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This Article is From May 11, 2016

क्या है साइको किलर 'रमन राघव 2.0' की असली कहानी

क्या है साइको किलर 'रमन राघव 2.0' की असली कहानी
'रमन राघव 2.0' में नवाजुद्दीन सिद्दीकी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
1960 के दशक में बंबई (अब मुंबई) के फुटपाथ पर सोने वाले गरीबों के लिए मौत बने साइको किलर रमन राघव की कहानी जल्‍द ही परदे पर दिखाई देगी। अपनी फिल्‍मों में नए  प्रयोगों के लिए पहचान बना चुके अनुराग कश्यप की फिल्‍म 'रमन राघव 2.0' में  थियेटर के जबर्दस्‍त कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी लीड रोल में हैं। फिल्‍म का ट्रेलर हाल ही में जारी हुआ है इसमें नवाजुद्दीन ने मनोरोगी राघव के किरदार की जीवंत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। नवाजुद्दीन ने इसे अब का अपना सबसे मुश्किल रोल बताया है।

दहशत के कारण कोई नहीं सोता था फुटपाथ पर
आज के युवाओं को शायद रमन राघव के बारे में ज्यादा पता नहीं होगा, लेकिन 60 के दशक में उसके मुंबई में इस कदर दहशत थी कि कोई भी बेखौफ होकर फुटपाथ पर सोने (जो कि महानगरी के बेघर गरीबों के लिए आम बात है) की जेहमत नहीं उठा पाता था। चूंकि ये मर्डर रात में होते थे, ऐसे में हत्‍यारे का सुराग लगा पाने में भी पुलिस को तमाम मुश्किलें पेश आ रही थीं। रमन राघव ने करीब तीन साल के अंतराल में बंबई के फुटपाथों अथवा झोपड़ पट्टी के पास सोने वाले 40 से अधिक लोगों को बड़ी निर्दयता से सिर पर पत्‍थर या कोई भारी चीज पटककर मौत के घाट उतारा। यह संख्या रमन राघव ने अपनी गिरफ्तारी के बाद खुद पुलिस के बताई थी, हालांकि पुलिस का अनुमान था कि राघव के शिकारों की संख्‍या इससे कहीं बहुत अधिक है। उम्रदराज बुजुर्ग हो, युवा, औरत या बच्‍चे, फुटपाथ पर कोई भी सोता दिख जाए, इस मनोरोगी का आसान शिकार होता था।

विकृत मानसिकता से ग्रसित था राघव
जानकारी के मुताबिक, राघव की दहशत उस समय इस कदर थी कि हर रात सैकड़ों की संख्‍या में पुलिसकर्मियों को रात को पैट्रोलिंग की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। आखिरकार लोगों से मिली जानकारी के आधार पर बनाए गए स्‍कैच से इस कातिल की पहचान हुई और उसे पकड़ा गया। पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि यह विकृत मानसिकता से ग्रसित मनोरोगी है और महज अपनी ताकत के प्रदर्शन के लिए लोगों का कत्ल करता है। निचली अदालत में चली लंबी बहस के बाद रमन को रमन को सज़ा-ए-मौत हुई और उसने उसके खिलाफ़ अपील करने से इनकार कर दिया।





उम्रकैद में तब्दील की गई सजा
मुंबई हाईकोर्ट ने सज़ा को कन्फ़र्म करने से पहले जनरल सर्जन से तीन मनोवैज्ञानिकों की टीम बनाकर यह तय करने को कहा कि राघव मानसिक रूप से ठीक हालत में है या नहीं। मनोवैज्ञानिकों की टीम ने उससे लंबी बातचीत के बाद निष्‍कर्ष निकाला कि वह मानसिक रूप से बीमार है। उसने कई ऐसी बातें की जो सामान्य आदमी नहीं कर सकता। ऐसे में उसकी सज़ा कम कर उम्रकैद में तब्दील कर दी गई। राघव की 1995 में सस्सून हॉस्पिटल में किडनी की बीमारी से मौत हो गई।

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