Happy New Year 2018: जानिए क्यों 1 जनवरी को मनाते हैं नया साल
नई दिल्ली:
भारत के लगभग सभी धर्मों में नया साल अलग-अलग दिन सेलिब्रेट किया जाता है. पंजाब में नया साल बैशाखी के दिन मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में भी बैशाखी के आस-पास ही नया साल मनाया जाता है. महाराष्ट्र में मार्च-अप्रैल के महीने आने वाली गुड़ी पड़वा के दिन नया साल मनाया जाता है. गुजराती में नया साल दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है. वहीं, इस्लामिक कैलेंडर में भी नया साल मुहर्रम के नाम से जाना जाता है.
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हर धर्म में अलग-अलग दिन और महीनों में नया साल मनाने की प्रथा है. लेकिन इनके बावजूद हम सभी 1 जनवरी को क्यों नया साल मनाते हैं? यहां आपको इसी सवाल का जवाब मिल जाएगा.
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1 जनवरी से शुरू होने वाले कैलेंडर को ग्रिगोरियन कैलेंडर के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरूआत 15 अक्टूबर 1582 में हुई. इस कैलेंडर की शुरूआत ईसाईयों ने क्रिसमस की तारीख निश्चित करने के लिए की. क्योंकि ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले 10 महीनों वाला रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलन में था. लेकिन इस कैलेंडर में कई गलतियां होने की वजह से हर साल क्रिसमस की तारीख कभी भी एक दिन में नहीं आया करती थी.
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क्रिसमस ईसाईयों के बीच बहुत खास होता है. इसी दिन प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. यीशु ने लोगों के हितों के लिए अपनी जान दी और इनके इस त्याग को हर साल क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है.
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इसी वजह से अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने एक नया कैलेंडर प्रस्तावित किया. रूस के जूलियन कैंलेंडर में कई सुधार हुए और इसे 24 फरवरी को राजकीय आदेश से औपचारिक तौर पर अपना लिया गया. यह राजकीय आदेश पोप ग्रिगोरी ने दिया था, इसीलिए उन्हीं के नाम पर इस कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन रखा गय 15 अक्टूबर 1582 को लागू कर दिया गया.
आज यही ग्रिगोरियन कैलेंडर पूरी दुनिया में मशहूर है और इसी में मौजूद पहले दिन यानि 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है.
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इसी वजह से अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने एक नया कैलेंडर प्रस्तावित किया. रूस के जूलियन कैंलेंडर में कई सुधार हुए और इसे 24 फरवरी को राजकीय आदेश से औपचारिक तौर पर अपना लिया गया. यह राजकीय आदेश पोप ग्रिगोरी ने दिया था, इसीलिए उन्हीं के नाम पर इस कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन रखा गय 15 अक्टूबर 1582 को लागू कर दिया गया.
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