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Tulsi puja niyam : मां तुलसी की इस तरीके से करिए पूजा, सारी मनोकामनाएं होंगी पूरी

आपको तुलसी पूजा का सही नियम पता होना चाहिए तभी इसके पूर्ण लाभ मिलते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी पूजा के क्या नियम (Kaise karen tulsi ki puja) हैं...

Tulsi puja niyam : मां तुलसी की इस तरीके से करिए पूजा, सारी मनोकामनाएं होंगी पूरी
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

Tulsi puja niyam : हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा विशेष महत्व रखता है. इनकी पूजा-अर्चना से देवी-लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसती है. इससे घर में सुख शांति बनी रहती है. यह आपके घर में सकारात्मकता को बढ़ाता है. इस पौधे के नीचे हर दिन दीया जलाना शुभ फलदायी होता है. लेकिन आपको तुलसी पूजा का सही नियम पता होना चाहिए तभी इसके पूर्ण लाभ मिलते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी पूजा के क्या नियम (Kaise karen tulsi ki puja) हैं...

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तुलसी पूजा के क्या नियम हैं

सबसे पहले आप स्नान करें, फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करिए. इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करिए. आपको बता दें भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय हैं. इसके बाद मां तुलसी को लाल रंग की चुनरी और फूलमाला अर्पित करिए. फिर आप तुलसी के पास देसी घी का दीया जलाइए. अब आप तुलसी के पास दीया जलाकर आरती करिए. अब आप तुलसी चालीसा और तुलसी मंत्रों का जप करिए. फिर अंत में फल और मिठाई का भोग लगाएं और लोगों में बांट दीजिए. 

तुलसी आरती 

जय जय तुलसी माता, सबकी सुखदाता वर माता।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,
रुज से रक्षा करके भव त्राता।
जय जय तुलसी माता...
बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
जय जय तुलसी माता...
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणि, तुम हो विख्याता।
जय जय तुलसी माता...
लेकर जन्म बिजन में आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से सुख सम्पत्ति पाता।
जय जय तुलसी माता...
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता।
जय जय तुलसी माता...

तुलसी पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी स्तुति मंत्र

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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