Pradosh Vrat: सावन का महीना इस साल अधिकमास के चलते एक के बजाय दो महीनों का था. सावन के आखिरी के ही कुछ दिन रह गए हैं. ऐसे में कल यानी 28 अगस्त, सोमवार के दिन रखा जाने वाला प्रदोष व्रत सावन का आखिरी प्रदोष व्रत होगा. सावन प्रदोष व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) का विशेष पूजन किया जाता है. माना जाता है कि जो भक्त भोलेनाथ की पूजा आराधना करते हैं उनके घर में खुशहाली बनी रहती है और विशेष फल की प्राप्ति होती है. यह सौभाग्य प्राप्ति वाला व्रत कहा जाता है और भगवान शिव की कृपा जातक के जीवन पर बनी रहती है. जानिए सावन (Sawan) के आखिरी प्रदोष व्रत की पूजा और मुहूर्त के बारे में.
सावन का आखिरी प्रदोष व्रत
पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस महीने 28 अगस्त, सोमवार के दिन यह व्रत रखा जाएगा. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत का पड़ना अत्यधिक फलदायी माना जाता है. सोमवार के दिन पड़ने के चलते इसे सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) कहा जाता है.
प्रदोष व्रत की पूजा के लिए कई शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक आयुष्मान योग रहेगा और इसके बाद सौभाग्य योग लग जाएगा. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करना बेहद शुभ होता है. ऐसे में 28 अगस्त की शाम 6 बजकर 48 मिनट से रात 9 बजकर 1 मिनट तक प्रदोष काल रहने वाला है.
पूजा करने के लिए सुबह स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. भक्त सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में शाम के समय भगवान शिव का पूजन करते हैं. प्रदोष व्रत की पूजा में दूध, दही, गंगाजल, शहद और घी से अभिषेक किया जाता है. शिवलिंग पर भांग, धतूरा, बेलपत्र और अक्षत चढ़ाना बेहद शुभ होता है. भक्त इस दिन शिव आरती और मंत्रों के जाप के साथ ही पूजा संपन्न करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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