Geeta Jayanti 2025: सनातन परंपरा में मार्गशीर्ष या फिर कहें अगहन महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि यह तिथि न सिर्फ भगवान श्री विष्णु के लिए रखे जाने वाले मोक्षदा एकादशी व्रत के लिए बल्कि गीता जयंती के लिए भी जानी जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान पूर्णावतार भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन को गीता के अनमोल वचन सुनाए थे. यानि इसी दिन हिंदू धर्म में अत्यंत ही पवित्र, पूजनीय और अनुकरणीय माने जाने वाले श्रीमद्भगवद गीता जन्म हुआ था. आइए गीता जयंती के पर्व की महत्ता और भगवान कृष्ण के अनमोल संदेश को जानने और समझने का प्रयास करते हैं.
गीता जयंती का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथ गीता के श्लोक आज 21वीं सदी में भी लोगों को जीवन की सही राह दिखाने का काम करते हैं. इसमें धर्म के साथ कर्म का मर्म समाहित है. सही मायने में कहा जाए तो यह कर्म, भक्ति और ज्ञान का संगम है, जिसमें डुबकी लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में जरूर सफलता मिलती है. भगवान श्री कृष्ण के द्वारा कहे गये गीता के अनमोल वचन व्यक्ति को कठिन समय में जीवन की सही राह दिखाने का काम करते हैं. गीता बताती है कि किस तरह कठिन से कठिन समय में भी कर्म करते हुए धर्म का दामन नहीं छोड़ना चाहिए. सही मायने में देखा जाए तो श्रीमद्भगवद गीता में जीवन की हम समस्या का समाधान मिलता है.
गीता के प्रथम श्लोक का क्या है मर्म
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः.
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय.
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कहे गये उपदेशों से जुड़ी गीता के पहले श्लोक के पहले दो शब्द पर यदि गौर करें तो इसमें पूरी श्रीमद्भगवद गीता का सार समाहित है. ये दो शब्द हैं धर्मक्षेत्रे और कुरुक्षेत्रे. यह संदेश देता है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म के क्षेत्र में धर्म का अनुसरण करें. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि धर्म ही मनुष्य का पिता, माता, भाई, मित्र, रक्षक और स्वामी है. इसलिए कर्म करते हुए किसी भी सूरत में धर्म का साथ न छोड़ें.
गीता के जरिए श्रीकृष्ण ने दिया है ये संदेश
भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं - 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:', अर्थात व्यक्ति का सिर्फ कर्म करने पर अधिकार है फल पर नहीं. ऐसे में उसे कर्म को फल की इच्छा लिए हुए नहीं बल्कि कर्तव्य समझकर करना चाहिए. इसी प्रकार भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों को गीता के जरिए संदेश देते हैं कि - 'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:' यानि पृथ्वी पर जब-जब धर्म की हानि और अधर्म बढ़ता है तो भगवान स्वयं पृथ्वी पर अवतार लेते हैं.
Mokshada Ekadashi 2025: आज है मोक्षदा एकादशी, जानें भगवान विष्णु के व्रत की विधि, मुहूर्त और धार्मिक महत्व
श्री कृष्ण कहते हैं कि - 'नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:' यानि आत्मा अजर-अमर है और उसे न तो कोई शस्त्र काट सकता है और न ही आज उसे जला सकती है. भगवान श्री कृष्ण ने स्पष्ट रूप से गीता के वचन में कहा है कि - 'परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्' यानि वे सज्जन और अच्छे लोगों के कल्याण और दुर्जन लोगों के विनाश के लिए समय-समय पृथ्वी पर प्रकट होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं