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Jivitputrika Vrat Katha: जीवित्पुत्रिका व्रत की यह कहानी छोटी सी है लेकिन संदेश बड़ा देती है

Jivitputrika Vrat Katha: हिंदू धर्म में जितिया व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. जानिए इस व्रत पर किस कथा को पड़ना माना जाता है बेहद शुभ.

Jivitputrika Vrat Katha: जीवित्पुत्रिका व्रत की यह कहानी छोटी सी है लेकिन संदेश बड़ा देती है
Jitiya Vrat Katha: आश्विन माह में रखा जाता है जितिया व्रत.
नई दिल्ली:

संतान की लंबी उम्र और निरोगी काया की कामना करते हुए बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं. यह कठिन निर्जला उपवास होता है. पंचांग अनुसार इस बार 25 सितंबर को यह रखा जाएगा और 26 सितंबर को पारण होगा. यह पितृ पक्ष में पड़ने वाला पर्व है जिसको मां श्रद्धापूर्वक करती हैं. मान्यता अलग-अलग है. कहानियां भी ऐसी जो सद्कर्मों और आपसी प्यार का संदेश देती हैं. व्रत का संकल्प लेने से लेकर पूजा पाठ तक सब कुछ बहुत सहज और सामान्य होता है, कुछ आडंबर नहीं बस एक संकल्प, लोटा, जिउतिया के धागे और मन से पढ़ी जाती हैं कम से कम तीन कहानियां.

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जितिया व्रत की कथा | Jitiya Vrat Katha

इनमें से हरेक घर में एक कहानी चंद शब्दों में ही कह ली जाती है. कहानी छोटी, रोचक और गहरा संदेश लिए होती है. 'एक खास पौधे' के अगल बगल बैठ कर भी कुछ महिलाएं कथा कहती हैं.

कहानी अलग-अलग बोली भाषा में अपने अंचल के हिसाब से सुनाई जाती है जो भोजपुरी में कुछ यूं है- ए अरियार त का बरियार, श्री राम चंद्र जी से कहिए नू कि फलां के माई खर जीयूतिया भूखल बड़ी.

सवाल यही है कि आखिर ये बरियार है कौन? तो बरियार एक ऐसा पौधा है जिसे भगवान राम का दूत माना जाता है. कहा जाता है कि यह छोटा सा बरियार (बलवान पेड़) भगवान राम तक हमारी बात दूत बनकर पहुंचाता है. अर्थात मां को अपनी संतान के जीवन के लिए कहे हुए वचनों को भगवान राम से जाकर सुनाता है और इस तरह श्री राम चंद्र तक उसके दिल की इच्छा पहुंच जाती है. संतान और घर परिवार का कल्याण हो जाता है.

मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान दीर्घायु होती है. निरोगी काया की आशीर्वाद प्राप्त होता है और भगवान संतान की सदैव रक्षा करते हैं. व्रत की शुरुआत नहाय खाय संग होती है और समापन पारण संग होता है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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