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Kalashtami 2025: आज है मासिक कालाष्टमी व्रत? जानें शुभ योग, पूजा विधि और मंत्र

कालाष्टमी व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस पवित्र दिन पर भगवान भैरव के भक्त उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-पाठ करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, मासिक कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग बन रहा है.

Kalashtami 2025: आज है मासिक कालाष्टमी व्रत? जानें शुभ योग, पूजा विधि और मंत्र
Significance of Kalashtami : इस विशेष दिन पर पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करने से जीवन में समृद्धि आती है. 

Masik Kalashtami 2025 Date : कालाष्टमी व्रत का हिंदू धर्म में एक खास स्थान है. यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और भगवान भैरव की उपासना के लिए जाना जाता है. इस पवित्र दिन पर भगवान भैरव के भक्त उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-पाठ करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन (Masik Kalashtami) व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की कष्टों का नाश होता है. भैरव बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए भक्त सच्चे मन से उनकी उपासना करते हैं. कालाष्टमी (Masik Kalashtami 2025 muhurat) पर विशेष रूप से भक्त भगवान भैरव के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं.

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इस दिन भैरव बाबा की मूर्ति का दूध से अभिषेक कर, पुष्प अर्पण और दीप जलाकर पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद मांगा जाता है. तांबे के पात्र में (Significance of Kalashtami vrat) जल, काले वस्त्र और तेल का दान करना भी शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान भैरव की आराधना से व्यक्ति के भीतर पॉजिटिव एनर्जी आती है.

मासिक कालाष्टमी व्रत की तारीख और समय - Kalashtami 2025 Date And Time

पंचांग के अनुसार, यह तिथि 21 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो रही है और अगले दिन, 22 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. इसका मतलब मासिक कालाष्टमी व्रत 21 जनवरी, 2025, यानी आज रखा जाएगा. व्रत के दौरान भक्त विशेष रूप से काले कुत्तों को भोग लगाते हैं, क्योंकि यह भगवान कालभैरव की कृपा पाने का प्रतीक माना जाता है. कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव और कालभैरव के मंत्रों का जप करना और उनकी आरती करना फलदायक होता है. यह व्रत व्यक्ति की जीवन में आई बाधाओं को दूर करता है और नकारात्मक ऊर्जाओं से दूर रखता है.

मासिक कालाष्टमी 2025 में शुभ योग - Masik Kalashtami Shubh Yog

हिंदू पंचांग के अनुसार, मासिक कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग बन रहा है. द्विपुष्कर योग बहुत लाभ देने वाला और शुभ फलदायी माना जाता है. इस विशेष दिन पर द्विपुष्कर योग सुबह 07 बजकर 14 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. यह समय साधना, पूजा और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यधिक लाभकारी रहेगा. द्विपुष्कर योग का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह योग किसी भी काम को दोगुना फल देता है. इस समयावधि में किए गए अच्छे काम कई गुना फल देते हैं. इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा-पाठ और अन्य शुभ काम करने से पॉजिटिव एनर्जी मिलती है. इस दिन विशेष अमृत काल शाम 04 बजकर 23 मिनट से शाम 06 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. इस समय में किसी भी तरह के नए काम की शुरुआत, निवेश, यात्रा, या अन्य शुभ काम किए जा सकते हैं. इसके अलावा, विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से दोपहर 03 बजकर 01 मिनट तक रहेगा.

विजय मुहूर्त का खास महत्व - Special importance of Vijay Muhurta

विजय मुहूर्त विशेष रूप से किसी भी जरूरी या चुनौतीपूर्ण काम में सफलता पाने के लिए चुना जाता है. इस समय का उपयोग जरूरी फैसले लेने, कानूनी काम, विवाद समाधान या किसी भी तरह की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए किया जा सकता है. माना जाता है कि इस मुहूर्त में किए गए काम में विजय मिलती है.

कालाष्टमी पूजा मंत्र - Kalashtami Mantra

ॐ काल भैरवाय नमः..
ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट..
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः..

दोनों योगों का समय एक ही दिन पर आने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है. पंचांग विशेषज्ञों का कहना है कि इस विशेष दिन पर पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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