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देश के कई राज्‍यों में किसानों का 'गांव बंद', फलों, सब्ज़ियों की सप्लाई पर असर - 11 खास बातें

दिल्ली की अलग-अलग मंडियों में सब्ज़ी की सप्लाई कम हुई है जिससे क़ीमत बढ़ना तय माना जा रहा है. तो साफ़ है इसका असर राजधानी दिल्ली की मंडियों पर भी देखने को मिलेगा.

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नई दिल्‍ली:

देश के कई राज्यों के किसानों ने शुकव्रार से 10 दिन का गांव बंद बुलाया है. देशभर के कई किसान संगठनों ने लंबे समय से अपनी मांगों को नहीं माने जाने के विरोध में बंद बुलाया है. इस बंद में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों के किसान शामिल हैं. इनकी मुख्य मांग है कि इनकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इन्हें दिया जाए. साथ ही फलों और सब्ज़ियों का भी न्यूनतम मूल्य तय किया जाए. किसान लंबे समय से दूध की न्यूनतम क़ीमत 27 रुपये लीटर करने की मांग कर रहे हैं. बंद के दौरान किसान कई जगह घेराव करेंगे. साथ ही वे रैलियां भी निकालेंगे. इस हड़ताल से दूध, फल सब्ज़ियों की सप्लाई पर असर पड़ रहा है. दिल्ली की अलग-अलग मंडियों में सब्ज़ी की सप्लाई कम हुई है जिससे क़ीमत बढ़ना तय माना जा रहा है. तो साफ़ है इसका असर राजधानी दिल्ली की मंडियों पर भी देखने को मिलेगा.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां

  1. राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिवकुमार शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मध्यप्रदेश सहित देश के 22 राज्यों में देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ आज से शुरू हो गया है.’’ शर्मा जनता के बीच कक्काजी के नाम से मशहूर हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह आदोलन 10 दिनों तक चलेगा.’’
  2. कक्काजी ने बताया, ‘’इस आंदोलन के अंतिम दिन 10 जून को ‘भारत बंद’ का आह्वान पूरे देश के किसान संगठनों द्वारा किया जायेगा तथा शहर के व्यापारियों, समस्त प्रतिष्ठानों से निवेदन किया जायेगा कि देश के इतिहास में पहली बार अन्नदाता अपनी बुनियादी मांगों को लेकर ‘भारत बंद’ का आह्वान कर रहा है. इसलिए उस दिन (10 जून) वे दोपहर 2 बजे तक अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर अन्नदाता के आंदोलन में सहयोग प्रदान करें.’’
  3. उन्होंने कहा कि देश के किसान मुख्य रूप से अपनी चार मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं, जिनमें देश के समस्त किसानों का सम्पूर्ण कर्ज मुक्त करना, किसानों को उनकी उपज का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिलना, अत्यंत लघु किसान, जो अपने उत्पादन विक्रय करने मंडी तक नहीं पहुंच पाते, उनके परिवार के जीवनयापन हेतु उनकी आय सुनिश्चित करना एवं दूध, फल, सब्जी, आलू, प्याज, लहसुन, टमाटर इत्यादि का लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य निर्धारित करना एवं सभी फसलों को क्रय करने की सरकार द्वारा गारंटी का कानून बनाया जाना शामिल है.
  4. केंद्र सरकार की कथित किसान विरोधी नीतियों के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत पंजाब और हरियाणा में भी किसानों ने शहरों को सब्जियों, फलों, दूध और अन्य खाद्य पदार्थों की आपूर्ति रोक दी. भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने दावा किया, ‘‘हमें इस आंदोल में किसान बंधुओं से बहुत अच्छा समर्थन मिल रहा है. राज्य (पंजाब) में ज्यादातर स्थानों पर किसानों ने शहरों में बिक्री के लिए सब्जियां, दूध और अन्य खाद्य पदार्थों को लाना बंद कर दिया है.’’
  5. बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘‘किसी भी किसान को अपनी उपज लाने से नहीं रोका गया है. किसान केंद्र सरकार से इतना नाराज है कि वे अपने मन से ही इस आंदोलन का हिस्सा बन गये.’’ एक जून से दस जून तक आपूर्ति बंद करने का फैसला किसानों ने किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले किया है.
  6. राजेवाल ने दावा किया कि केवल पंजाब और हरियाणा में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में भी किसान अपनी उपज शहरों में नहीं बेच रहे हैं. बीकेयू के हरियाणा अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंदूनी ने कहा, ‘‘हरियाणा में भी किसान हमारा समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने सब्जियों, दूध आदि की आपूर्ति बंद कर दी है.’’
  7. 10 दिवसीय किसान आंदोलन के पहले दिन मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में फल-सब्जियों की आवक पर हालांकि, बेहद मामूली असर नजर आया. लेकिन सब्जियों के पर्याप्त खरीदारों के थोक मंडी नहीं पहुंचने पर इनके भाव घटकर आधे रह गये. आंदोलन से जुड़े कृषक संगठनों ने किसानों से अपील की है कि वे 10 जून तक चलने वाले 'ग्राम बंद' के दौरान गांवों से शहरों को फल-सब्जियों और दूध की आपूर्ति रोक दें.
  8. इंदौर की देवी अहिल्याबाई होल्कर फल एवं सब्जी मंडी के एक अधिकारी ने बताया कि मंडी में फल-सब्जियों की आवक में शुक्रवार को 10 से 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी. इस मंडी को थोक व्यापार के मामले में प्रदेश की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी माना जाता है.
  9. मंडी के सब्जी कारोबारी संघ के अध्यक्ष सुंदरदास माखीजा ने बताया, "मंडी में मध्यप्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों से माल तो लगभग पर्याप्त मात्रा में आया. लेकिन किसान आंदोलन से जुड़ी आशंकाओं के कारण खासकर आस-पास के जिलों से सब्जियों के खरीदारों की तादाद घट गयी. इससे मंडी में अधिकांश सब्जियों के दामों में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी."
  10. उन्होंने कहा, ​"पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान उग्र प्रदर्शनकारियों ने उन लोगों के वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया था जो इंदौर की फल-सब्जी मंडी से माल खरीदकर जा रहे थे." माखीजा ने बताया कि देवी अहिल्याबाई होलकर फल-सब्जी मंडी में आज उस टमाटर के थोक भाव घटकर 10 से 15 रुपये ​प्रति किलोग्राम रह गये, जो परसों 30 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा था. इसी तरह, भिंडी, टिंडा, करेला, ग्वार फली और हरी मिर्च के थोक दाम भी परसों की तुलना में घटकर आधे रह गये.
  11. किसान आंदोलन के मद्देनजर स्थानीय फल-सब्जी मंडी परिसर में पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये थे. इस बीच, इंदौर दूध विक्रेता संघ के अध्यक्ष भारत मथुरावाला ने बताया कि शहर में दूध की आपूर्ति सामान्य रही और आस-पास के इलाकों से आम दिनों की तरह दूध आया.


VIDEO: मंदसौर कांड की पहली बरसी पर किसानों का 'गांव बंद' का ऐलान

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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