी भी हिस्से से शुरू हो सकते हैं. लेकिन आमतौर पर उनकी शुरुआत हाथ, पैर, बांह या फेस से ही होती है. सफेद दाग वाली ये बीमारी वैसे तो किसी भी उम्र में व्यक्ति को जकड़ सकती है. पर, ज्यादातर लोगों में इस की शुरुआत दस साल से तीस साल की उम्र के बीच हो जाती है. ये रोग अनुवांशिक भी हो सकता है और स्किन में किसी खास तत्व की कमी से भी हो सकता है. कई बार किसी किस्म का स्ट्रेस भी सफेद दाग का कारण बन जाता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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