फिल्म 'पाकीजा' के एक सीन में गीता कपूर.
नई दिल्ली:
बीते जमाने की मशहूर एक्ट्रेस गीता कपूर को एक महीने बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और उन्हें अब वृद्धाश्रम भेज दिया गया. गीता कपूर का बेटा उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के बाद दोबारा उनकी सुध लेने वापस नहीं आया. एक महीने से अस्पताल में भर्ती गीता के लंबे बिल का भुगतान निर्माता अशोक पंड़ित और रमेश तौरानी ने किया और उन्होंने ही गीता को अंधेरी स्थित जीवन आशा वृद्धाश्रम भेजने का इंतजाम भी किया. अशोक पंडित ने ट्वीट किया, 'गीता कपूर जी को अंधेरी के जीवनआशा वृद्धाश्रम में शिफ्ट कराने के बाद राहत महसूस कर रहा हूं. वह मुस्कुरा रहीं हैं और जल्दी ही ठीक हो जाएंगी.' 'पाकीजा' और 'रजिया सुल्तान' में अभिनय करने वाली गीता को अनियमित रक्तचाप की शिकायत के चलते उनके बेटे ने गोरेगांव के एसआरवी अस्पलात में 21 अप्रैल को भर्ती कराया था. मां को भर्ती कराने के बाद एटीएम से पैसा निकालने की बात कह कर गया बेटा इसके बाद कभी नहीं लौटा.
पंड़ित ने अपने ट्वीट में कहा, 'डा त्रिपाठी, जीवनआशा वृद्धाश्रम और रमेश तौरानी जी गीता कपूर जी को आपने जो सहयोग दिया उसके लिए शुक्रिया. हम मिल कर उनका गौरव वापस लाएंगे.'
न्यूज एजेंसी पीटीआई को कुछ समय पहले दिए अपने इंटरव्यू में फिल्ममेकर अशोक पंडित ने कहा, 'अस्पताल का बिल देना कोई बड़ी बात नहीं है, मेरा असली उद्देश्य है कि उनका सम्मान उन्हें वापिस मिलना चाहिए. उनका बेटा अभी भी भागा हुआ है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है.' उन्होंने कहा, ' उनका परिवार अचानक गायब हो गया है, बेटे ने अपना फोन स्विच ऑफ कर लिया है. सबसे ज्यादा दुख की बात है कि वह अब भी उसका ही नाम ले रही हैं और उन्हें लगता है कि वह नीचे ही है.' उन्हें इस हालत में देखना मेरी लिए काफी दुखद है.'
पिछले हफ्ते गीता कपूर ने मिड-डे को दिए अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उनका बेटा उन्हें प्रताड़ित करता है और भूखा रखता है. उन्होंने कहा, ' वह मुझे मारता है. वह मुझे चार दिन में एक बार खाना देता था और कई बार कई दिनों के लिए कमरे में बंद कर देता था. मैं वृद्धाश्रम में जाने को तैयार नहीं थी इसलिए उसने यह सब योजना बनाई. उसने मुझे जानबूझकर भूखा रखा ताकी मैं बीमार पड़ जाउं और वह मुझे अस्पताल में भर्ती कर सके.'
गीता का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि गीता को विश्वास था कि उनका बेटा उनके लिए वापस लौट कर आएगा. एसआरवी अस्पताल के डा दिपेन्द्र त्रिपाठी ने कहा, 'जब वह गया वह वहीं थीं, तो उनको वही सब याद है और कहती हैं, कि वह पैसे ले कर वापस आएगा. यह बहुत दुखद घटना है. सबसे आश्चर्य वाली बात तो यह है कि मीड़िया में रिपोर्ट आने के बाद भी उनका कोई रिश्तेदार नहीं आया.'
(इनपुट भाषा से भी)
पंड़ित ने अपने ट्वीट में कहा, 'डा त्रिपाठी, जीवनआशा वृद्धाश्रम और रमेश तौरानी जी गीता कपूर जी को आपने जो सहयोग दिया उसके लिए शुक्रिया. हम मिल कर उनका गौरव वापस लाएंगे.'
Relieved after #GeetaKapoor ji is shifted to #JeevanAsha old age home, Andheri (W). She is smiling & soon will be absolutely fine. pic.twitter.com/sAUClhlbaz
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) June 1, 2017
न्यूज एजेंसी पीटीआई को कुछ समय पहले दिए अपने इंटरव्यू में फिल्ममेकर अशोक पंडित ने कहा, 'अस्पताल का बिल देना कोई बड़ी बात नहीं है, मेरा असली उद्देश्य है कि उनका सम्मान उन्हें वापिस मिलना चाहिए. उनका बेटा अभी भी भागा हुआ है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है.' उन्होंने कहा, ' उनका परिवार अचानक गायब हो गया है, बेटे ने अपना फोन स्विच ऑफ कर लिया है. सबसे ज्यादा दुख की बात है कि वह अब भी उसका ही नाम ले रही हैं और उन्हें लगता है कि वह नीचे ही है.' उन्हें इस हालत में देखना मेरी लिए काफी दुखद है.'
Thanku #DrTripathi, #JeevanAshaOldAgeHome & @RameshTaurani ji for all ur support for #GeetaKapoor ji. We'll together, get her dignity back. pic.twitter.com/PAhHloMfEU
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) June 1, 2017
पिछले हफ्ते गीता कपूर ने मिड-डे को दिए अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उनका बेटा उन्हें प्रताड़ित करता है और भूखा रखता है. उन्होंने कहा, ' वह मुझे मारता है. वह मुझे चार दिन में एक बार खाना देता था और कई बार कई दिनों के लिए कमरे में बंद कर देता था. मैं वृद्धाश्रम में जाने को तैयार नहीं थी इसलिए उसने यह सब योजना बनाई. उसने मुझे जानबूझकर भूखा रखा ताकी मैं बीमार पड़ जाउं और वह मुझे अस्पताल में भर्ती कर सके.'
गीता का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि गीता को विश्वास था कि उनका बेटा उनके लिए वापस लौट कर आएगा. एसआरवी अस्पताल के डा दिपेन्द्र त्रिपाठी ने कहा, 'जब वह गया वह वहीं थीं, तो उनको वही सब याद है और कहती हैं, कि वह पैसे ले कर वापस आएगा. यह बहुत दुखद घटना है. सबसे आश्चर्य वाली बात तो यह है कि मीड़िया में रिपोर्ट आने के बाद भी उनका कोई रिश्तेदार नहीं आया.'
(इनपुट भाषा से भी)
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