Chhath Puja 2019: छठ पूजा का इतिहास, महत्व और खरना के लिए खीर की रेसिपी

Chhath Puja 2019: छठ पूजा के दूसरे दिन व्रत करने वाले लोगों को दिन भर कुछ खाना या पीना नहीं होता.

Chhath Puja 2019: छठ पूजा का इतिहास, महत्व और खरना के लिए खीर की रेसिपी

छठ पूजा 2019: छठ पूजा के दूसरे दिन व्रत करने वाले लोगों को दिन भर कुछ खाना या पीना नहीं होता.

खास बातें

  • छठ को खरना (Kharna) या लोहंडा (Lohanda) भी कहा जाता है.
  • छठ महापर्व की 31 अक्तूबर, गुरुवार को नहाय-खाय से शुरू.
  • सुबह की अर्घ्य के साथ 3 नवंबर को छठ पर्व खत्म.
नई दिल्ली:

Chhath Puja 2019: दिवाल के पर्व के समापन के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो रहा है. छठ की तैयारियां जोरों पर हैं. छठ पर्व की शुरुआत के साथ ही साथ गलियों में छठ के गीत, छठ सोंगी बजने लगते हैं. छठ मैया के गीत जब कानों में पड़ते हैं तो यकीनन हर किसी के दिल में जमगम दीप और श्रृद्धा भाव आता होगा. बिहार राज्य में बड़े पैमाने पर मनाया जाने वाला महापर्व छठ (Chhath 2019) 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. छठ पूजा को नहाय-खाए (Nahay Khay) भी कहा जाता है. इसके साथ ही साथ छठ को खरना (Kharna) या लोहंडा (Lohanda) भी कहा जाता है. गरुवार से शुरू होने वाले महापर्व छठ में सूर्य को सुबह और शाम को अर्घ्य दिया जाएगा. यह 3 नवंबर तक चलेगा.

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कब है छठ पूजा 2019 | Chhath Puja 2019 Date 

छठ महापर्व की तिथि 31 अक्तूबर, गुरुवार: नहाय-खाय 
1 नवंबर, शुक्रवार : खरना 
2 नवंबर, शनिवार: डूबते सूर्य को अर्घ्य 
3 नवंबर, रविवार : उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण

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छठ पर्व कब मानाया जात है | Why is Chhath Puja celebrated

अगर आप सोच रहे हैं कि छठ पर्व कब मनाया जाता है तो आपको बता दें कि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से सप्तमी तक चार दिन इस पर्व को मनाया जाता है. छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. जो इस साल 31 अक्टूबर को पड़ रहा है. इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सूर्य षष्ठी का मुख्य पर्व होता है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. सूर्य षष्ठी के बाद उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. जो इस पर्व का अंतिम दिन होता है. इसी दिन पारण किया जाता है. 

छठ पूजा सिर्फ बिहार में ही नहीं पूरे भारत में मनाया जाता है. छठ पूजा या नहाय-खाय सूर्य देव की उपासना का सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्‍योहार है. इस त्‍योहार को षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है, जिस कारण इसे सूर्य षष्ठी व्रत या छठ कहा गया है. छठी मईया (Chhathi Maiya) के इस पर्व को साल में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र महीने में और दूसरी बार कार्तिक महीने में. हिन्दू पंचांग के अनुसार छठ चैत्र शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ त्‍योहार को चैती छठ कहा जाता है. तो वहीं, कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले इस त्‍योहार को कार्तिकी छठ कहा जाता है.
 

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छठ पूजा 2019: महोत्सव का इतिहास और महत्व | Chhath Puja 2019 History And Significance: 

भारत में सूर्योपासना ऋग वैदिक काल से होती आ रही है. सूर्य और इसकी उपासना का जिक्र विष्णु पुराण, भगवत पुराण, ब्रह्मा वैवर्त पुराण वगैरह में किया गया है. 

