Bihar Crisis : बिहार में बीजेपी औऱ जेडीयू गठबंधन में मतभेदों के बीज चुनाव नतीजों के साथ ही पड़ गए थे
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर सियासी करवट लेते हुए बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ते हुए आरजेडी और अन्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन की सरकार बनाने का निर्णय़ लिया है. लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों डबल इंजन की ताकत के बावजूद नीतीश ने राजनीतिक ट्रैक बदलने का जोखिम मोल लिया. केंद्र में मोदी सरकार के अभी करीब ढाई साल के बाकी बचे कार्यकाल के पहले ही उनका ये कदम क्या केंद्र की राजनीति में आने और क्षेत्रीय दलों के लिए खतरा बनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी से सीधा मुकाबला करने की आखिरी कोशिश है? क्या ये जेडीयू के अस्तित्व की लड़ाई है या नीतीश कुमार के ?
- बिहार में बीजेपी औऱ जेडीयू गठबंधन में मतभेदों के बीज चुनाव नतीजों के साथ ही पड़ गए थे, जब लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने सुनियोजित तरीके से जेडीयू प्रत्याशियों के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे और पार्टी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया. आऱोप लगा कि चिराग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे थे, ये टीस नीतीश के मन में दबी रही, भले ही सार्वजनिक तौर पर वो कुछ नहीं बोले.
- जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी बिहार और केंद्र के बीच खुलकर नीतिगत मतभेद सामने आए. नीतीश सरकार ने स्वयं बिहार में जातीय जनगणना का ऐलान किया और इस मुद्दे पर जेडीयू और विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल एक साथ खड़े दिखाई दिए.
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा दिलाने के लिए लंबे वक्त से प्रयासरत रहे हैं, लेकिन पीएम मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह के दौरान सार्वजनिक तौर पर नीतीश के सामने ही इस मांग को सिरे से नकार दिया.
- सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना को लेकर बिहार में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. डिप्टी सीएम समेत बीजेपी नेताओं और उनके कार्यालयों को भी निशाना बनाया गया. इस मामले में नीतीश कुमार की चुप्पी बीजेपी को नागवार गुजरी. टकराव इतना बढ़ा कि बिहार के नेताओं को केंद्रीय सुरक्षा देनी पड़ी.
- जनसंख्या नियंत्रण, लव जिहाद, समान नागरिक संहिता जैसे कई मु्द्दे हैं, जिन पर बीजेपी और जेडीयू का रुख एकदम उलट है. ऐसे सवालों पर नीतीश कुमार असहज दिखते हैं और जेडीयू विपक्षी दलों का सॉफ्ट टारगेट बन जाती है.
- नीतीश कुमार की नाक का सवाल बने शराबबंदी के मुद्दे पर बीजेपी उन पर हमलावर रही है. जहरीली शराब से मौतों की घटनाओं को लेकर बीजेपी ने उन पर निशाना साधा, लेकिन नीतीश अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
- बिहार के स्पीकर विजय सिन्हा को लेकर नीतीश कुमार जिस तरह भरी विधानसभा में आगबबूला हुए थे, उनका वो रूप देखकर हर कोई हैरान रह गया. हालांकि बीजेपी भी अपमान का कड़वा घूंट पीकर रह गई, लेकिन विजय सिन्हा के साथ खुलकर खड़ी भी नहीं हो पाई.
- केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की मोदी के मंत्रिमंडल में मौजूदगी औऱ महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी चुप्पी को लेकर जेडीयू बेहद आशंकित थी. केंद्रीय मंत्रिमंडल में भागीदारी बढ़ाने की उसकी मांग की अनदेखी ने इस नाराजगी को और हवा दी.
- बिहार विधानसभा के पिछले सत्र के दौरान नीतीश कुमार ने पहली बार बीजेपी औऱ जेडीयू के संयुक्त विधायक दल की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. इससे नीतीश कुमार के बदलते सियासी रुख का अंदाजा होने लगा.
- नीतीश के बदलते अंदाज का ताजा इशारा तब मिला जब वो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथग्रहण समारोह में नहीं गए. उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में भी वो शामिल नहीं हुए.