Chandra Grahan Blood Moon 2022: साल के पहले चंद्र ग्रहण को क्यों कहा जा रहा है ब्लड मून, जानें मुख्य वजह

Chandra Grahan Blood Moon 2022: साल 2022 का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को लगने वाला है. इस दिन वैशाख पूर्णिमा है. इस चंद्र ग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है.

Chandra Grahan Blood Moon 2022: साल के पहले चंद्र ग्रहण को क्यों कहा जा रहा है ब्लड मून, जानें मुख्य वजह

Chandra Grahan Blood Moon 2022: साल 2022 के पहले चंद्र ग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है.

खास बातें

  • 16 मई को लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण.
  • खून सरीखे दिखाई देगा चंद्रमा.
  • वैशाख पूर्णिमा के दिन लगेगा चंद्र ग्रहण.

Chandra Grahan Blood Moon 2022: साल 2022 का पहला चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) 16 मई, 2022 को लगने वाला है. इस दिन वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh PUrnima) भी पड़ रही है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है. इस महीने में लगने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण (Full Moon) होगा. साथ ही इस चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) के दौरान चंद्रमा लाल रंग में नजर आएगा. जिसे ब्लड मून (Blood Moon) कहा जा रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर इस चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022) को ब्लड मून (Blood Moon) क्यों कहा जा रहा है. साथ ही इसे कहां-कहां देखा जा सकेगा. 


यहां-यहां दिखेगा ब्लड मून (Blood Moon Visibility) 


वैशाख पूर्णिमा यानी 16 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. साल के पहले चंद्र ग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है. भारतीय समयानुसार यह चंद्र ग्रहण 16 मई, 2022 को सुबह 8 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. भारत में इस चंद्र ग्रहण की दृश्यता शून्य होगी. यानी इस चंद्र ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा. जिस कारण इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. बता दें कि यह चंद्र ग्रहण उत्तरी अमेरिका, लाटिन अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, अफ्रीका के कुछ हिस्सों और पूर्वी प्रशांत महासागर में दिखाई देगा और इसका रंग लाल होगा. 


ब्लड मून क्या होता है? ( What Is Blood Moon)


पूर्णिमा के दिन जब पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है तो उस दौरान चंद्रमा का खून सरीखे दिखता है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है.  खगोल शास्त्रियों के मुताबिक, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण लगता है. इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा की रोशनी को ढक लेती है. जिस कारण सूर्य की रोशनी जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराकर चंद्रमा पर पड़ती है तो यह ज्यादा चमकीला नजर आता है. वहीं जब चंद्रमा, पृथ्वी के पास पहुंचता है तो उसका रंग काफी चमकीला यानी गहरा लाल हो जाता है. इस घटनाक्रम को ब्लड मून कहा जाता है.


कब लगता है सूतक काल (Sutak Kaal) 

मान्यतानुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 09 घंटे पहले लग जाता है. चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन लगता है जबकि सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है. साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. जिस कारण इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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