रोज दफ्तर में गुजरने वाले आठ से नौ घंटे ऐसे होते हैं जिसमें तकरीबन 80 फीसदी लोग हेल्दी फूड नहीं खा पाते. इसकी वजह है उनके आसपास उपलब्ध फास्ट फूड और माहौल (Office Snacks)... दोस्तों के साथ और काम के तनाव के साथ ही साथ अक्सर अनहेल्दी फूड लिया जाता है. यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि ऐसे वक्त में क्या खाया जाए जो बैठे-बैठे वजन भी न बढ़ाए और शरीर के लिए हानिकारक भी न हो. भूख लगने पर स्नैक्स कब और कैसे खाए जाएं इसके लिए सही ढ़ग से प्लानिंग करना बहुत जरूरी है. तो रोज दफ्तर में जो अनहेल्दी स्नैक्स खाते हैं खाते हैं वह आपको काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. अब हम आपको बताते हैं इससे कैसे बचा जा सकता है...
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स्नैक्स को रोज के खाने में शामिल करने से पहले इन पांच चीजों पर खास ध्यान दें. ये हैं प्रचुरता, कैलरी कंट्रोल, वैराइटी, संतुलन और संयम. उपयुक्तता से शरीर को सही मात्रा में पोषक तत्व और शक्ति मिलेगी जो दिन के खाने की वैराइटी पर संतुलन रखेगा. स्नैक्स लेने के समय कैलरीज पर भी संतुलन रखना जरूरी होता है. इससे शरीर के वजन के साथ चीनी, नमक और फैट की मात्रा भी कम होती है. स्नैक्स में स्प्राउट्स, फ्रूट्स, सैलेड, मुरमुरे समेत कई ऐसी वैराइटी है जिन्हें हर थोड़ी देर में खाया जा सकता है.

स्नैक्स हर दो से तीन घंटे में अगर लिए जाएं तो इससे शरीर का मैटाबॉलिज्म तो बना ही रहता है. साथ ही इससे पाचन शक्ति भी बनी रहती है. इसलिए हमेशा खाने के ढ़ग पर ज्यादा ध्यान दें.
कब खाएं
कभी भी कुछ भी खा लेने का मतलब है बॉडी में फैट बढ़ाना. तीन से छह घंटे के फर्क में अगर कोई व्यक्ति कुछ नहीं खाता है तो उसकी बॉडी उपवास के रूप में चली जाती है. इसके साथ शरीर का ब्लड शुगर और मैटाबॉलिज्म दोनों ही गिरने लगते हैं जिससे भूख लगती है और न्यूरोपैपटाइड वाए नाम का पदार्थ पैदा होने लगता है. जो ज्यादा कार्बोहाइड्रेट खाने की इच्छा को बढ़ाता है.
पूरे दिन में कम से कम दो बार स्नैक्स लेना बहुत जरूरी हैं. एक दोपहर में और एक शाम के समय. इससे कैलरी तो कंट्रोल रहती ही है. साथ ही ये बेवक्त लगने वाली भूख को भी खत्म करती है. इसके अलावा कई लोग देर रात स्नैक्स लेना पसंद करते हैं, जो स्टडीज के हिसाब से गलत है क्योंकि शरीर के अंदरूनी समय के मुताबिक उसका कैलरी खर्च हर टाइम पर अलग होता है जिस पर नियंत्रण पाना जरूरी है. इसलिए हमेशा कब, क्या खाया जाए सोचना आवश्यक है. कई बार तो सोने की कमी से घरेलिन और लेप्टिन नाम के हार्मोन लेवल पर भी असर पड़ता है जिससे कभी भूख लगती है तो कभी भरा हुआ महसूस होता है.
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देर रात में स्नैक्स लेने से हमेशा बचना चाहिए क्योंकि इससे मैटाबॉलिक रेट तो कम होता ही है. साथ ही अगर कार्बोहाइड्रेट स्नैक जैसे सैंडविच या बिस्किट लिए जाएं तो शरीर का शुगर लेवल भी कम होता है. इसलिए रात के समय में हमेशा हाई फाइबर स्नैक जैसे फ्रूट्स या सैलेड ही लेने चाहिए.
