सफरनामा टमाटर का : 'गरीब का खाना' कहकर दुत्‍कारा था, आज तरस रहे हैं अमीर भी, जानें कब-कब और कैसे कैसे हुआ टमाटर की शोहरत में इजाफा...

खेत में उगने से लेकर इसको खाने की प्लेट में आने के लिए कई जद्दोजहद का सामना करना पड़ा था. इस पर कई इल्जाम भी लगे. किसी ने इसे जहरीला, तो किसी ने इसे जान लेने वाला फल बताया. हालांकि आज के समय में ये पसंदीदा सब्जियों में से एक है तो चलिए जानते हैं कि इसकी उतपत्ति हुई कैसे? 

सफरनामा टमाटर का : 'गरीब का खाना' कहकर दुत्‍कारा था, आज तरस रहे हैं अमीर भी, जानें कब-कब और कैसे कैसे हुआ टमाटर की शोहरत में इजाफा...

टमाटर को एक समय में माना जाता था 'जहरीला'

लाल टमाटर ने भी क्‍या कोहराम मचा रखा है! अपने रंग के हिसाब से ये लाल अलर्ट शो कर रहा है. कहीं ज्‍यादा टमाटर इस्‍तेमाल करने से रिश्‍तों में दरादर आ रही है, तो कहीं टमाटर चोरी होने पर पुलिस केस किए जा रहे हैं. कहां सोचा था कि लाल रंग का होने के चलते टमाटर ऐसे गाल लाल करेगा... 

टमाटर के दामों ने बीते दिनों में आसमान सिर पर उठा रखा है. कहीं ये 200 रुपये, तो कहीं  250 रुपये किलो तक ये बिक रहा है. टमाटर को खाने से पहले लोग हजार बार सोच रहे हैं... शायद ही किसी ने सोचा हो कि जिस टमाटर को सब्जियों में भर-भर कर डालते थे, एक समय में उसको सब्जी में डालने से पहले भी हजार दफा सोचना पड़ेगा. इंटरनेट पर भी टमाटर की महंगाई को लेकर के कई रील्स वायरल हो रही हैं. 

वहीं लोग इंटरनेट पर ऐसी रेसिपीज की तलाश में है, जिन्हें टमाटर के बिना बनाया जा सके. हालांकि सरकार ने इसकी कीमत कम होने का वादा तो किया है, लेकिन ये वादा कब पूरा होता है इसका इंतजार हमको करना पड़ेगा. वहीं लोग इंटरनेट पर ऐसी रेसिपीज की तलाश में हैं जिन्हें टमाटर के बिना बनाया जा सके.

क्या आप जानते हैं कि आज जिस टमाटर को लोग 250 रुपये किलो तक भी खरीद रहे हैं, कहा जाता है कि वह एक समय पर जहर माना जाता था और आलम ये था कि अमीरों ने इसे बिल्कुल खाना छोड़ दिया था. इसके बाद ये सिर्फ गरीबों के लिए रह गया था. जानकर हैरान रह गए न? जी हां, ये बिल्कुल सच है. आज इतना महंगा हो चुका टमाटर ऐसे ही नहीं आपकी किचन तक पहुंचा है. इसके पीछे एक लंबी कहानी है. इसके पहले जान लेते हैं कि टमाटर की कीमतें बढ़ी क्यो हैं.

क्यों बढ़ी कीमतें

टमाटर की बढ़ती कीमत की वजह इस मौसम को बताया जा रहा है. भारी मात्रा में बारिश से इसकी फसल को प्रभावित किया है जिस वजह से इसकी कीमत आज आसमान को छू रही है. हिमाचल में आई बाढ़ के चलते वहां से टमाटर की सप्लाई पर दिक्कतें आ रही हैं. जब वहां से टमाटर दिल्ली आने लगेगा तो इसकी कीमतों में कमी होने की बात बताई जा रही है. हालांकि जो भी हो इस लाल टमाटर की बढ़ती कीमत का नतीजा ये हो राह है जो लोग दिनभर में चार टमाटर खाते थे वो अब 1 या 2 पर सिमट गए हैं. सलाद से तो टमाटर गायब ही हो गया है. कई जगहों पर तो बर्गर से भी टमाटर हट गया है.

