विज्ञापन

Chandra Grahan 2025: मकड़ी तोड़ देती है जाले, बत्तख को आ जाता है बुखार, ग्रहण का जीव-जंतुओं पर असर

चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण के दौरान जीव जंतुओं के शारीरिक और मानसिक व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जाता है. वैज्ञानिक अध्ययनों में भी ऐसा पाया गया है.

Chandra Grahan 2025: मकड़ी तोड़ देती है जाले, बत्तख को आ जाता है बुखार, ग्रहण का जीव-जंतुओं पर असर
Chandra Grahan sutak kaal
  • चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दौरान मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों का व्यवहार प्रभावित होता है
  • चंद्र ग्रहण के समय बत्तखों की दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं और उन्हें बुखार जैसा महसूस होता है
  • चंद्रमा के चक्र के कारण जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव, जिसमें गुरुत्वाकर्षण और प्रकाश की तीव्रता शामिल है
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

Chandra Grahan Sutak Kaal Date Timing: ग्रहण का न केवल मनुष्यों पर प्रभाव दिखता है, बल्कि पशु-पक्षी भी इससे अछूते नहीं हैं. सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण हो या उसका सूतक काल हो, जीवों का मनोवैज्ञानिक और शारीरिक व्यवहार बदल जाता है. मछली-मकड़ियों से लेकर उल्लू तक ऐसा ही देखने को मिलता है. जिस तरह भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के वक्त जीव असामान्य व्यवहार करने लगते हैं, वैसा ही ग्रहण जैसी खगोलीय घटनाओं के दौरान भी देखा जाता है. वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि चंद्र ग्रहण के दौरान बत्तखों की दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं और तापमान बढ़ने के साथ उन्हें फीवर हो जाता है. कुछ स्तनपायी जीव जंतु अपने बच्चों को दूध पिलाना बंद कर देते हैं. कुछ सोने की स्थिति में चले जाते हैं. रात्रिचर पशु पक्षी भी भ्रम का शिकार हो जाते हैं.

दरअसल, चंद्रमा का पृथ्वी के ओर घूमने का चक्र जीव जंतुओं के व्यवहार को प्रभावित करता है. चांद का यह चक्कर 28 दिनों का होता है. इसमें चंद्रमा का आकार पूर्णिमा के बाद धीरे धीरे कम होता और फिर बड़ा आकार लेने लगता है. ये पूरा चक्र 28 दिनों में पूरा होता है. पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण, चुंबकीय क्षेत्र और रात में चंद्रमा के प्रकाश की तीव्रता में भी बदलाव आता है.

समुद्री जीव मूंगा पर असर
वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, पूर्ण चंद्रमा के आसपास जीव जंतुओं की बहुत सी प्रजातियां प्रजनन करती हैं, समुद्री जीव मूंगा इस दौरान लाखों शुक्राणुओं को प्रवाहित करता है. लेकिन चंद्र ग्रहण आने से जब चंद्रमा नहीं दिकता तो उनकी इस जैविक प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है.

चंद्र ग्रहण में भी खुले रहते हैं महाकाल समेत इन बड़े मंदिरों के दरवाजे, सूतक काल मान्य नहीं

मकड़ी तोड़ देती हैं अपना जाल
Science Alert की रिपोर्ट के अनुसार, मकड़ी भी ग्रहण के दौरान भ्रम में पड़ जाती हैं. बेचैनी के बीच मकड़ी अपने ही बुना जाला तोड़ देती हैं. ग्रहण खत्म हो जाने के बाद मकड़ियां फिर से नया मकड़जाल बनाकर उसे बुनना शुरू कर देती हैं. समुद्र में मछलियों का व्यवहार भी ग्रहण के दौरान बदल जाता है. चमगादड़ों को भी अंधेरे का अहसास हो जाता है और वो खुले स्थानों की ओर उड़ना शुरू कर शिकार तलाशने लगते हैं.

चंद्र ग्रहण का असर
बंदरों की एक प्रजाति जो रात में जागकर उत्पात मचाने के लिए जानी जाती है, वो चंद्र ग्रहण के दौरान भयभीत हो जाती है, पेड़ पौधों और जंगलों में वो चुपचाप छिप जाते हैं. उल्लू बंदरों की इस प्रजाति का अध्ययन कर ये पाया गया. ऐसा व्यवहार मछलियों और पक्षियों का भी हो जाता है, वो दिन भर जहां आमतौर पर सक्रिय रहते हैं, ग्रहण के दौरान वो अपने घरों की ओर लौटने लगते हैं. चमगादड़ को लगता है कि रात हो गई और वो उड़ना शुरू कर देते हैं.

Chandra Grahan 2025: सितंबर में 7–8 की रात ग्रहण आखिर क्यों इन 5 राशियों को कर रहा है सावधान?

क्यों लगता है चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण कब होता है, ये भी जानिए. चंद्रमा जब पृथ्वी के चारों ओर घूमने के दौरान सूरज के साथ एक सीध में आ जाता है. यानी धरती सूर्य और चंद्रमा के मध्य में आ जाती है और चांद पर पहुंचने वाली सूर्य की रोशनी रुक जाती है , तब चंद्रमा की रोशनी कम होने लगती है और वो खून की तरह लाल दिखने लगता है. इसे ब्लड मून भी कहा जाता है. चांद का ऐसा रंग देखकर रात्रिचर जीवों में असामान्य व्यवहार देखा जाता है.

सूर्य ग्रहण का भी पड़ता है असर
सूर्य ग्रहण जैसी खगोलीय घटना के दौरान भी जानवरों का व्यवहार बदल जाता है. दिन में भोजन तलाशने वाले या शिकार करने वाले जीव अपने बिल या मांद की ओर जाने लगते हैं. रात्रिचर पक्षियों को भी अंधेरे का अहसास होने लगता है और वो घोसले में लौटने लगते हैं. हाथी-हिरण से लेकर हिप्पो तक ग्रहण के दौरान बेचैन देखे जाते हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com