महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2019) का पर्व इस बार 4 मार्च को मनाया जा रहा है. इस दिन शिव भक्त भगवान शकंर या भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. मंदिर जाकर दूध से अभिषेक करते हैं, पूरे दिन भूखे रहकर उपवास करते हैं, शिवलिंग पर फल और फूल चढ़ाते हैं. दीपक जलाकर भगवान की अराधना करते हैं. लेकिन सबसे खास महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2019) के दिन भगवान शिव की पूजा बेल पत्र (Bel Patra) के बिना पूरी नहीं होती. यहां जानिए इसकी वजह.
हिंदु पुराणों में एक बेहद प्रचलित कथा के अनुसार सागर मंथन के दौरान जब अमृत के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध चल रहा था, तब अमृत से पहले सागर से कालकूट नाम का विष निकला. ये विष इतना खतरनाक था कि इससे पूरा ब्रह्मांड नष्ट किया जा सकता था. लेकिन इसे सिर्फ भगवान शिव ही नष्ट कर सकते थे. तब भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था. इससे उनका कंठ (गला) नीला हो गया. इस घटना के बाद से भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा.
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लेकिन इस विष के प्रभाव से भगवान शिव का मस्तिष्क गर्म हो उठा और उनके कंठ में जलन होने लगी. उनके इस कष्ट को देख सभी देवता चिंतित हो गए. उनके कंठ की जलन को कम करने के लिए सभी देवताओं ने उन्हें बेल पत्र खिलाया, जिससे विष का प्रभाव कम हो गया. तभी से शिव जी की पूजा में बेल पत्र का विशेष महत्व है. इतना ही नहीं मान्यता यह भी है कि भगवान शिव द्वारा विष पीकर पूरे संसार को इससे बचाने की इस घटना के उपलक्ष में ही महाशिवरात्रि मनाई जाती है.
इससे अलग बेल पत्र को लेकर माना जाता है कि जो भी भक्त बेल पत्र के साथ भगवान शिव की पूजा करता है उसे तीर्थों में स्नान जितना फल प्राप्त होता है.
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