स्नैक्स में क्या खाना जरूरी है
एक हेल्दी स्नैक वही है जो व्यक्ति को संतुष्ट करे. खाना खाने के बाद पेट के नर्व रिसेप्टर दिमाग को सिग्नल भेजकर ये पता करते हैं कि क्या शरीर को और खाने की जरूरत तो नहीं है? इसलिए हमेशा वही स्नैक्स पसंद करने चाहिए जो बॉडी को ज्यादा संतुष्ट करें. ऐसे में पेट ज्यादा समय तक भरा रहता है. इसके अलावा जिन स्नैक्स में पानी, फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है वे दिमाग को स्ट्रॉन्ग सिग्नल भेजकर भूख पैदा होने की शक्ति को रोकते है. गार्गी का कहना है कि कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन युक्त स्नैक्स देर रात के समय में खाने ज्यादा बेहतर है. इसके अलावा लो-फैट दही, फ्रेश फ्रूट्स, भुनें हुए चनें या ओटमील भी खाया जा सकता है.
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ऑफिस जाने वाले लोग डब्बे में इन स्नैक्स को रखकर ले जा सकते हैं. ये हैः
1. ताजे फल जैसे सेब, केला, अंगूर, संतरा, स्ट्रॉबेरी और तरबूज.
2. कच्ची सब्जियां जैसे गाजर, ब्रॉक्ली या अजवाइन के पत्ते. इन्हें लो-फैट डिप के साथ भी खाया जा सकता है.
3. ओट्स या रागी बिस्किट.
4. एनर्जी बार.
5. मुरमुरे
6. स्प्राउट्स
7. ड्राई फ्रूट्स (भुने हुए)
8. बटर मिल्क
9. नारियल पानी
10. लो-फैट चीज, दही या घर की बनी फ्रूट स्मूदी.
11. सूखी अंजीर
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कैसे खाएं
एक विचार धारणा के मुताबिक बौद्ध शिक्षा का उद्देश्य खाने के अनुभव को मजेदार बनाना है. खाने में उसके स्वाद, बनावट और खुशबू पर ज्यादा फोकस होना चाहिए क्योंकि इससे सैंसिज जागरुक ही नहीं बल्कि संतुष्ट भी रहते हैं. कई स्टडी के मुताबिक खाने को अधिक चबाने से पेट काफी समय तक भरा रहता है. इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ बिरमिंगह्म, 2009 में हुई स्टीड के हिसाब से खाना खाते समय ज्यादा बोलना या किसी काम में लगे रहना मतलब खुद को भूख से संतुष्ट न करना है. इससे भूख न लगने पर भी दिमाग में थोड़ी देर बाद कुछ खा लाने का ही आता है.
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स्नैक्स से बॉडी को ज्यादा पोषक तत्व मिलते हैं. जो कि मैटाबॉलिज्म को बढ़ाकर, वजन घटाने में मदद तो करते ही हैं. साथ ही अधिक खाने से भी बचाते हैं.
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स्नैक्स को रोज के खाने में शामिल करने से पहले इन पांच चीजों पर खास ध्यान दें. ये हैं प्रचुरता, कैलरी कंट्रोल, वैराइटी, संतुलन और संयम. उपयुक्तता से शरीर को सही मात्रा में पोषक तत्व और शक्ति मिलेगी जो दिन के खाने की वैराइटी पर संतुलन रखेगा. स्नैक्स लेने के समय कैलरीज पर भी संतुलन रखना जरूरी होता है. इससे शरीर के वजन के साथ चीनी, नमक और फैट की मात्रा भी कम होती है. स्नैक्स में स्प्राउट्स, फ्रूट्स, सैलेड, मुरमुरे समेत कई ऐसी वैराइटी है जिन्हें हर थोड़ी देर में खाया जा सकता है.

Photo Credit: iStock
स्नैक्स हर दो से तीन घंटे में अगर लिए जाएं तो इससे शरीर का मैटाबॉलिज्म तो बना ही रहता है. साथ ही इससे पाचन शक्ति भी बनी रहती है. इसलिए हमेशा खाने के ढ़ग पर ज्यादा ध्यान दें.
कब खाएं
कभी भी कुछ भी खा लेने का मतलब है बॉडी में फैट बढ़ाना. तीन से छह घंटे के फर्क में अगर कोई व्यक्ति कुछ नहीं खाता है तो उसकी बॉडी उपवास के रूप में चली जाती है. इसके साथ शरीर का ब्लड शुगर और मैटाबॉलिज्म दोनों ही गिरने लगते हैं जिससे भूख लगती है और न्यूरोपैपटाइड वाए नाम का पदार्थ पैदा होने लगता है. जो ज्यादा कार्बोहाइड्रेट खाने की इच्छा को बढ़ाता है.
