उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां भगवान शिव एक मेंढक की पीठ पर सवार हैं। यह मंदिर शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर ओयल नामक कस्बे में स्थित है। गौरतलब है यह कस्बा हाल ही में एक घर से 186 सांपों के निकलने के कारण काफी चर्चित रहा है।
ओयल कस्बे में स्थित इस मन्दिर को लोग मेंढ़क मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर में नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित है, जिसकी अनूठी बात यह है कि यह समय-समय पर रंग बदलता रहता है।
मण्डूक तंत्र पर आधारित है मंदिर...
जानकार बताते हैं कि राजस्थानी स्थापत्य कला से प्रेरित यह मंदिर मण्डूक तंत्र पर आधारित है। मंदिर की दीवारों पर शव साधना वाली मूर्तियां उत्कीर्ण हैं, जो इसके तांत्रिक मंदिर होने का उद्घोष करती हैं।
यहां नंदी (भगवान शिव का वाहन) की जो मूर्ति स्थापित है, वह भी विलक्षण है। नंदी की यह मूर्ति खड़ी अवस्था में है, जो कि दुर्लभ है, क्योंकि सामान्य तौर मंदिरों में नंदी की मूर्ति बैठी हुई अवस्था में होती है।
अकाल से निपटने के लिए लिए बनवाया था मंदिर...
जानकार बताते हैं कि इस अदभुद मंदिर को ओयल एस्टेट के राजा बख्त सिंह ने लगभग 200 वर्ष पहले बनवाया था, जो अकाल से निपटने के लिए किसी तांत्रिक की सलाह पर बनवाया गया।
कहते हैं, यहां अच्छी बारिश के लिए विशेष तंत्र-साधना की जाती थी। वर्तमान में सावन माह में यहां दूर-दूर से भक्त आकर नर्मदेश्वर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
यहां का कुआं भी है ख़ास...
स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर के गुंबज पर स्थित छत्र पहले सूर्य की रोशनी के साथ पहले घूमता था। लेकिन अब वह छतिग्रस्त है।
इस मंदिर की एक खास बात इसका कुआं भी है, जो जमीन तल से ऊपर बना है, लेकिन इसमें जो पानी है, वो जमीन तल पर मिलता है, जबकि स्थानीय जलस्तर के लिहाज से पानी का तल नीचे होना चाहिए था।
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