
In which city should performed Ravan puja : दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में दशहरा के दिन रावण का पुतला नहीं फूंका जाता है. यहां तक कि इस गांव में रामलीला का आयोजन भी नहीं किया जाता है. क्योंकि इस गांव के लोगों का मानना है कि यह रावण की जन्मस्थली है. मान्यता है यहां पर अगर कोई इस परंपरा का उल्लंघन करता है, तो उसका विनाश हो जाता है. बल्कि इस गांव में रावण का एक मंदिर है, जिसकी पूजा की जाती है. इसमें एक अष्टकोणीय शिवलिंग भी स्थापित है. मान्यता है इस शिवलिंग को रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा द्वारा स्थापित किया गया था.
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क्या है रावण के मंदिर की खासियत - What is special about Ravana's temple?
- आपको बता दें कि इस शिवलिंग की पूजा रावण और उनके भाई कुबेर किया करते थे. यहीं पर रावण ने तपस्या करते हुए अपने सिर भोलेनाथ को अर्पित कर दिए थे, जिसके बाद शिव जी ने उन्हें 10 सिर का वरदान दिया था. इस मंदिर में पूजा के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. ऐसी मान्यता है यहां पर पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
- वहीं, इस मंदिर में दशहरा के दिन रावण का अभिषेक किया जाता है और शिव लिंग का हवन किया जाता है, जिसमें मु्ख्य यजमान रावण होता है.
- इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग को लेकर यह भी कहा जाता है कि यह त्रेता युग से पहले का है, जिसे महर्षि पुलस्तय और ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण के लिए शिव पूजन के लिए प्रगट किया था.
- आपको बता दें कि विभीषण, शूर्पनखा और कुंभकर्ण ने यहां पर तपस्या की थी. मान्यता यह भी है कि यहीं पर रावण को सभी वरदान मिले थे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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