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This Article is From Dec 21, 2016

इस प्रकार हो सकता है आपको हाइपोथर्मिया का खतरा, जानें...

इस प्रकार हो सकता है आपको हाइपोथर्मिया का खतरा, जानें...
नई दिल्ली: सर्दी ज़्यादा पड़ने से कई लोगों के शरीर का तापमान उचित तापमान से नीचे गिर जाता है, जिसके कारण उन्हें हाइपोथर्मिया के होने का खतरा बन जाता है। यह समस्या ख़ासकर बूढ़े लोगों में अधिक आती है। आपको बता दें कि हाइपोथर्मिया का खतरा उम्रदराज लोगों में जानलेवा तक साबित हो सकता है।

क्या है हाइपोथर्मिया
हाइपोथर्मिया उसे कहा जाता है, जब शरीर का तापमान 97 डिग्री फैहरनहाइट से कम हो जाता है। सर्दियों के मौसम में जब बाहर का तापमान कम होता और शरीर में गर्मी पैदा नहीं हो पाती है, उस समय ऐसा होता है। शरीर जितनी तेजी से गर्मी पैदा कर सकता है, उससे कहीं ज़्यादा तेजी से वह गर्मी खत्म कर सकता है। ऐसे में लोग हाइपोथर्मिया का शिकार होते हैं, जो उनके लिए जानलेवा हो सकता है।

उम्रदराज लोगों को हाइपोथर्मिया का खतरा ज़्यादा हो सकता है, क्योंकि डायबिटीज़ आदि बीमारियों की वज़ह से उनका शरीर ठंड को झेल पाने में कम सक्षम होता है। सीधे दवा विक्रेता से दवा लेकर सर्दी-जुकाम का इलाज करना भी इसका कारण बन सकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि थोड़े से समय के लिए ठंडे मौसम में रहना या अचानक तापमान का बेहद कम हो जाना उम्रदराज लोगों में हाइपोथर्मिया का कारण बन सकता है। अगर उनमें यह लक्षण दिखाई दे, तो वह हाईपोथर्मिया का शिकार हैं। धीमे बोलना, उनिंदापन या भ्रम की स्थिति, बाजुओं और टांगों का कांपना या जकड़न, शारीरिक गतिविधियों पर उचित नियंत्रण न होना, धीमी प्रतिक्रिया या कमजोर नब्ज आदि इसके कुछ कारण हैं।

सर्दियों में तापमान कम होने पर उम्रदराज वयस्क और बच्चे इसके ज़्यादा खतरे में होते हैं। ऐसे मौसम में शरीर को जितनी गर्मी की आवश्यकता होती है, उतनी वह बना नहीं पाता है।

डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि जब हमारे शरीर का तापमान गिरता है, तो हमारा दिल, नाड़ी तंत्र और दूसरे अंग सामान्य रूप से काम नहीं कर पाते हैं। अगर इसे यूं ही नजरअंदाज कर दिया जाए, तो यह दिल और सांस प्रणाली के फेल होने का कारण बन सकता है और कई बार मौत भी हो सकती है।

हाइपोथर्मिया का प्राथमिक उपचार
प्राथमिक उपचार के तौर पर मरीज को सबसे पहले बंद गर्म कमरे में लेटा दें, उसके गीले कपड़े उतार दें, गर्म कपड़ों की परतें उन्हें पहना दें, इसके बाद गर्म कम्प्रैस या इनसुलेशन का प्रयोग करें। ध्यान रहे आपको ऐसे में सीधे हीट का प्रयोग नही करना है।

इन बातों पर ज़रूर गौर करें
घर का माहौल गर्म बनाए रखें। थर्मोस्टेट 68 से 70 डिग्री तक बनाए रखें। 60 से 65 डिग्री तक के माहौल में उम्रदराज लोगों में हाइपोथर्मिया हो सकता है। टांगों और कंधों को गर्म रखने के लिए कंबल का प्रयोग करें और घर के अंदर सिर पर हैट या टोपी पहन कर रखें। ठंड में बाहर जाते समय, टोपी, स्कार्फ और दस्ताने ज़रूर पहनें, ताकि शरीर की गर्मी कम न हो। सिर को ढकना बेहद आवश्यक है, क्योंकि ज़्यादातर गर्मी सिर के जरिए बाहर जा सकती है। गर्मी को शरीर के अंदर बनाए रखने के लिए गर्म ढीले कपड़ों की कई परतें पहन कर रखें। ध्यान दें, जो दवाएं आप अपनी मरजी से ले रहे हैं क्या वह हाईपोथर्मिया का खतरा तो नहीं बढ़ा रही? याद रखें, कंपकपी के बिना हाइपोथर्मिया बुरा संकेत होता है।

(इनपुट्स आईएएनएस से)

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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