पूरे दिन में कम से कम दो बार स्नैक्स लेना बहुत जरूरी हैं. एक दोपहर में और एक शाम के समय. इससे कैलरी तो कंट्रोल रहती ही है. साथ ही ये बेवक्त लगने वाली भूख को भी खत्म करती है. इसके अलावा कई लोग देर रात स्नैक्स लेना पसंद करते हैं, जो स्टडीज के हिसाब से गलत है क्योंकि शरीर के अंदरूनी समय के मुताबिक उसका कैलरी खर्च हर टाइम पर अलग होता है जिस पर नियंत्रण पाना जरूरी है. इसलिए हमेशा कब, क्या खाया जाए सोचना आवश्यक है. कई बार तो सोने की कमी से घरेलिन और लेप्टिन नाम के हार्मोन लेवल पर भी असर पड़ता है जिससे कभी भूख लगती है तो कभी भरा हुआ महसूस होता है.
प्रोटीन के ऐसे शाकाहारी सोर्स जिनके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा
देर रात में स्नैक्स लेने से हमेशा बचना चाहिए क्योंकि इससे मैटाबॉलिक रेट तो कम होता ही है. साथ ही अगर कार्बोहाइड्रेट स्नैक जैसे सैंडविच या बिस्किट लिए जाएं तो शरीर का शुगर लेवल भी कम होता है. इसलिए रात के समय में हमेशा हाई फाइबर स्नैक जैसे फ्रूट्स या सैलेड ही लेने चाहिए.
स्नैक्स में क्या खाना जरूरी है
एक हेल्दी स्नैक वही है जो व्यक्ति को संतुष्ट करे. खाना खाने के बाद पेट के नर्व रिसेप्टर दिमाग को सिग्नल भेजकर ये पता करते हैं कि क्या शरीर को और खाने की जरूरत तो नहीं है? इसलिए हमेशा वही स्नैक्स पसंद करने चाहिए जो बॉडी को ज्यादा संतुष्ट करें. ऐसे में पेट ज्यादा समय तक भरा रहता है. इसके अलावा जिन स्नैक्स में पानी, फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है वे दिमाग को स्ट्रॉन्ग सिग्नल भेजकर भूख पैदा होने की शक्ति को रोकते है. गार्गी का कहना है कि कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन युक्त स्नैक्स देर रात के समय में खाने ज्यादा बेहतर है. इसके अलावा लो-फैट दही, फ्रेश फ्रूट्स, भुनें हुए चनें या ओटमील भी खाया जा सकता है.
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1. ताजे फल जैसे सेब, केला, अंगूर, संतरा, स्ट्रॉबेरी और तरबूज.
2. कच्ची सब्जियां जैसे गाजर, ब्रॉक्ली या अजवाइन के पत्ते. इन्हें लो-फैट डिप के साथ भी खाया जा सकता है.
3. ओट्स या रागी बिस्किट.
4. एनर्जी बार.
5. मुरमुरे
6. स्प्राउट्स
7. ड्राई फ्रूट्स (भुने हुए)
8. बटर मिल्क
9. नारियल पानी
10. लो-फैट चीज, दही या घर की बनी फ्रूट स्मूदी.
11. सूखी अंजीर
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कैसे खाएं
एक विचार धारणा के मुताबिक बौद्ध शिक्षा का उद्देश्य खाने के अनुभव को मजेदार बनाना है. खाने में उसके स्वाद, बनावट और खुशबू पर ज्यादा फोकस होना चाहिए क्योंकि इससे सैंसिज जागरुक ही नहीं बल्कि संतुष्ट भी रहते हैं. कई स्टडी के मुताबिक खाने को अधिक चबाने से पेट काफी समय तक भरा रहता है. इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ बिरमिंगह्म, 2009 में हुई स्टीड के हिसाब से खाना खाते समय ज्यादा बोलना या किसी काम में लगे रहना मतलब खुद को भूख से संतुष्ट न करना है. इससे भूख न लगने पर भी दिमाग में थोड़ी देर बाद कुछ खा लाने का ही आता है.
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