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जगन्नाथ पुरी मंदिर की धर्म ध्वजा के आगे साइंस भी फेल, आज भी धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल?

Jagannath Puri Temple Flag: जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कई तरह की मान्यताएं और रहस्य हैं. सबसे बड़ा रहस्य मंदिर के ध्वजा को लेकर है, ये हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है.

जगन्नाथ पुरी मंदिर की धर्म ध्वजा के आगे साइंस भी फेल, आज भी धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल?
जगन्नाथ पुरी मंदिर के रहस्य

Jagannath Puri Temple Flag: भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके रहस्य जानकर लोग दंग रह जाते हैं. कुछ मंदिरों में होने वाली चीजों को आज तक साइंस भी नहीं समझ पाया है. जगन्नाथ मंदिर के भी कई ऐसे रहस्य हैं, जो हर किसी की सोच से भी परे हैं. यहां लगा हुआ ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है, जो विज्ञान के विपरीत है. आज तक कोई ये पता नहीं लगा पाया है कि ऐसा आखिर कैसे होता है. इतना ही नहीं एक और चीज है, जो इस मंदिर को खास बनाती है. यहां हर 12 साल में कुछ ऐसा होता है, जो भक्तों के लिए बेहद खास और बाकी लोगों के लिए चौंकाने वाला होता है. आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है और इसके पीछे की कहानी क्या कहती है. 

हवा की विपरीत दिशा में लहराता है झंडा

जगन्नाथ मंदिर में ध्वज की भी एक खास मान्यता है. इसे काफी ज्यादा पवित्र माना जाता है और मंदिर के 200 फुट ऊंचे शिखर पर फहराया जाता है. खास बात ये है कि जब मंदिर की चोटी पर ये ध्वज पहुंचता है तो जिधर हवा बहती है, उसके ठीक उल्टी तरफ ध्वज लहराने लगता है. ये नजारा देखकर ही लोग काफी हैरान रह जाते हैं.  लोग इसे आस्था से जोड़कर देखते हैं और भगवान का चमत्कार मानते हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ये मंदिर की खास वास्तुकला और संरचना का नतीजा हो सकता है. हालांकि इसका साफ जवाब किसी के पास नहीं है. 

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हर 12 साल में बदलती है मूर्ति

जगन्नाथ मंदिर को लेकर एक और खास बात ये है कि हर 12 साल में यहां मूर्तियां बदली जाती हैं. माना जाता है कि इन मूर्तियों में आज भी भगवान कृष्ण का दिल धड़कता है. भगवान कृष्ण के साथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां हैं. इस मंदिर में बनी मूर्तियां नीम की लकड़ी से बनी होती हैं. जब भी 12 साल में मूर्ति को बदला जाता है तो इसके अंदर रखे ब्रह्म पदार्थ को बाहर निकालकर दूसरी नई मूर्ति में डालते हैं. इस ब्रह्म पदार्थ को भगवान कृष्ण का दिल माना जाता है. 

माना जाता है कि जो इस दिल को मूर्ति में लगाता है, उसे ये धड़कता हुआ महसूस होता है. हालांकि इसे देख नहीं सकते हैं, आंखों पर पट्टी बांधकर ये काम किया जाता है. मान्यताओं और कथाओं के मुताबिक जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपना शरीर छोड़ा, तो उनका अंतिम संस्कार हुआ. शरीर के पंचतत्व में विलीन होने के बाद उनका दिल वहीं रह गया, जो अब भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में है.
 

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