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Navratri Sandhi Puja 2025: देवी दुर्गा की संधि पूजा का क्या है महत्व, जानें यह कब और कैसे की जाती है?

Navratri Sandhi Puja 2025: दुर्गा पूजा में नवपत्रिका पूजन के बाद जिस संधि पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, वह आज किस समय होगी? देवी पूजा के इस पवित्र अनुष्ठान का क्या धार्मिक महत्व होता है? पूजा विधि से लेकर इसका शुभ मुहूर्त जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

Navratri Sandhi Puja 2025: देवी दुर्गा की संधि पूजा का क्या है महत्व, जानें यह कब और कैसे की जाती है?
Navratri Sandhi Puja 2025: देवी दुर्गा की संधि पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Navratri Sandhi Puja 2025 Shubh Muhurat: शक्ति की साधना नवरात्रि में की जाने वाली दुर्गा पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. देवी दुर्गा की विशेष पूजा के लिए न सिर्फ पश्चिम बंगाल में बल्कि पूरे देश भर में देवी के कई बड़े पंडाल लगते हैं. जिनमें षष्ठी तिथि से लेकर दशमी के दिन विसर्जन वाले दिन तक विशेष पूजा, अनुष्ठान होते हैं. नवपत्रिका पूजा के बाद दुर्गा पूजा में संधि पूजा का विशेष महत्व माना गया है. देवी की यह पूजा कब और ​कैसे की जाती है? संधि पूजा करने का क्या धार्मिक महत्व है? आज रात्रि को यह किस समय करने पर इसका पुण्यफल प्राप्त होगा, आइए इसे विस्तार से जानते हैं. 

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क्या होती है संधि पूजा?

हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि के पावन अवसर पर देवी दुर्गा की यह विशेष पूजा की जाती है. देवी दुर्गा की यह पूजा अष्टमी और नवमी के संधिकाल में होती है. मान्यता है कि इस पुण्य काल में देवी दुर्गा अपने दिव्य स्वरूप में सभी विघ्न, बाधा, शत्रु और नकारात्मकता को दूर करे साधक को सुख, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करती हैं. मान्यता है कि इसी पावन संधिकाल में देवी दुर्गा ने चामुंडा का रूप धारण करके चंड और मुंड का वध किया था. 

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संधि पूजा का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार दुर्गा पूजा के दौरान की जाने वाली यह विशेष संधि पूजा 30 सितंबर 2025, मंगलवार यानि आज महाअष्टमी के दिन की जाएगी. संधि पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त सायंकाल 05:42 से लेकर 06:30 बजे तक रहेगा. हिंदू मान्यता के अनुसार इस संधि काल में की गई दुर्गा पूजा अत्यंत ही शुभ और फलदायी होती है. 

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कैसे करें संधि पूजा?

संधि पूजा के लिए पूजा स्थान पर देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. इसके बाद उस पर पवित्र जल छिड़कें. फिर पुष्प, रोली, चंदन, धूप, दीप, आदि अर्पित करें. संधि पूजा में 108 की संख्या में गुड़हल या लाल रंग के पुष्प चढ़ाने का महत्व होता है. देवी दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाते समय मन में "ॐ दुं दुर्गायै नमः" मंत्र का जप करें. इसी तरह संधिकाल की पूजा में देवी दुर्गा के लिए विशेष रूप से 108 दीये जलाएं और उसे प्रमुख स्थान पर रखें. संधिकाल में कद्दू, केला या फिर ककड़ी आदि सब्जी काटकर बलि दी जाती है. संधि काल की पूजा करने से अष्टमी और नवमी दोनों ही तिथियों का पुण्यफल प्राप्त होता है. ऐसे में पूजा के अंत में माता माता महागौरी और सिद्धिदात्री की आरती करना बिल्कुल न भूलें. 

सभी फोटो: पीटीआई

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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