मुंबई:
फेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लोयी (FWICE) के कर्मचारियों ने 6 मई से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। इन्होंने बॉलीवुड निर्माताओं को चेतावनी दे दी है कि अगर उनकी मागों को पूरा नहीं किया गया तो वो हड़ताल पर जाएंगे। कैमरे के पीछे काम करने वाले सभी कर्मचारियों ने अपनी मांग निर्माताओं तक पहुंचा दी है।
यानी अगर ऐसा हुआ तो 6 मई से बॉलीवुड की शूटिंग पर ताला लग सकता है, क्योंकि फ़िल्म इंडस्ट्री में कैमरे के पीछे काम करने वाले सभी टेक्निशियन्स की संस्थाओं ने एक साथ मिलकर निर्माताओं को हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी है।
द साउंड एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष बीएन तिवारी ने बताया की 'FWICE के अंडर में वर्कर्स की 22 संस्थाएं आती हैं और हम सबने बॉलीवुड में काम करने वालों को बता दिया है कि 6 मई से हम सब हड़ताल पर जा रहे हैं, इसलिए वो देश के किसी भी हिस्से में शूटिंग कर रहे हों 5 मई की शाम अपना पैकअप करके मुम्बई लौट आएं। हमने निर्माताओं की सभी संस्थाओं को खबर दे दी है कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो हम सब हड़ताल पर जाएंगे, जिसके लिए हमारी मीटिंग चल रही है। अगर हमारी मांगें मान ली गईं तो हड़ताल रुक भी सकती है, क्योंकि हम यहां काम करने आए हैं। बस हमें मेहनत-मज़दूरी के बदले रोटी मिलनी चाहिए।'
FWICE के अंडर करीब 22 संस्थाएं आती हैं जिनमें लाइटमैन, स्पॉट बॉयज, साउंड इंजीनियर्स से लेकर वीडियो एडिटर्स और सिनेमटोग्राफर्स तक की यूनियन शामिल है। इनकी मांगों में मुख्य हैं कामगारों की सुरक्षा, क्योंकि कई बार हादसों की वजह से इनकी मौत हो जाती है। ये नंगे पैर बिजली की खुली तारों पर चढ़ जाते हैं, लाइटिंग के लिए ऊंचे-ऊंचे छतों से लटके रहते हैं। इसलिए इनके लिए सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट और जूतों का इंतेज़ाम निर्माता की तरफ से होना चाहिए।
इनकी मांग ये भी है कि काम करने का घंटा तय हो और मेहनताना तय समय पर मिले साथ ही पिछले 5 सालों से मज़दूरी नहीं बढ़ी है, जबकि महंगाई हर साल बढ़ती है। इसलिए इन्होंने अपनी मज़दूरी में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी मांगी है।
बीएन तिवारी ने कहा कि 'सुरक्षा ज़रूरी है साथ ही हमसे 20-20 घंटे काम करवाए जाते हैं और अगर किसी ने आवाज़ उठाई तो दूसरे दिन उससे काम छीन लिया जाता है। 3-3 महीने तक पैसे नहीं मिलते, जिससे हमें घर चलना मुश्किल होता है साथ ही 5 साल पुराने मेहनताने को बढ़ाने की मांग की है जो 50 फीसदी है, लेकिन ये कम भी हो सकती है अगर निर्माता बैठकर बात करें।'
दरअसल हर 5 साल में इन कर्मचारियों और निर्माताओं के बीच इन्हीं मसलों और मांगों को लेकर MOU साईन होता है। पिछला MOU फरवरी में ख़त्म हो चुका है और बॉलीवुड की ये मज़दूर यूनियन इसमें कुछ बदलाव करके नया MOU बनाना चाहती हैं और जिसके लिए पिछले 2 महीनों से ये संस्था निर्माताओं की संस्थाओं के दरवाज़े खटखटा रही है। बुधवार शाम भी एक बैठक हुई निर्माताओं और वर्कर्स की संस्थाओं के बीच जो बिना किसी नतीजे के ख़त्म हो गई।
यानी अगर ऐसा हुआ तो 6 मई से बॉलीवुड की शूटिंग पर ताला लग सकता है, क्योंकि फ़िल्म इंडस्ट्री में कैमरे के पीछे काम करने वाले सभी टेक्निशियन्स की संस्थाओं ने एक साथ मिलकर निर्माताओं को हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी है।
द साउंड एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष बीएन तिवारी ने बताया की 'FWICE के अंडर में वर्कर्स की 22 संस्थाएं आती हैं और हम सबने बॉलीवुड में काम करने वालों को बता दिया है कि 6 मई से हम सब हड़ताल पर जा रहे हैं, इसलिए वो देश के किसी भी हिस्से में शूटिंग कर रहे हों 5 मई की शाम अपना पैकअप करके मुम्बई लौट आएं। हमने निर्माताओं की सभी संस्थाओं को खबर दे दी है कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो हम सब हड़ताल पर जाएंगे, जिसके लिए हमारी मीटिंग चल रही है। अगर हमारी मांगें मान ली गईं तो हड़ताल रुक भी सकती है, क्योंकि हम यहां काम करने आए हैं। बस हमें मेहनत-मज़दूरी के बदले रोटी मिलनी चाहिए।'
FWICE के अंडर करीब 22 संस्थाएं आती हैं जिनमें लाइटमैन, स्पॉट बॉयज, साउंड इंजीनियर्स से लेकर वीडियो एडिटर्स और सिनेमटोग्राफर्स तक की यूनियन शामिल है। इनकी मांगों में मुख्य हैं कामगारों की सुरक्षा, क्योंकि कई बार हादसों की वजह से इनकी मौत हो जाती है। ये नंगे पैर बिजली की खुली तारों पर चढ़ जाते हैं, लाइटिंग के लिए ऊंचे-ऊंचे छतों से लटके रहते हैं। इसलिए इनके लिए सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट और जूतों का इंतेज़ाम निर्माता की तरफ से होना चाहिए।
इनकी मांग ये भी है कि काम करने का घंटा तय हो और मेहनताना तय समय पर मिले साथ ही पिछले 5 सालों से मज़दूरी नहीं बढ़ी है, जबकि महंगाई हर साल बढ़ती है। इसलिए इन्होंने अपनी मज़दूरी में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी मांगी है।
बीएन तिवारी ने कहा कि 'सुरक्षा ज़रूरी है साथ ही हमसे 20-20 घंटे काम करवाए जाते हैं और अगर किसी ने आवाज़ उठाई तो दूसरे दिन उससे काम छीन लिया जाता है। 3-3 महीने तक पैसे नहीं मिलते, जिससे हमें घर चलना मुश्किल होता है साथ ही 5 साल पुराने मेहनताने को बढ़ाने की मांग की है जो 50 फीसदी है, लेकिन ये कम भी हो सकती है अगर निर्माता बैठकर बात करें।'
दरअसल हर 5 साल में इन कर्मचारियों और निर्माताओं के बीच इन्हीं मसलों और मांगों को लेकर MOU साईन होता है। पिछला MOU फरवरी में ख़त्म हो चुका है और बॉलीवुड की ये मज़दूर यूनियन इसमें कुछ बदलाव करके नया MOU बनाना चाहती हैं और जिसके लिए पिछले 2 महीनों से ये संस्था निर्माताओं की संस्थाओं के दरवाज़े खटखटा रही है। बुधवार शाम भी एक बैठक हुई निर्माताओं और वर्कर्स की संस्थाओं के बीच जो बिना किसी नतीजे के ख़त्म हो गई।
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