भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा की एक झलक पाने के लिए हजारों की तादाद में लोग ओडिशा के पुरी पहुंच चुके हैं. भजन व घंटों की आवाजों के बीच देवता स्नान बेदी पहुंच चुके हैं. देवताओं का स्नान समारोह स्नान पूर्णिमा (जेठ महीने की पूर्णिमा) को मनाया जाएगा.
धार्मिक रीति-रिवाज के दौरान मंदिर प्रशासन के निर्देश के मुताबिक, देवताओं को छूने की अनुमति नहीं दी गई. श्रद्धालु दूर से ही देवताओं के दर्शन कर सकें, इसके लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा प्रणाली की व्यवस्था की गई है.
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अध्यक्ष प्रदीप कुमार जेना ने कहा कि देवताओं को न छूने के लिए लोगों को जागरूक करने को लेकर हमने शहर में जगह-जगह पर पोस्टर लगाए हैं. इसके अलावा, बैरिकेड भी लगाए गए हैं, ताकि श्रद्धालु देवताओं के निकट न आ सकें. पुलिस महानिरीक्षक (मध्य क्षेत्र) सौमेंद्र प्रियदर्शी ने कहा कि समारोह के सुचारु संचालन के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.
25 जून को रथ यात्रा का आयोजन
ऐतिहासिक रथ मेला 25 जून को आयोजित किया जाएगा. पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है. ये मंदिर 800 वर्ष से अधिक प्राचीन है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण, जगन्नाथ रूप में विराजित है. यहां उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भी पूजा की जाती है. पुरी रथयात्रा के लिए बलराम, श्रीकृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं. रथयात्रा में सबसे आगे बलभद्र जी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है. (एजेंसियो से इनपुट)
धार्मिक रीति-रिवाज के दौरान मंदिर प्रशासन के निर्देश के मुताबिक, देवताओं को छूने की अनुमति नहीं दी गई. श्रद्धालु दूर से ही देवताओं के दर्शन कर सकें, इसके लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा प्रणाली की व्यवस्था की गई है.
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अध्यक्ष प्रदीप कुमार जेना ने कहा कि देवताओं को न छूने के लिए लोगों को जागरूक करने को लेकर हमने शहर में जगह-जगह पर पोस्टर लगाए हैं. इसके अलावा, बैरिकेड भी लगाए गए हैं, ताकि श्रद्धालु देवताओं के निकट न आ सकें. पुलिस महानिरीक्षक (मध्य क्षेत्र) सौमेंद्र प्रियदर्शी ने कहा कि समारोह के सुचारु संचालन के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.
25 जून को रथ यात्रा का आयोजन
ऐतिहासिक रथ मेला 25 जून को आयोजित किया जाएगा. पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है. ये मंदिर 800 वर्ष से अधिक प्राचीन है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण, जगन्नाथ रूप में विराजित है. यहां उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भी पूजा की जाती है. पुरी रथयात्रा के लिए बलराम, श्रीकृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं. रथयात्रा में सबसे आगे बलभद्र जी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है. (एजेंसियो से इनपुट)
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