- ऐसी मान्यता है कि भगवान राम जब माता सीता से स्वयंवर करके घर लौटे थे और उनका राज्य अभिषेक किया गया था तब उन्होंने पूरे विधान के साथ कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को परिवार के साथ पूजा की थी. माना जाता है कि छठ मइया का व्रत (Chhath Vrat) रखने पर निसंतान जोड़े को भी संतान प्राप्त हो जाती है. 
- मान्यता के अनुसार छठी मइया का व्रत (Chhathi Maiya Vrat) रखने से सूर्य भगवान (Surya Bhagwan) प्रसन्न होते हैं. एक मान्यता के अनुसार लंका पर विजय प्राप्‍त करने के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानी छठ के दिन भगवान राम और माता सीता ने व्रत किया था और सूर्यदेव की आराधना की थी. सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था. छठ मइया का यह पर्व बिहार के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी मनाया जाता है.
- एक मान्यता यह भी है कि एक बार पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए. तब पांडवों को देखकर द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था. इस व्रत के बाद दौपद्री की सभी मनोकामनाएं पूरी हुई थीं. तभी से इस व्रत को करने की प्रथा चली आ रही है.
- परंपरा के अनुसार छठ पर्व के व्रत को स्त्री और पुरुष समान रूप से रख सकते हैं. छठ पूजा की परंपरा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली पौराणिक और लोककथाओं के अनुसार यह पर्व सर्वाधिक शुद्धता और पवित्रता का पर्व है.

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आखिर क्यों की जाती है उगते और डूबते सूर्य की पूजा | Chhath Puja: The Festival Of Sun God

हिंदू धर्म में मान्यता है कि सूरज देव की शक्तियों का मुख्य आधर उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा हैं. छठ में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की भी आराधना की जाती है. सुबह के अर्ध्य में सूर्य की पहली किरण यानी ऊषा और शाम के अर्ध्य में सूर्य की अंतिम किरण यानी प्रत्यूषा को अर्ध्य देकर दोनों से प्रार्थना की जाती है.

कैसे नहाय खाय से शुरू होता छठ | Chhath Puja 2019 Date (Nahay Khay 2019)

छठ पूजा पर्व चार दिनों तक चलता है. यह पर्व नहाय खाय से शुरू होता है. नहाय खाय के दिन प्रत करने वाले लोग गंगा स्नान करते हैं और इसके बाद सेंधा नमक में पका दाल-चावल और कद्दू खाते हैं. व्रती बस एक वक्त का खाना खाते हैं.

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छठ पूजा के दूसरे दिन व्रत करने वाले लोगों को दिन भर कुछ खाना या पीना नहीं होता. शाम को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर का प्रसाद खाते हैं. इस दिन आस-पड़ोस के लोगों को भी बुलाया जाता है और प्रसाद बांटा जाता है. तो चलिए हम आपको बताते हैं खीर बनाने की रेसिपी- 

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Chhath Puja 2019: शाम को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर का प्रसाद खाते हैं 

खीर रेसिपी- 

खीर का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है, अक्सर भारत में त्योहारों और खुशी के मौकों पर खीर बनाई जाती है. खीर एक बहुत ही लोकप्रिय डिज़र्ट है और इसे ठंडा करके खाने का स्वाद ही अलग है. आप भी चावल की खीर की इस रेसिपी के साथ घर पर इस बनाकर ट्राई कर सकते हैं.चावल की खीर बनाने के लिए सामग्री: इस स्वीट डिश को बनाने को चावल, किशमिश, बादाम, पिस्ता और दूध से बनाया जाता है. 

खीर को कैसे सर्व करें: चावल की खीर को आप ठंडा या गर्म दोनों तक खा सकते हैं लेकिन खीर ठंडी खाने में ज्यादा स्वाद लगती है.

चावल की खीर की सामग्री

5 कप दूध, full cream
1/4 कप चावल
1/2 कप चीनी/आप यहां गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं.
10-15 किशमिश
4 हरी इलायची
10-12 बादाम , टुकड़ों में कटा हुआ

चावल की खीर बनाने की वि​धि

1. पैन में चावल और दूध को उबाल लें.
2. हल्की आंच पर तब तक पकाएं जब तक चावल पक न जाए और दूध गाड़ा न हो जाए.
3. इसके बाद इसमें इलायची पाउडर, चीनी (आप यहां गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं) और किशमिश मिलाएं.
4. इसे लगातार तब तक चलाएं जब तक चीनी पूरी तरह न घुल जाए.
5. गार्निशिंग के लिए बादाम और पिस्ता का इस्तेमाल करें.
6. ठंडी या गर्म खीर सर्व करें.

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