Happy Diwali 2021: दीवाली का त्योहार एक नहीं बल्कि पांच दिनों का होता है. धनतेरस से शुरू होकर ये भाई दूज तक चलता है. कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में 14वीं तिथि यानी कि धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है, इसी दिन को छोटी दीवाली के रूप में मनाया जाता है. दीवाली के एक दिन पहले छोटी दीवाली मनाने की परंपरा रही है. इस पर्व को 'काली चौदस', 'नरक चतुर्दशी' या कई जगहों पर 'रूप चौदस' भी कहा जाता है. 3 नवंबर यानि आज बुधवार को इस साल छोटी दीवाली मनाई जा रही है.
ऐसी है मान्यताएं
नरक से जुड़े दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन शाम के वक्त में घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16,100 कन्याओं को उसके कैद से मुक्त कराया था. इस त्योहार को रूप चौदस भी कहते हैं. कहा जाता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उबटन लगाकर नहाते हैं तो रूप निखरता है और सौंदर्य में वृद्धि होती है, इसीलिए इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने का भी बड़ा महत्व है. कुछ लोगों में एक मान्यता यह भी है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था, इसलिए उनके भक्त इस इस दिन हनुमान जयंती मनाते है. हनुमान जी को चने और गुड़ का भोग कर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है.
छोटी दीवाली पूजा विधि
छोटी दीवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ में श्रीगणेश को भी विराजमान कर, उनकी उपासना की जाती है. आपने धनतेरस पर जो चांदी के सिक्के खरीदे हैं, उन्हें इस दिन पूजा के दौरान मां लक्ष्मी के सामने रखें. एक बड़े पीतल की थाले में स्वास्तिक बनाएं. इसमें चारों ओर ग्यारह मिट्टी के दीपक रखें अब बीच में एक पंचमुखी दीपक रखें. लक्ष्मी जी को इत्र, मिठाई, पुष्प, रोली, सिंदूर आदि अर्पित करें. माता के सामने घी का दीपक जलाएं और फिर आरती करें.
दीए जलाएं
दीवाली पर हम अपने पूरे घर को दीयों से सजाते हैं. वहीं छोटी दीवाली पर भी दीपक जलाने की परंपरा है. हां, दीयों की संख्या दीवाली से कुछ कम होती है. छोटी दिवाली पर अपने घर की चौखट, सभी कमरों और छत पर जरूर दीए जलाएं. इसके साथ ही घर के मंदिर में दीपक जला कर रखें. दीए जलाने के साथ ही सभी एक साथ मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं और मिठाइयां और स्वादिष्ट पकवान भी खाते हैं.
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