वित्त मंत्री अरुण जेटली
नई दिल्ली:
पिछले साल 8 नवबंर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालाधन के खिलाफ बड़ा फैसला लेते हुए देश में 500 और 1000 के नोटों पर बैन लगा दिया था. जिसके बाद देशभर की जनता ने नए नोटों के लिए महीनों तक एटीएम के बाहर लंबी कतारों में घंटों खड़े होकर पैसे निकाले. विपक्ष पार्टियों ने इस फैसले का न सिर्फ विरोध करते आए, बल्कि इस देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने का सबसे बड़ी वजह भी बताई. बुधवार को नोटबंदी के एक साल पूरे होने की पूर्व संध्या पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई बातों पर चर्चा की. उन्होंने भारत में नोटबंदी के बाद होने वाले फायदे-नुकसानों के बारे में भी बताया.
नोटबंदी पर वित्त मंत्री जेटली का बयान
- जेटली ने कहा कि नोटबंदी एक नैतिक एवं आदर्शवादी आर्थिक कवायद थी जिसने आर्थिक व्यवस्था को पारदर्शी, निष्पक्ष एवं ईमानदार बनाने की पहल की.
- उन्होंने कहा कि देश को एक विकसित देश बनना है, तो इस बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में नकद धीरे धीरे कम करना, औपचारिक, साफ सुथरा और पारदर्शी बनाना जरूरी है.
- वित्त मंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और व्यापक हित के लिए अर्थव्यवस्था में यथास्थितिवाद को बदलना नोटबंदी का एक मकसद था.
- जेटली ने कहा एसआईटी का गठन, विदेशों से बदले नियम आदि चीजों पर काम किया गया.
- खर्चों पर नजर रखना, बेनामी कानून लाना, अप्रत्यक्ष कर के सिस्टम को बदलना आदि काम कर सरकार ने कदम उठाए.
- वित्त मंत्री के मुताबिक छले एक वर्ष में रिसोर्स अवेलिबिलिटी बढ़ी है. बैंकों में, बाजारों में पैसा बढ़ा है. यह अर्थव्यवस्था के लिए ठीक है.
- जेटली ने कहा कि नोटबंदी से लैशकैश इकॉनमी की ओर बढ़ने का प्रयास जारी है.
- उन्होंने कहा कि टैक्स देने वालों की संख्या में तेजी और डिजिटल ट्रांसजेक्सन बढ़ा है.
- उन्होंने बताया कि आतंकियों की फंडिंग पर अंकुश लगा है.
- वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बाद अपना अगला टारगेट बेनामी संपत्ति को बनाया है और इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर पूरे देश में अभियान चलाया जाएगा.