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This Article is From May 10, 2022

Sita Navami 2022: सीता नवमी पर मां सीता को प्रसन्न करने के लिए ऐसे की जाती है पूजा, जानें स्तुति और आरती

Sita Navami 2022 Puja Vidhi Aarti: वैशाख शुक्ल नवमी को सीता नवमी मनाई जाती है. मान्यतानुसार, वैशाख शुक्ल की नवमी तिथि को पुष्य नक्षत्र में मां सीता का प्राकट्य हुआ था. इस दिन मां सीता की विधि-विधान से पूजा की जाती है.

Sita Navami 2022: सीता नवमी पर मां सीता को प्रसन्न करने के लिए ऐसे की जाती है पूजा, जानें स्तुति और आरती
Sita Navami 2022 Puja Vidhi Aarti: आज सीता नवमी मनाई जा रही है.

Sita Navami 2022 Puja Vidhi Aarti: वैशाख शुक्ल नवमी को सीता नवमी (Sita Navami) मनाई जाती है. मान्यतानुसार, वैशाख शुक्ल की नवमी (Vaishakh Shukla Navami) तिथि को पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra) में मां सीता (Maa Sita) का प्राकट्य हुआ था. कहा जाता है कि जब राजा जनक (Janak) संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ-भूमि तैयार कर रहे थे तो उस वक्त भूमि से एक बच्ची का प्राकट्य हुआ. जिसे सीता के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि जिस दिन यह घटनाक्रम हुआ, उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी. इसलिए हर साल इस दिन सीता नवमी (Sita Navami) या जानकी नवमी (Janki Navami 2022) मनाई जाती है. इस साल सीता नवमी 10 मई 2022 यानी आज मनाई जाएगी. आइए जानते हैं पूजा विधि और महत्व.

सीता नवमी शुभ मुहूर्त  (Sita Navami Shubh Muhurat) 


पंचांग के मुताबिक सीता नवमी के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत 09 मई 2022 को शाम 6 बजकर 32 मिनट से हो चुकी है. नवमी तिथि की समाप्ति 10 मई 2022 को शाम 7 बजकर 24 मिनट पर होगी. ऐसे में सीता नवमी की पूजा के लिए आज पूजा दिन शुभ है. 


सीता नवमी की पूजा विधि (Sita Navami Puja Vidhi) 


शास्त्रों के मुताबिक सीता नवमी के दिन मां सीता और भगवान श्रीराम की विधि-विधान से पूजा की जाती है. पूजन के लिए सुबह स्नान के बाद घर से मंदिर की साफ-सफाई की जाती है. इसके बाद पूजा स्थान मां सीता और भगवान श्रीराम की प्रतिमा या तस्वीर लगाई जाती है. मां सीता और भगवान श्रीराम के सामने दीया जलाया जाता है. साथ ही सभी देवी-देवताओं को गंगाजल से अभिसिक्त किया जाता है. इसके बाद मां सीता और भगवान श्रीराम सहित सभी देवी-देवताओं को पुष्प अर्पित किया जाता है. मां सीता, भगवान श्रीराम और हनुमान जी सहित सभी देवी-देवताओं का ध्यान किया जाता है. मां सीता और भगवान श्री राम को भोग लगाया जाता है. इसके बाद सिया राम जय राम जय जय राम का जाप किया जाता है. इसके बाद मां सीता और श्री राम की आरती की जाती है. 


श्री जानकी स्तुति (Janiki Stuti) 

भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी जनहितकारी भयहारी
अतुलित छबि भारी मुनि-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी

सुन्दर सिंहासन तेहिं पर आसन कोटि हुताशन द्युतिकारी
सिर छत्र बिराजै सखि संग भ्राजै निज-निज कारज करधारी

सुर सिद्ध सुजाना हनै निशाना चढ़े बिमाना समुदाई
बरषहिं बहुफूला मंगल मूला अनुकूला सिय गुन गाई

देखहिं सब ठाढ़े लोचन गाढ़ें सुख बाढ़े उर अधिकाई
अस्तुति मुनि करहीं आनन्द भरहीं पायन्ह परहीं हरषाई

ऋषि नारद आये नाम सुनाये सुनि सुख पाये नृप ज्ञानी
सीता अस नामा पूरन कामा सब सुखधामा गुन खानी

सिय सन मुनिराई विनय सुनाई सतय सुहाई मृदुबानी
लालनि तन लीजै चरित सुकीजै यह सुख दीजै नृपरानी

सुनि मुनिबर बानी सिय मुसकानी लीला ठानी सुखदाई
सोवत जनु जागीं रोवन लागीं नृप बड़भागी उर लाई

दम्पति अनुरागेउ प्रेम सुपागेउ यह सुख लायउं मनलाई
अस्तुति सिय केरी प्रेमलतेरी बरनि सुचेरी सिर नाई

दोहा

निज इच्छा मखभूमि ते प्रगट भईं सिय आय
चरित किये पावन परम बरधन मोद निकाय

सीता माता की (Shri Sita Mata Aarti)

आरती श्री जनक दुलारी की
सीता जी रघुवर प्यारी की

जगत जननी जग की विस्तारिणी
नित्य सत्य साकेत विहारिण

परम दयामयी दिनोधारिणी
सीता मैया भक्तन हितकारी की

आरती श्री जनक दुलारी की
सीता जी रघुवर प्यारी की

सती श्रोमणि पति हित कारिणी
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी

पति हित पति वियोग स्वीकारिणी
त्याग धर्म मूर्ति धरी की

आरती श्री जनक दुलारी की
सीता जी रघुवर प्यारी की

विमल कीर्ति सब लोकन छाई
नाम लेत पवन मति आई

सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई
शरणागत जन भय हरी की

आरती श्री जनक दुलारी की
सीता जी रघुवर प्यारी की

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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