कॉलेजियम ने वकील सौरभ कृपाल की दिल्ली हाई कोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश की थी.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू कॉलेजियम को पहले ही एलियन बता चुके हैं. अब कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्ति की सिफारिश के साथ भेजी गई फाइलों को लौटा दिया है. मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से 10 फाइलों पर दोबारा विचार करने को कहा है. कोर्ट ने मंत्रालय को कुछ फाइलें भेजी थी, जो जजों की नियुक्ति से संबंधित थी. लौटाई गई फाइलों में वकील सौरभ किरपाल की भी फाइल है, जो खुद के समलैंगिक होने के बारे में बता चुके हैं.
- इस महीने की शुरुआत में एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में वकील सौरभ किरपाल ने कहा कि उनका मानना है कि उनके समलैंगिक होने के कारण उनके प्रमोशन को तिरस्कार के साथ देखा गया.
- 50 वर्षीय किरपाल ने NDTV को बताया, "इसका कारण मेरी कामुकता है, मुझे नहीं लगता कि सरकार खुले तौर पर समलैंगिक व्यक्ति को बेंच में नियुक्त करना चाहती है." कम से कम 2017 से उनकी पदोन्नति रुकी हुई थी. सौरभ किरपाल देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश बीएन किरपाल के बेटे हैं.
- नियुक्ति प्रक्रिया के जानकार सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने सिफारिश किए गए नामों पर कड़ी आपत्ति जताई और बीते 25 नवंबर को फाइलें कॉलेजियम को वापस कर दीं. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमणा की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने वकील सौरभ किरपाल की दिल्ली हाई कोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश की थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की देरी पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने देरी पर कहा कि यह नियुक्ति के तरीके को प्रभावी रूप से विफल करता है. कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जजों की बेंच ने जो समय-सीमा तय की थी उसका पालन करना होगा.
- जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की बेंच ने यह भी कहा कि, “ऐसा लगता है कि केंद्र इस सच्चाई से नाखुश है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को मंजूरी नहीं मिली. कोर्ट ने कहा, लेकिन यह देश के कानून के शासन को नहीं मानने की वजह नहीं हो सकती है.
- सुप्रीम कोर्ट ने 2015 के अपने फैसले में एनजेएसी अधिनियम और संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 को रद्द कर दिया था, जिससे सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति करने वाली जजों की मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम बहाल हो गई थी. जस्टिस कौल ने कहा कि कई बार कानून को मंजूरी मिल जाती है और कई बार नहीं मिलती.
- उन्होंने कहा, 'यह देश के कानून के शासन को नहीं मानने की वजह नहीं हो सकती.” बेंच ने कहा कि कुछ नाम डेढ़ साल से सरकार के पास लंबित हैं. कभी सिफारिशों में सिर्फ एक नाम चुना जाता है. कोर्ट ने कहा, आप नियुक्ति के तरीके को प्रभावी ढंग से विफल कर रहे हैं.
- केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को एलियन बताया था. उन्होंने कहा था कि सरकार कॉलिजियम सिस्टम का तबतक सम्मान करती है, जब किसी और सिस्टम से इसे रिप्लेस नहीं किया जाता. कानून मंत्री ने यह भी कहा था कि कॉलेजियम में खामियां हैं और यह ट्रांसपेरेंट नहीं है.
- उन्होंने कहा कि “फिर फाइल सरकार को मत भेजिए. आप खुद को नियुक्त करते हैं और आप शो चलाते हैं, सिस्टम काम नहीं करता है. कार्यपालिका और न्यायपालिका को मिलकर काम करना होगा.”
- कोर्ट ने कहा कि एक बार कॉलेजियम ने किसी नाम का सुझाव दिया तो बात वहीं खत्म हो जाती है. ऐसी कोई स्थिति नहीं बननी चाहिए जहां हम नाम सुझा रहे हैं और सरकार उन नामों पर कुंडली मारकर बैठ गई है. ऐसा करने से पूरा सिस्टम फ्रस्ट्रेट होता है.