Navratri 2017: नवरात्रि पर मनोकामना पूरी करने के लिए साधक करते हैं जप
यूं लो भक्त अपनी इच्छा से किसी भी देवी या देवता की पूजा कर सकते हैं और उनकी पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं, लेकिन हिंदू धर्म में देवियों के वर्ग में देवी दुर्गा को शक्ति का अवतार मानकर उनकी आराधना की परंपरा प्राचीन काल से चलती आ रही है. शक्ति के उपासक और साधक को शाक्त कहा जाता है. शक्ति-साधक यानी शाक्त अनेकानेक मंत्रों से देवी दुर्गा और उसके विभिन्न अवतारों और रूपों की उपासना करते हैं. नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा की पूजा-स्तुति विशेष रूप से की जाती है. यहां प्रस्तुत हैं, कुछ चुनींदा मंत्र और श्लोक जिनका देवी दुर्गा की पूजा और उपासना में विशेष महत्व है:
1.
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते॥
-- साधक इस मंत्र का जप सभी प्रकार के विघ्नों दूर करें और महामारी नाश के लिए करते हैं.
2.
रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र।
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्॥
-- साधक इस मंत्र का जप विविध उपद्रवों से बचने के लिए करते हैं.
3.
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य॥
-- साधक इस मंत्र का जप विपत्तियों के नाश के लिए करते हैं.
4.
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥
-- साधक इस मंत्र का जप स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए करते हैं.
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
-- साधक इस मंत्र का जप भक्ति प्राप्ति के लिए करते हैं.
6.
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव॥
-- साधक इस मंत्र का जप प्रसन्नता प्राप्ति के लिए करते हैं.
7.
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
-- साधक इस मंत्र का जप जीवन में आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करते हैं.
8.
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव॥
-- साधक इस मंत्र का जप अपने पापों को मिटाने के लिए करते हैं.
9.
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु॥
-- साधक इस मंत्र के द्वारा अशुभ प्रभाव और भय का विनाश करने के लिए देवी दुर्गा की आराधना करते हैं.
10.
देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या।
तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः॥
-- साधक इस मंत्र का जप सामूहिक कल्याण के लिए करते हैं.
1.
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते॥
-- साधक इस मंत्र का जप सभी प्रकार के विघ्नों दूर करें और महामारी नाश के लिए करते हैं.
2.
रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र।
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्॥
-- साधक इस मंत्र का जप विविध उपद्रवों से बचने के लिए करते हैं.
3.
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य॥
-- साधक इस मंत्र का जप विपत्तियों के नाश के लिए करते हैं.
4.
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥
-- साधक इस मंत्र का जप स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए करते हैं.
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नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
-- साधक इस मंत्र का जप भक्ति प्राप्ति के लिए करते हैं.
6.
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव॥
-- साधक इस मंत्र का जप प्रसन्नता प्राप्ति के लिए करते हैं.
7.
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
-- साधक इस मंत्र का जप जीवन में आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करते हैं.
8.
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव॥
-- साधक इस मंत्र का जप अपने पापों को मिटाने के लिए करते हैं.
9.
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु॥
-- साधक इस मंत्र के द्वारा अशुभ प्रभाव और भय का विनाश करने के लिए देवी दुर्गा की आराधना करते हैं.
10.
देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या।
तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः॥
-- साधक इस मंत्र का जप सामूहिक कल्याण के लिए करते हैं.
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