
Ganesh Visarjan 2025 vidhi and shubh muhurat: रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ के देवता भगवान श्री गणेश जी से जुड़ा 10 दिनी गणेश उत्सव अब पूर्ण होने को है. गणपति को 10 दिनों तक विधि-विधान से पूजने के बाद अब उनके भक्त उनकी धूम-धाम से विदाई की तैयारी में जुट गये हैं. यदि आपने भी अपने घर में पहली बार गणपति बिठाया है तो उनको किसी पवित्र सरोवर, नदी या जल स्रोत में विसर्जित करने से पहले आपको इसकी विधि और इससे जुड़े नियम जरूर जान लेना चाहिए. आइए जानते हैं कि अनंत चतुर्दशी के दि गणपति का किस समय और किस विधि से विसर्जन करना उचित रहेगा.
गणेश विसर्जन का चौघड़िया मुहूर्त — 06 सितंबर 2025
शुभ - सुबह 07:36 से 09:10 बजे तक
चर, लाभ और अमृत - दोपहर 12:19 से शाम 05:02 बजे तक
लाभ - शाम को 06:37 से रात्रि 08:02 बजे तक
शुभ, अमृत, चर - रात्रि 09:28 से पूर्वाह्न 01:45 बजे तक
गणेश विसर्जन का चौघड़िया मुहूर्त — 07 सितंबर 2025
लाभ - पूर्वाह्न 04:36 से प्रात:काल 06:02 बजे तक

अनंत चतुर्दशी पर कैसे करें गणेश विसर्जन
हिंदू धर्म में जितनी धूम-धाम से गणपति को बाजार से लाकर घर में स्थापित किया जाता है, उतनी ही धूम-धाम से उन्हें विदा भी किया जाता है. गणपति को अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन करने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले स्नान-ध्यान करके तन और मन से पवित्र होना चाहिए. इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर गणपति की विधि-विधान से पूजा करना चाहिए. गणपति को विदा करने से पहले ठीक उसी तरह पूजा करें जैसा पहले दिन उनको स्थापित करते समय किया था.
गणपति को गंगाजल से पवित्र करने के बाद रोली-चंदन आदि का तिलक लगाएं और उसके बाद उन्हें उनकी प्रिय चीजें जैसे नारियल, मोदक, गन्ना आदि अर्पित करें. इसके बाद धूप-दीप आदि से उनकी पूजा करते हुए पूजा-जप-तप आदि में हुई भूल-चूक के लिए क्षमायाचना और अपने लिए मंगलकामना करें. इसके बाद उनका जयकारा लगाते हुए धूम-धाम से ले जाकर पवित्र जलस्रोत में उन्हें आदर के साथ विसर्जित करें.
गणेश विसर्जन में इन बातों का रखें ख्याल
- गणपति का विसर्जन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें. गणपति की प्रतिमा जल में फेंके नहीं बल्कि आदर के साथ सुरक्षित तरीके से प्रवाहित करें. गणपति को जल स्रोत में विसर्जित करते समय भूलकर भी गहरे पानी में न जाएं.
- गणेश विसर्जन के दौरान उन्हें चढ़ाई गई पूजन सामग्री जैसे फूल, नारियल आदि सभी जल स्रोत में प्रवाहित कर दें.
- गणेश विसर्जन के दिन काले रंग के वस्त्र न धारण करें और न ही किसी पर क्रोध करें.
- गणपति की प्रतिमा और पूजन सामग्री को किसी ऐसी जगह विसर्जित न करें जिससे उनका अनादर हो.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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