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कैसे हुई टमाटर की उत्पत्ति?

कभी आपने सोचा है कि आखिर टमाटर की उत्पत्ति कहां से हुई? किस तरह से इसको उगाया गया और यह खाने की प्लेट तक पहुंचा. यूं तो इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि इसकी राह आसान नहीं थी. खेत में उगने से लेकर इसको खाने की प्लेट में आने के लिए कई जद्दोजहद का सामना करना पड़ा था. इस पर कई इल्जाम भी लगे. किसी ने इसे जहरीला, तो किसी ने इसे जान लेने वाला फल बताया. हालांकि आज के समय में ये पसंदीदा सब्जियों में से एक है तो चलिए जानते हैं कि इसकी उत्पत्ति हुई कैसे? 

ऐसा माना जाता है कि कई साल पहले दक्षिणी अमेरिका में आलू, तंबाकू और मिर्ची को उगाया गया था तो उसी के साथ टमाटर की फसल भी उगाई गई होगी. 500 ईसा पूर्व टमाटर की खेती की शुरुआत की गई होगी. इसके बाद दक्षिणी अमेरिका में ही टमाटर का इस्तेमाल खाने की चीजों के साथ किया गया होगा. ऐसा माना जाता है कि दक्षिण अमेरिका में एज्टेक प्रजाति के लोगों ने ही टमाटर की खेती की शुरुआत की थी. इसके बाद ही यह दक्षिणी अमेरिका से उत्तरी अमेरिका में पहुंचा होगा.

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अमेरिका से पहुंचा यूरोप

ऐसा माना जाता है कि अमेरिका से यूरोप में टमाटर को क्रिस्टोफर कोलंबस ने पहुंचाया था. कहते हैं कि टमाटर की पहली खेती मेक्सिको या पेरू में शुरू की गई होगी. जिसके बाद 1493 में जब कोलंबस अमेरिका पहुंचा था तब वो अमेरिका से टमाटर को लेकर यूरोप गया होगा. ऐसा कहा जाता है कि तब टमाटर पीले रंग का होता था और इसका साइज भी बहुत छोटा था. उस समय में इसके आकार और रंग की वजह से इसे सब्जी नहीं बल्कि फल माना जाता था. यूरोपियन हिस्ट्री में टमाटर का जिक्र इटैलियन फिजिशियन और बोटनिस्ट पीएट्रो एंड्रिया मैतिओली की किताब में किया गया था. उन्होंने टमाटर को 'हर्बल' बताया था.

कोलंबस ने ही टमाटर को सबसे पहले स्पेन पहुंचाया था. जहां पर गर्म जलवायु होने के बावजूद टमाटर की खेती करने में कोई खास दिक्कत नहीं आई. हालांकि अमेरिका के बाद इटली ही पहला ऐसा देश था जहां पर टमाटर की खेती शुरू की गई. इटली और स्पेन के लोग इसे टमाटर नहीं बल्कि 'pomid'oro' कहते थे, हिंदी में इसका मतलब होता है- 'पीला सेब.' वहीं फ्रांसिसी टमाटर को 'pommes d' amour' यानी 'लव एपल' के नाम से पुकारते थे. वहीं जर्मन में लोग इसे 'एपल ऑफ पैराडाइज'यानी 'स्वर्ग का सेब' कहते थे. ऐसा माना जाता है कि इंग्लैंड के लोगों को इसका लाल रंग तो खूब पसंद आया, लेकिन वो इसे शक की नजर से देखते थे. इसकी वजह थी टमाटर की जहरीली पत्तियां.

क्या आपको पता है कि एक समय पर टमाटर को गरीबों की सब्जी कहा जाता था और अमीर इसे खाने से डरते थे. ऐसा माना जाता है कि इन सबके बाद स्पेन में टमाटर की खेती शुरू की गई होगी. हालांकि इसकी जहरीली पत्तियों के कारण इसे खाया नहीं जाता था, बल्कि इसका इस्तेमाल'डेकोरेशन फ्रूट'के तौर पर किया जाता था. लोगों के बीच में ऐसा भ्रम फैला था कि टमाटर जहरीला होता है. जिस वजह से लोग इसे खाने से डरते थे.

