Jitiya Vrat 2024: जितिया व्रत की हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इसे जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) और जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. मान्यतानुसार जितिया व्रत के दिन माएं अपने बच्चे की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए इस व्रत को रखती हैं. जितिया व्रत पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत 3 दिनों तक चलता है और इसे सबसे कठिन व्रतों में भी गिना जाता है. इस साल जितिया व्रत 24 और 25 सितंबर के दिन रखा जा रहा है. इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है. जानिए खरजीतिया के शुभ संयोग से लेकर पारण तक सबकुछ.
जितिया व्रत की पूजा | Jitiya Vrat Puja
जितिया व्रत में ओठगन सबसे पहले होता है जोकि 23 सितंबर की रात होगा. 25 सितंबर के दिन जितिया व्रत रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 25 सितंबर की शाम 4 बजकर 43 मिनट से शाम 6 बजकर 14 मिनट तक है. जितिया व्रत का पारण 26 सितंबर की सुबह 4 बजकर 35 मिनट से सुबह 6 बजकर 11 मिनट तक है. इस साल जितिया व्रत पर खरजीतिया (Kharjitiya) का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. खरजीतिया के संयोग को अत्यधिक शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि खरजीतिया का संयोग बनने पर ही महिलाएं पहली बार जीतिया व्रत रखती हैं और इस दिन से ही जीतिया व्रत रखने की शुरूआत करती हैं.
खरजीतिया का संयोग तब बनता है जब मंगलवार या शनिवार के दिन अष्टमी पड़ती है. माना जाता है कि जो महिलाएं खरजीतिया पर व्रत रखती हैं उन्हें संतान की अकाल मृत्यु का वरदान प्राप्त होता है.
जीतिया व्रत में मान्यातानुसार भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है. इस दिन आंगन में पोखर बनाया जाता है और मिट्टी के साथ ही गोबर से लिपाई की जाती है. भगवान जीमूतवाहन, चील और सियारिन वगैरह की मूर्तियां बनाई जाती हैं और पूजा होती है. सभी के माथे पर सिंदूर से तिलक लगाया जाता है, आरती की जाती है और व्रत की कथा पढ़कर पूजा का समापन होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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