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डॉक्टर ने बताया हर दिन गेहूं की रोटी खाना क्यों है सेहत के लिए खतरे की घंटी

Side Effects Of Eating Wheat: भारत में गेहूं का मतलब सिर्फ एक अनाज नहीं, बल्कि हर रोज़ का खाना है. ज़्यादातर लोग इसे ऊर्जा का अच्छा स्रोत मानते हैं और बिना सोचे-समझे हर रोज़ रोटी खाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि आज जो गेहूं हम खा रहे हैं, वह पहले जैसा नहीं रहा?

डॉक्टर ने बताया हर दिन गेहूं की रोटी खाना क्यों है सेहत के लिए खतरे की घंटी
Roti Ke Nuksan: गेहूं की रोटी हर दिन खाने के नुकसान.

Side Effects Of Eating Wheat: गेहूं अब वही नहीं रहा जो कभी था. रासायनिक खेती ने इसे एक ऐसी चीज़ बना दिया है, जो कई बार बीमारी का कारण बन जाती है. अपनी हेल्थ को बनाए रखने के लिए मोटे अनाजों को अपनाना और गेहूं के ज्यादा सेवन से बचना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. पहले के ज़माने में गेहूं की खेती बहुत साफ तरीके से होती थी. किसान ज़मीन में देसी खाद डालते थे और सिंचाई भी बारिश के पानी से होती थी. आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में CPU-PSI सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, योग एंड संस्कार के डायरेक्टर  प्रो. राम अवतार से.

गेहूं खाने के नुकसान- (Side Effects Of Eating Wheat)

अब मिलाने लगे हैं केमिकल-
उस समय उगाया गया अनाज सेहत के लिए अच्छा था. लेकिन अब खेतों में तेज़ी से फसल उगाने के लिए यूरिया, कीटनाशक और तरह-तरह के रसायन डाले जाते हैं. इनका असर सीधा हमारे खाने पर पड़ता है. आज जो आटा बाजार में मिलता है, उसमें से ज्यादातर पोषक तत्व निकाल दिए जाते हैं. ऊपर से उसमें ग्लूटेन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. ग्लूटेन एक ऐसा प्रोटीन है जो कई लोगों के शरीर को हज़म नहीं होता. इससे पेट फूलना, गैस, कब्ज, जोड़ों में दर्द और वजन बढ़ने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. यही वजह है कि अब डॉक्टर भी कई बार लोगों को गेहूं से दूरी बनाने की सलाह देते हैं.

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दूसरा मोटा अनाज का सेवन-
एक और बात यह है कि पहले लोग गेहूं के साथ-साथ बाजरा, ज्वार, रागी, चना और मक्का जैसे कई अनाज खाते थे. ये अनाज शरीर को ठंडक देते थे, पचने में आसान होते थे और इनसे जल्दी भूख भी नहीं लगती थी. अब इन अनाजों को फिर से अपनाया जा रहा है. इन्हें ही आजकल ‘मिलेट्स' कहा जाता है और दुनिया भर में इनकी मांग बढ़ रही है.

अब समय आ गया है कि हम आंख बंद करके हर दिन गेहूं न खाएं. अगर हम अपनी सेहत को लेकर सजग हैं, तो रोज़ की थाली में बदलाव लाना ज़रूरी है. गेहूं को पूरी तरह छोड़ना जरूरी नहीं, लेकिन उसकी जगह पर दूसरे अनाजों को मौका देना एक अच्छा कदम हो सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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