
Ganesh Jayanti: आज है गणेश जयंती, इस विधि से करें गौरी गणेश की पूजा
माघ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाते हैं. वहीं, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (Ganesh Jayanti Vrat) को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. आज के दिन को माघी गणेश चतुर्थी, माघ विनायक चतुर्थी या तिलकुंड चतुर्थी भी कहा जाता है. साल 2022 में गणेश जयंती आज 4 फरवरी दिन, शुक्रवार को मनाई जा रही है. गणेश जयंती या विनायक चतुर्थी के दिन लाल या पीले रंग के वस्त्र, लाल फूल, और लाल चंदन को पूजा में जरूर शामिल करने की सलाह दी जाती है.
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इस बार दो शुभ योग यानी रवि योग और शिव योग में गणेश जयंती मनाई जाएगी. इस दिन विधि-विधान से गौरी गणेश का पूजन और व्रत किया जाता है. कहते हैं ऐसा करने से विघ्नहर्ता अपने भक्तों के जीवन से सभी तरह के कष्ट और दुखों को दूर करते हैं. मान्यता है कि गणेश जयंती (Ganesh Ji) के दिन व्रत करने और गणेश जी के जन्मकथा का श्रवण करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं. आइए जानते हैं गणेश जयंती के दिन पूजा की विधि. गणेश जयंती के अवसर पर इन नेताओं ने दीं बधाई.
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने 'कू' (Koo App) पर दी गणेश जयंती की बधाई.

शिव योग में है गणेश जयंती | Ganesh Jayanti Shiv Yog 2022
पवित्र माघ मास में गणेश जयंती बहुत ही शुभ अवसर पर पड़ रही है. इस बार दो शुभ योग यानी रवि योग और शिव योग में गणेश जयंती मनाई जाएगी. बता दें कि इस बार गणेश जयंती पर शिव योग बन रहा है, जो 04 फरवरी को शाम 07 बजकर 10 मिनट तक है. वहीं इस दिन रवि योग भी सुबह 07 बजकर 08 मिनट से दोपहर 03 बजकर 58 मिनट तक है. साल 2022 में माघ के महीने में शिव योग में धूमधाम से गणेश जयंती मनाई जाएगी.

गणेश जयंती पूजा विधि | Ganesh Jayanti Puja Vidhi
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान गणेश को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें.
- प्रात:काल में जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करें.
- पूजा स्थल की सफाई करें.
- मंदिर या पूजा स्थल को फूलों और रोशनी से सजाएं.
- आमचन कर अपने आप को शुद्ध और पवित्र कर व्रत संकल्प लें.
- पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है.

- शुभ मुहूर्त में किसी पाटे, चौकी लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें.
- गंगाजल का छिड़काव करें और गणपति जी को प्रणाम करें.
- गणेश जी को सिंदूर अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं.
- पंचोपचार कर भगवान गणेश की पूजा फल, फूल और मोदक से करें.
- गणेश भगवान को मोदक, 21 लड्डू, पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और 21 दूर्वा अर्पित करें.
- लड्डू गणेश जी को अर्पित करें बाकी गरीबों या ब्राह्मणों को बांट दें.
- गणेश जी की कथा, चालीसा और आरती करें.

- दिनभर उपवास रखें. व्रती चाहे तो दिन में एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं.
- शाम के समय सूर्यास्त होने से पहले दोबारा स्नान करें और भगवान गणेश की पूजा अर्चना करें.
- अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत खोलें.
पूजा के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं. उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)