- गौतम अदाणी ने आईआईटी खड़गपुर के प्लैटिनम जुबिली समारोह में युवाओं को आज के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताया.
- उन्होंने भारत की तकनीकी और ऊर्जा निर्भरता पर चिंता व्यक्त करते हुए आत्मनिर्भरता को राष्ट्रीय आवश्यकता बताया.
- अदाणी ने बताया कि आज के युद्ध पारंपरिक नहीं, बल्कि तकनीकी और डेटा केंद्रों में लड़े जाते हैं.
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने सोमवार को आईआईटी खड़गपुर के प्लैटिनम जुबिली समारोह को संबोधित किया. इस दौरान वो दार्शनिक, इतिहासकार और भविष्यवक्ता के रूप में नजर आए. उन्होंने युवाओं को आज के जमाने का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताते हुए अपील की कि वो वेतन के बजाय विरासत का चुनाव करें. इस अवसर पर उन्होंने अपनी जीवन यात्रा की कहानी सुनाई और अपने जीवन के दर्शन पर प्रकाश डाला. उन्होंने युद्ध और टेक्नोलॉजी के जरिए भारत के भविष्य का खाका खींचा और आज के संदर्भ में स्वतंत्रता के मायने बताए. इस अवसर पर उन्होंने 'अदाणी-आईआईटी प्लेटिनम जयंती चेंज मेकर्स' फेलोशिप की घोषणा की.
विकसित भारत का सपना और युवाओं का योगदान
संस्थान के प्लेटिनम जयंती समारोह को संबोधित करते हुए, गौतम अदाणी ने कहा कि आज युवा भारतीयों के सामने एक स्पष्ट विकल्प है, विदेशों में सुरक्षित नौकरियों के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों में शामिल होना या भारत में रहकर एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना जो 2050 तक 25 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है. उन्होंने कहा कि एक ट्रेन आपको वेतन की ओर ले जाती है और दूसरी आपको विरासत की ओर ले जाती है. केवल एक ही ट्रेन भारत के निर्माण का गौरव लेकर चलती है.
Kharagpur, West Bengal: Adani Group Chairman Gautam Adani says, "I have been an entrepreneur since the age of 16. I have navigated multiple cycles of disruptions, many moments of transformation, and built businesses through both crisis and opportunity. But I can tell you with… pic.twitter.com/RitE4t3cuo
— IANS (@ians_india) August 18, 2025
इस अवसर पर गौतम अदाणी ने 'आईआईटी प्लेटिनम जुबिली चेंज मेकर्स' फेलोशिप की घोषणा की. इसके साथ ही उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स और हवाई अड्डों पर लिविंग लैबोरेटरीज के स्थापना की घोषणा की ताकि आईआईटियंस वास्तविक दुनिया की चुनौतियों पर अपने विचारों का परीक्षण कर सकें. अदाणी ग्रुप के प्रमुख ने छात्रों को चार सूत्र भी दिए, भारत के नए स्वतंत्रता सेनानी बनें, भारत के लिए निर्माण करें, हमारी नींव को मजबूत करें और भारत के लिए एक टीम के रूप में आगे बढ़ें.
इस अवसर पर उन्होंने अपनी अब तक की यात्रा को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने 16 साल की उम्र में अहमदाबाद छोड़कर मुंबई की यात्रा की, जिसमें उनके पास केवल अपने भविष्य में विश्वास था. राजनीतिक स्वतंत्रता से लेकर प्रौद्योगिकी निर्भरता तक भारत की यात्रा का जिक्र करते हुए, गौतम अदाणी ने तर्क दिया कि 21वीं सदी में सच्ची स्वतंत्रता केवल सेमीकंडक्टर, ऊर्जा, रक्षा प्रणालियों और डेटा संप्रभुता में आत्मनिर्भरता के साथ आएगी. उन्होंने कहा कि यही वह स्वतंत्रता है जिसके लिए हमें अब लड़ना होगा, आत्मनिर्भरता की स्वतंत्रता, यदि हमें वास्तव में स्वतंत्र होना है.
खड़गपुर की कहानी
उन्होंने कहा, "यह मेरा खड़गपुर में पहला दौरा है. यह जानकर मैं गहराई से प्रभावित हुआ कि यही वह भूमि है जो राष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम की साक्षी रही है. यहां खड़ा होना वास्तव में विनम्र करने वाला अनुभव है, जहां भारत के कई साहसी स्वतंत्रता सेनानी कभी कैद थे, जिनमें से कुछ आज मेरे सामने बैठे छात्रों से भी कम उम्र के थे...'वंदे मातरम' का वह नारा केवल एक नारा नहीं था. यह एक वादा था, जो खून और बलिदान से सींचा गया था, भारत के अटूट संकल्प का वादा और यह वादा कि स्वतंत्रता उन लोगों से भी आगे जीवित रहेगी जिन्होंने हमारे लिए अपने प्राण दिए.''
प्रौद्योगिकी की निर्भरता के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमारे 90 फीसदी सेमीकंडक्टर आयात किए जाते हैं. एक व्यवधान या प्रतिबंध हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था को ठप कर सकता है. ऊर्जा के मामले में, हम अपना 85 फीसदी तेल आयात करते हैं, ऐसे में एक भू-राजनीतिक घटना हमारे विकास को प्रतिबंधित कर सकती है. वहीं अगर सैन्य निर्भरता की बात करें तो हमारी कई महत्वपूर्ण प्रणालियां आयात की जाती हैं, जिससे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा अन्य देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति के अधीन हो जाती है.उन्होंने कहा कि यदि हमें वास्तव में स्वतंत्र होना है तो यही वह स्वतंत्रता है जिसके लिए हमें अब लड़ना होगा, आत्मनिर्भरता की स्वतंत्रता, आत्मनिर्भर भारत की स्वतंत्रता.''
कहां लड़े जाते हैं आज के युद्ध
अदाणी समूह के प्रमुख ने कहा कि दुनिया पारंपरिक युद्ध से प्रौद्योगिकी-संचालित शक्ति युद्धों की ओर बढ़ रही है. हमारी तैयारी करने की क्षमता हमारे भविष्य को तय करेगी, क्योंकि आज हम जो युद्ध लड़ते हैं, वे अक्सर अदृश्य होते हैं, वे सर्वर फार्मों में लड़े जाते हैं न कि मैदानों में. एल्गोरिदम ही हथियार हैं न कि बंदूकें. उन्होंने कहा कि बड़े साम्राज्य जमीन पर नहीं बनते हैं, वे डेटा सेंटरों में बनते हैं. सेनाएं बटालियनों की नहीं, बल्कि बॉटनेट्स की होती हैं.
अपनी जीवन यात्रा छात्रों को सुनाते हुए कहा, "मैं 16 साल की उम्र से एक उद्यमी हूं. मैंने कई व्यवधानों को पार कर कई परिवर्तन के क्षणों को देखा है. मैंने संकट और अवसर दोनों के माध्यम से व्यवसाय खड़ा किया है, लेकिन मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अब हमारे सामने खुल रहा परिवर्तन का युग मेरे द्वारा देखी गई किसी भी चीज से अलग है.''
उन्होंने कहा, "इसरो के चंद्रयान से लेकर आधार, यूपीआई से लेकर वैक्सीन पर हुए शोध, फ्रेट कॉरिडोर से लेकर हमारी नवीकरणीय ग्रिड तक, यह विचार करने योग्य है कि यह सरकार ही है जिसने हमारी आधुनिक अर्थव्यवस्था की नींव रखी है.''
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