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Gayatri jayanti 2025 : आज है गायत्री जयंती, जानिए पूजा विधि, योग और मंत्र

गायत्री जयंती पर भद्रवास का योग बन रहा है, जो दोपहर 3:31 से लेकर एकादशी तिथि समाप्त होने तक रहेगा. आपको बता दें कि भद्रा पाताल में रहेगी जोकि शुभ मानी जाती है.

Gayatri jayanti 2025 : आज है गायत्री जयंती, जानिए पूजा विधि, योग और मंत्र
गायत्री मंत्र का जाप करें. ऊं भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

Gayatri Jayanti 2025 : हर साल ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है. माना जाता है इसी दिन मां गायत्री प्रकट हुई थीं. आपको बता दें कि हिंदू धर्म में देवी गायत्री को देवमाता भी कहा जाता है, क्योंकि 4 वेद, शास्त्र और श्रुतियां इन्हीं से निकली हैं. इस दिन सच्चे मन से गायत्री मंत्र का जाप करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है. साथ ही इससे मन शांत होता है और आपके विचार सकारात्मक रहते हैं. इसके अलावा गायत्री मंत्र के उच्चारण से दिव्य ज्ञान और ब्रह्मतेज की प्राप्ति हो सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं आज कौन से शुभ योग, नक्षत्र और मुहूर्त बन रहे हैं और पूजा विधि.

आज है निर्जला एकादशी, यहां जानिए व्रत कथा, पूजा विधि, मुहूर्त और पूजन मंत्र

गायत्री मंत्र शुभ योग और नक्षत्र - Gayatri Mantra Auspicious Yoga and Nakshatra

गायत्री जयंती पर भद्रवास का योग बन रहा है जो दोपहर 3:31 से लेकर एकादशी तिथि समाप्त होने तक रहेगा. आपको बता दें कि भद्रा पाताल में रहेगी जोकि शुभ मानी जाती है. साथ ही चित्रा नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है और वरीयान योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 10:14 मिनट तक रहेगा. गायत्री जयंती की पूजा वरीयान योग में करना अत्यंत फलदायी माना जाता है. 

गायत्री मंत्र पूजा विधि और मंत्र - Gayatri Mantra Worship Method and Mantra

  • इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लीजिए.
  • इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लीजिए.
  • अब आप पूजा घर में गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लीजिए.
  • फिर आप एक पूजा की चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर देवी गायत्री का चित्र स्थापित करें.
  • इसके बाद मां गायत्री को फूल, भोग आदि अर्पित करें और गायत्री मंत्र का जाप करें. ऊं भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

गायत्री जयंती की पौराणिक कथा - Gayatri Jayanti Katha

पौराणिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी जब सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब उन्हें यज्ञ करना था और पूजा पाठ बिना पत्नी के पूर्ण नहीं मानी जाती है. उस समय देवी गायत्री ब्रह्मा जी की सहधर्मिणी के रूप में प्रकट हुईं थीं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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