नई दिल्ली:
भारत के इतिहास के सबसे बड़े टैक्स सुधार गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी का रास्ता साफ करने के लिए संविधान में आवश्यक संशोधन से संबंधित विधेयक को पारित करने के लिए संसद के उच्च सदन राज्यसभा ने सभी पार्टियों ने दुर्लभ मतैक्य का प्रदर्शन किया और बिल को निर्विरोध पारित कर दिया... कांग्रेस ने अपने वादे के मुताबिक बिल के पक्ष में मतदान किया, जबकि सिर्फ एआईएडीएमके के सदस्य इसके विरोध में थे, जिन्होंने मतदान न कर वॉकआउट किया...
जीएसटी बिल से जुड़े 10 महत्वपूर्ण तथ्य...
- सात घंटे तक बिल पर चली बहस के बाद वोट देने वाले सभी 203 सांसदों ने 122वें संविधान संशोधन बिल के पक्ष में वोट दिया... दिलचस्प तथ्य यही रहा कि जिस सदन में सरकार अल्पमत में है, वहां बिल के विरोध में कोई वोट नहीं डाला गया...
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा, "राज्यसभा में जीएसटी बिल के पारित हो जाने के इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं सभी पार्टियों के नेताओं और सदस्यों का धन्यवाद करता हूं... देश को 21वीं सदी की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था प्रदान करने का ऐतिहासिक फैसला करने के लिए हमारे सभी सांसद बधाई के पात्र हैं..."
- पहली बार घोषित किए जाने के 10 साल बाद जीएसटी बिल को पारित करवाने तक लेकर आने में अहम भूमिका निभाने वाले वित्तमंत्री अरुण जेटली को उनके सहयोगियों ने केक खिलाकर बधाई दी... संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा, "हैप्पी बर्थडे जीएसटी..."
- कई केंद्रीय और राज्यीय करों के स्थान पर लागू होने जा रहे जीएसटी में टैक्स की दर और उसका दायरा तय किया जाना अभी शेष है... कांग्रेस तथा अन्य पार्टियां चेता चुकी हैं कि इस दर को 18 फीसदी से ज़्यादा नहीं होना चाहिए... वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी वादा किया है कि वह दर को 'उदार' रखने का हरसंभव प्रयास करेंगे...
- परन्तु वोटिंग से तुरंत पहले कांग्रेस का वित्तमंत्री अरुण जेटली के साथ कुछ बहस-मुबाहिसा हुआ, क्योंकि कांग्रेस के मुताबिक वित्तमंत्री ने सांसदों को यह आश्वासन नहीं दिया कि इस बड़े टैक्स सुधार को लागू करवाने के लिए प्रतिबद्ध सरकार उच्च सदन की अनदेखी करने की कोशिश नहीं करेगी... वैसे, अधिकतर अन्य विपक्षी नेता भी अपने-अपने भाषण में वित्तमंत्री की ओर से आश्वासन दिए जाने की कांग्रेस की मांग को ही दोहराते सुनाई दिए... विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह राज्यसभा को दरकिनार करने के लिए बार-बार विधेयकों को 'धन विधेयकों' के रूप में पेश कर रही है...
- वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि दोनों सदनों को जीएसटी से जुड़े महत्वपूर्ण फैसलों पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा, लेकिन उन्होंने ऐसा आश्वासन नहीं दिया कि इस टैक्स सुधार का अगला अहम कदम, यानी मुख्य जीएसटी विधेयक 'धन विधेयक' के रूप में नहीं, 'वित्त विधेयक' के रूप में पेश किया जाएगा... दरअसल, 'धन विधेयक' पर राज्यसभा चर्चा तो कर सकती है, लेकिन उसे पारित करने के लिए केवल लोकसभा द्वारा पास किया जाना ज़रूरी होता है...
- वित्तमंत्री का कहना था, "किसी भी तरह की किसी भी मांग के लिए संविधान को दरकिनार नहीं किया जा सकता..." उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों तथा पूर्व में मौजूद उदाहरणों पर टिके रहने का वचन दिया... अरुण जेटली ने ज़ोर देकर कहा कि सरकार की 'राज्यसभा को दरकिनार करने की कोई मंशा नहीं है...' सात घंटे तक चली बहस का जवाब देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उस डर को दूर करने का आग्रह किया कि अगर जीएसटी बिल में अधिकतम सीमा दर्ज नहीं की जाएगी, तो टैक्स की दर को बढ़ा दिया जाएगा... उन्होंने कहा, "जीएसटी के तहत दरों को नीचे लाना ही होगा... हम एक जायज़ दर तय करने के लिए काम करेंगे..."
- लंबे समय तक चले विचार-विमर्शों और बातचीत के बाद बुधवार को पेश किए गए बिल के लिए सरकार ने अधिकतर पार्टियों का समर्थन जुटा लिया था, लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि इस बिल का पक्ष लेने का अर्थ यह नहीं है कि जीएसटी की दरें तय करने के लिए पेश किए जाने वाले भावी बिलों को भी स्वतः समर्थन मिल जाएगा...
- अब बुधवार को राज्यसभा में पारित हुआ बिल वापस लोकसभा के पास भेजा जाएगा, जिसने इसे पिछले साल ही पारित कर दिया था... बुधवार को पेश हुए संविधान संशोधन बिल को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी, लेकिन अब जीएसटी से जुड़े बाकी बिलों को पारित करने के लिए साधारण बहुमत ही काफी होगा... इसके बाद इसे राष्ट्रपति के अतिरिक्त देश के कुल 29 राज्यों में से आधे 15 राज्यों से भी मंजूरी लेनी होगी...
- एक जीएसटी काउंसिल का गठन किया जाएगा, जिसमें राज्य और केंद्र सरकारें सदस्य होंगी... यही काउंसिल टैक्स की दरों और अन्य नियम-विनियमों के बारे में सुझाव देगी... संसद को जीएसटी से संबद्ध दो और विधेयक पारित करने होंगे, तथा प्रत्येक राज्य को खुद का कानून पारित करना होगा... वित्तमंत्री अरुण जेटली का कहना है कि वह चाहते हैं कि जीएसटी अप्रैल, 2017 तक लागू हो जाए, जिससे देशभर में जारी ढेरों केंद्रीय और राज्यीय करों के स्थान पर एक राष्ट्रीय कर व्यवस्था लागू हो जाएगी...