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टमाटर खाने से होने लगी थी मौतें! 

ऐसा कहा जाता है कि 17वीं सदी में यूरोप के लोग टमाटर को खाने से डरने लगे थे. कई लोगों ने इसका नाम 'जहरीला सेब' भी रख दिया था. इसको खाने के बाद लोग बीमार भी पड़ने लगे थे और कई लोगों की मौत भी हो गई थी. दरअसल इस मौतों की वजह थी जस्ता और एसिड. हम सब जानते हैं कि टमाटर बहुत ज्यादा एसिडिक होता है और इंग्लैंड के लोग उस समय जस्ते की प्लेट में खाना खाते थे. जस्ते की प्लेट में लेड पाया जाता है. जब टमाटर में पाया जाने वाला एसिड प्लेट में मौजूद लेड से मिलता था तो इसको खींच लेता था. जिस वजह से वो शरीर में जाकर जहर बन जाता था.

गरीब लोगों को नहीं हुआ असर

वहीं गरीब लोग जो इसको खाते थे उनको टमाटर खाने से कोई परेशानी नहीं हुई. इसकी वजह थी उनका लकड़ी की प्लेट में खाने को खाना. दरअसल उस समय में गरीब लोग लकड़ी की प्लेट में खाना खाते थे, जिस वजह से उसमें पाया जाने वाला एसिड उनकी सेहत पर बुरा असर नहीं डालता था. जिसका नतीजा यह हुआ कि टमाटर गरीबों का खाना बनकर रह गया. बता दें कि इटली में टमाटर के जहरीले होने के पीछे के कारण का पता भी बहुत समय बाद पता लग पाया था. टमाटर को जहरीला मानने वाला नजरिया 18वीं सदी में जाकर बदला. उस वक्त इटली और स्पेन में इसकी खास ब्रीडिंग को उगाया जाने लगा था.

कैसे फेमस हुआ टमाटर

टमाटर के सूप बनने के बाद लोगों के बीच फेमस हुआ था. बता दें कि साल 1897 में अमेरिकी बिजनेसमैन जोसेफ कैम्पबेल ने टमाटर का सूप बनाकर बाजारो में बेचा था. जिसके बाद से टमाटर लोगों के बीच फेमस हो गया था. जिसके चलते जोसेफ कैम्पबेल को 'सूप सम्राट' का खिताब भी दिया जाने लगा था. वहीं इसके फेमस होने की दूसरी वजह थी इसका एसिडिक बिहेवियर. एसिडिक होने की वजह से इसे लंबे समय कर डिब्बो में बंद करके रखा जा सकता था. यही वजह थी कि 19वीं सदी के आखिर तक टमाटर सबसे ज्यादा बंद डिब्बे में बिकने वाली सब्जी बन गया था.

भारत में कैसे आया टमाटर?

यूरोपीयन ही ही थे जो टमाटर को अमेरिका से यूरोप और फिर वहां से भारत लेकर आए थे. ऐसा कहा जाता है कि 16वीं सदी में पुर्तगाली अपने साथ टमाटर लेकर भारत आए थे. भारत का मौसम टमाटर की खेती के लिए अच्छा था. क्योंकि इसकी खेती के लिए ना तो ज्यादा गर्मी और न ही ज्यादा सर्दी चाहिए होती है. इस वजह से भारत में इसकी खेती अच्छे से हो पाती थी. 

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हालांकि ये बात अभी तक कंफर्म नहीं हो पाई है कि भारत में टमाटर की खेती सबसे पहले किसने की थी? लेकिन एक बात साफ है कि भारत में टमाटर को लोकप्रिय बनाने वाले अंग्रेज ही थी. स्कॉटिश फिजिशियन सर जॉर्ज वॉट ने एक किताब में लिखा था, '19वीं सदी के बाद भारत में टमाटर की खेती सिर्फ अंग्रेजों के लिए ही की जाती थी. अंग्रेज सबसे ज्यादा बंगाली टमाटर को पसंद किया करते थे. बंगाली टमाटर को उसके स्वाद और खट्टेपन के कारण पसंद किया जाता था.'