
Sheetala Saptami 2025: हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी और अष्टमी के व्रत का बहुत महत्व है और चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत रखने का विधान है. इस व्रत की शुरुआत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को होती है और अगले दिन अष्टमी तिथि तक व्रत चलता है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बसौड़ा (Basoda) भी कहा जाता है. शीतला सप्तमी के दिन शीतला माता की पूजा का विधान है. शीतला माता को चेचक, खसरा जैसी बीमारियों से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है. भक्त व्रत रखकर भक्ति भाव से माता शीतला की पूजा की जाती है. अगले दिन माता को बसौड़े का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि देवी माता शीतला की पूजा से भक्तों को आरोग्य का प्राप्त होता है और सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं कब रखा जाएगा शीतला सप्तमी और अष्टमी का व्रत.
कब है शीतला सप्तमी और अष्टमी | Date of Sheetala Saptami and Ashtami
यह व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर रखा जाता है. वर्ष 2025 में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 21 मार्च के दिन पड़ रही है और इसी दिन माता शीतला की पूजा की जाएगी. शीतला सप्तमी के व्रत के अगले दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. इस चलते शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च, शनिवार के दिन रखा जाएगा.
कब होगी पूजा और कब लगेगा भोग- कुछ लोग शीतला सप्तमी की पूजा करते हैं जबकि कुछ लोग शीतला अष्टमी करना सही मानते हैं.
- जहां अष्टमी की पूजा होती है वहां सप्तमी यानी 21 मार्च को पुआ पूड़ी, खीर, कढ़ी चावल तैयार कर अगले दिन अष्टमी तिथि 22 मार्च को माता को बासी का भोग लगाया जाएगा.
- शीतला माता (Sheetala Mata) के भक्त पूजा के दिन चूल्हा नहीं जलाते हैं और देवी को बासी चीजों का भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.
- इसीलिए इस पूजा को बसिऔरा भी कहा जाता है.
- अगर शीतला सप्तमी या अष्टमी की पूजा करना भूल जाएं तो चैत्र माह के किसी भी मंगलवार या शनिवार को शीतला माता को जल अर्पित कर बसिऔरा की पूजा कर लेनी चाहिए.
- शीतला माता को चेचक, खसरा, हैजा और बोदरी जैसी बीमारियों से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है.
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर कई शुभ योग बन रहे हैं.
सिद्धि योग - शीतला सप्तमी के दिन शाम 6 बजकर 42 मिनट तक सिद्धि योग है. इस योग में मां शीतला की पूजा से सफलता एवं सिद्धि मिलती है.
रवि योग - शीतला सप्तमी को 21 मार्च के दिन रवि योग का भी संयोग है. इस योग में मां शीतला की पूजा से आरोग्य का वरदान मिलता है
भद्रावास योग - शीतला सप्तमी को 21 मार्च को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट तक भद्रावास योग है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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