Vat savitri vrat 2023 date : यहां जानिए कब है Vat Savitri का व्रत

Amavas vat savitri vrat : ज्येष्ठ माह की अमावस तिथि (amvas tithi) के दिन पड़ने वाला यह व्रत उत्तर भारत, मध्य प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा आदि जगहों पर धूम धाम से सुहागिन स्त्रियां मनाती हैं, जबकि गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत में पूर्णिमा तिथि के दिन यह व्रत महिलाएं रखती हैं.

Vat savitri vrat 2023 date : यहां जानिए कब है Vat Savitri का व्रत

Festival 2023 : व्रती महिलाओं को काले या सफेद रंग को कपड़े नहीं पहनने चाहिए.

Vat savitri kab hai : इस बार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा. आपको बता दें इस दिन सुहाग के लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. ज्येष्ठ माह की अमावस तिथि (amvas tithi) के दिन पड़ने वाला यह व्रत उत्तर भारत, मध्य प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा आदि जगहों पर धूम धाम से सुहागिन स्त्रियां मनाती हैं, जबकि गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत में पूर्णिमा तिथि के दिन यह व्रत महिलाएं रखती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये दोनों ही व्रत का महत्व समान है. अंतर सिर्फ इनकी तिथियों में है बस. 

वट सावित्री शुभ मुहूर्त और तारीख

  • ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि का आरंभ 18 मई को रात 9 बजकर 42 मिनट से होगा और अगले दिन यानी 19 मई की रात 9 बजकर 22 मिनट तक अमावस्या तिथि होगी. उदाया तिथि 19 मई को है इसलिए वट सावित्री व्रत इस दिन ही रखा जाएगा.

वट सावित्री व्रत के दौरान रखा जाता है इन बातों का ध्यान 

-वट सावित्री (vat savitri) व्रत के दौरान व्रती महिलाओं को काले या सफेद रंग को कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इसके अलावा इस दिन महिलाओं को काली, सफेद या नीली रंग की चूाड़ियां नहीं पहननी चाहिए. कहा जाता है कि जो महिलाएं पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रहीं हैं, उन्हें इस व्रत की शुरुआत अपने मायके से ही करना चाहिए. दरअसल ऐसा करना शुभ माना जाता है. 

- आमतौर पर वट सावित्री व्रत की पूजा के बाद सुहागिन महिलाएं अन्न का सेवन नहीं करती हैं. अगर अन्न का सेवन करना पड़े तो ऐसे में उन्हें सात्विक भोजन करना चाहिए. भोजन सामग्री में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत खंडित हो जाता है.  

- वट सावित्री व्रत के नियम के मुताबिक जो महिलाएं व्रत के दौरान पीरियड में हैं, उन्हें खुद पूजा ना करके किसी अन्य महिला से पूजा करवानी चाहिए. साथ ही पूजा स्थल से दूर बैठकर व्रत कथा सुननी चाहिए. इन बातों का ध्यान रखना अनिवार्य माना गया है. 

- व्रत सावित्री व्रत में अगर घी का दीया जला रही हैं तो उसे अपनी दाईं ओर रखें. वहीं अगर पूजा में तेल का दीपक जला रहीं हैं तो उसे अपने बाईं ओर ही रखें. इसके अलावा पूजा के दौरान पूजन सामग्री को हमेशा अपने बाईं ओर रखें. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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