मुंबई:
'गब्बर इज बैक' के निर्देशक हैं, कृष और मुख्य भूमिका निभाई है, अक्षय कुमार, श्रुति हसन,सुमन तलवार और सुनील ग्रोवर ने। साथ ही मेहमान भूमिका में नज़र आएंगी करीना कपूर।
फिल्म की कहानी का थोड़ा-सा हिंट दे देता हूं, आदित्य यानी अक्षय कुमार नेशनल कॉलेज में प्रोफेसर हैं और यहां के स्टूडेंट्स के फेवरेट हैं और इस कॉलेज में न तो पुलिस घुस सकती है न ही गुंडे, क्योंकि इसका कोई जवाब मेरे पास नहीं है।
इस कॉलेज में ईमानदारी की लहर बहती है और प्रोफेसर आदित्य ही गब्बर हैं, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं बाकी कहानी तो आप फिल्म देखकर ही जान सकते हैं और जाननी भी चाहिए। फिल्म चाहे खराब हो या अच्छी क्योंकि कैसी भी फिल्म हो उसमें मेहनत तो लगती ही है और पैसा भी।
अब बात यह कि मुझे फिल्म कैसी लगी तो पहले खामियों की बात कर लेते हैं। सबसे पहली खामी ये कि फिल्म कहानी और फिल्म में ऐसा कुछ नहीं, जो आपने पहले कभी न देखा हो, वही घिसापिटा विषय, कितनी ही फिल्में आ चुकी हैं, ऐसी ही कहानी पर, दूसरी चीज न तो कोई सीन और न ही कोई मोड़ सिवाय क्लाइमेक्स के जो आपको आकर्षित करता है।
फिल्म के डायलॉग्स हो या स्क्रिप्ट कहीं भी आप उसके साथ जुड़ नहीं पाते। अक्षय डायलॉग्स बोलते हैं, पर उनका असर आप महसूस नहीं करते। आप फिल्म देखते रहते हैं और बिना इसे महसूस किए सिनेमा हॉल से बाहर निकल जाते हैं। गब्बर का निर्देशन भी मुझे कमजोर लगा। खैर ये थी खामियां. अब बात खूबियों कीं।
खूबियों में पहले अभिनय की बात कर लेते हैं। फिल्म में सुनील ग्रोवर का किरदार बहुत अच्छे से उभर कर आता है और उन्होंने काम भी अच्छा किया है। श्रुति के पास करने को फिल्म में ज़्यादा कुछ नहीं है पर वह जहां भी हैं, अपने किरदार के सुर से नहीं भटकतीं।
अक्षय की कद-काठी के लिए यह किरदार बिल्कुल ठीक है पर वह किरदार को प्रभावशाली नहीं बना पाते। हां, उनका एक्शन अच्छा है। अक्षय के फैन्स शायद फिल्म का मजा उठा सकें। सुमन तलवार जो कि फिल्म में विलेन हैं, वह भी कोई छाप नहीं छोड़ पाते। गानों की बात करें तो फ़िल्म का गाना तेरी मेरी कहानी ठीक हैं...बाकी आप फिल्म देखिए शायद फिल्म में आपको कुछ और खूबियां दिख जाएं, तो बाकी फ़ैसला आपके हाथ में मेरी और से 'गब्बर इज बैक' को दो स्टार्स।
फिल्म की कहानी का थोड़ा-सा हिंट दे देता हूं, आदित्य यानी अक्षय कुमार नेशनल कॉलेज में प्रोफेसर हैं और यहां के स्टूडेंट्स के फेवरेट हैं और इस कॉलेज में न तो पुलिस घुस सकती है न ही गुंडे, क्योंकि इसका कोई जवाब मेरे पास नहीं है।
इस कॉलेज में ईमानदारी की लहर बहती है और प्रोफेसर आदित्य ही गब्बर हैं, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं बाकी कहानी तो आप फिल्म देखकर ही जान सकते हैं और जाननी भी चाहिए। फिल्म चाहे खराब हो या अच्छी क्योंकि कैसी भी फिल्म हो उसमें मेहनत तो लगती ही है और पैसा भी।
अब बात यह कि मुझे फिल्म कैसी लगी तो पहले खामियों की बात कर लेते हैं। सबसे पहली खामी ये कि फिल्म कहानी और फिल्म में ऐसा कुछ नहीं, जो आपने पहले कभी न देखा हो, वही घिसापिटा विषय, कितनी ही फिल्में आ चुकी हैं, ऐसी ही कहानी पर, दूसरी चीज न तो कोई सीन और न ही कोई मोड़ सिवाय क्लाइमेक्स के जो आपको आकर्षित करता है।
फिल्म के डायलॉग्स हो या स्क्रिप्ट कहीं भी आप उसके साथ जुड़ नहीं पाते। अक्षय डायलॉग्स बोलते हैं, पर उनका असर आप महसूस नहीं करते। आप फिल्म देखते रहते हैं और बिना इसे महसूस किए सिनेमा हॉल से बाहर निकल जाते हैं। गब्बर का निर्देशन भी मुझे कमजोर लगा। खैर ये थी खामियां. अब बात खूबियों कीं।
खूबियों में पहले अभिनय की बात कर लेते हैं। फिल्म में सुनील ग्रोवर का किरदार बहुत अच्छे से उभर कर आता है और उन्होंने काम भी अच्छा किया है। श्रुति के पास करने को फिल्म में ज़्यादा कुछ नहीं है पर वह जहां भी हैं, अपने किरदार के सुर से नहीं भटकतीं।
अक्षय की कद-काठी के लिए यह किरदार बिल्कुल ठीक है पर वह किरदार को प्रभावशाली नहीं बना पाते। हां, उनका एक्शन अच्छा है। अक्षय के फैन्स शायद फिल्म का मजा उठा सकें। सुमन तलवार जो कि फिल्म में विलेन हैं, वह भी कोई छाप नहीं छोड़ पाते। गानों की बात करें तो फ़िल्म का गाना तेरी मेरी कहानी ठीक हैं...बाकी आप फिल्म देखिए शायद फिल्म में आपको कुछ और खूबियां दिख जाएं, तो बाकी फ़ैसला आपके हाथ में मेरी और से 'गब्बर इज बैक' को दो स्टार्स।
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