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Chandra Grahan: महाकाल समेत इन बड़े मंदिरों के दरवाजे चंद्र ग्रहण में भी खुले, सूतक काल मान्य नहीं

Lunar Eclipse Timing Today: चंद्र ग्रहण के दौरान अयोध्या राम मंदिर, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे बड़े मंदिरों में दर्शन को लेकर बदलाव किया गया है,लेकिन देश के कुछ प्राचीन मंदिर खुले रहेंगे.

Chandra Grahan: महाकाल समेत इन बड़े मंदिरों के दरवाजे चंद्र ग्रहण में भी खुले, सूतक काल मान्य नहीं
chandra garahan 2025
  • सूर्य और चंद्र ग्रहण में अधिकांश मंदिरों में सूतक काल के कारण कपाट बंद कर दर्शन बंद कर दिए जाते हैं
  • उज्जैन के महाकाल मंदिर में ग्रहण के समय भी कपाट बंद नहीं होते और पूजा अर्चना में केवल समय परिवर्तन होता है
  • लक्ष्मीनाथ मंदिर में चंद्र ग्रहण के दौरान भी कपाट बंद नहीं होते और सूतक काल को मान्यता नहीं दी जाती है
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नई दिल्ली:

Chandra Grahan Timing Sutak Kaal:  सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. सूतक काल से ही मंदिरों में दर्शन बंद कर दिया जाता है और ग्रहण खत्म होने के बाद ही भगवान के दर्शन की अनुमति दी जाती है. लेकिन देश के कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं. वहां भगवान का दर्शन भक्त नियमित तौर पर करते हैं. वहां सूतक काल को लेकर अलग ही मान्यता है. 7 सितंबर के चंद्रग्रहण के दौरान भी इन मंदिरों में दर्शन होते रहेंगे. चंद्र ग्रहण के करीब 9 घंटे पहले दोपहर 1 बजे से सूतक काल लग रहा है. सूतक काल के साथ ही राम मंदिर अयोध्या से लेकर मथुरा और काशी तक बड़े मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे. लेकिन उज्जैन के महाकाल मंदिर समेत कुछ अन्य मंदिरों में अलग मान्यता है.

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर
ग्रहण के वक्त भी उज्जैन का महाकाल मंदिर खुला रहेगा. ग्रहण के दौरान भी भक्त महाकाल के दर्शन कर सकते हैं. इस मंदिर के द्वार ग्रहण के दौरान बंद नहीं किए जाते. ग्रहण के वक्त पूजा अर्चना और आरती के समय में ही परिवर्तन होता है, जिसकी सूचना पहले ही दे दी गई है.

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बीकानेर का लक्ष्मीनाथ मंदिर
राजस्थान के बीकानेर जिले में लक्ष्मीनाथ मंदिर है. इस मंदिर के कपाट भी चंद्र ग्रहण के समय बंद नहीं किए जाते हैं. चंद्र ग्रहण का सूतक काल भी यहां नहीं माना जाता. मान्यता है कि एक बार ग्रहण के दौरान मंदिर के पुजारी ने भगवान की पूजा अर्चना और भोग के साथ आरती नहीं की थी. इसके बाद भगवान ने मंदिर के सामने हलवाई के सपने में आकर भूख लगने की बात कही थी. तब से किसी भी ग्रहण पर यहां मंदिरों के कपाट दर्शन के लिए बंद नहीं होते.

केरल का श्री कृष्ण मंदिर
केरल का थिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर कोट्टायम इलाके में है. कहा जाता है कि यहां भूख से कान्हा की चार हाथों वाली मूर्ति दुबली हो जाती है. मंदिर में भगवान को दस बार भोग लगाया जाता है. श्रीकृष्ण को भूख सहन नहीं होती है. यहां भी सूर्य ग्रहण के दौरान एक बार कपाट बंद होने पर भगवान की कमरपेटी ढीली होकर गिर गई थी. तब से परंपरा चली आ रही है कि ग्रहण में मंदिर के दरवाजे बंद नहीं किए जाएंगे.

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गयाजी का विष्णुपाद मंदिर
पिंडदान के लिए प्रसिद्धगयाजी में विष्णुपाद मंदिर काफी प्रसिद्ध है. सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण ये मंदिर हमेशा खुला रहता है. ग्रहण के दौरान पिंडदान करने को यहां शुभ कार्य माना जाता है.

काशी विश्वनाथ मंदिर में अलग मान्यता
काशी विश्वनाथ मंदिर से मिली जानकारी के मुताबिक मंदिर चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण के करीब 2.5 घंटे पहले ही मंदिर के कपाट बंद दर्शन के लिए बंद होते हैं. पूरे सूतक काल के लिए मंदिर बंद नहीं होगा. शिव स्वरूप काशी विश्वनाथ तीन लोक के स्वामी हैं. सुर-असुर, यक्ष, गंधर्व, किन्नर के पालक हैं. ऐसे में सूतक का प्रभाव उन पर नहीं होता है. ग्रहण वाले दिन बाबा विश्वनाथ की संध्या आरती शाम 4 से 5 बजे तक होगी. शृंगार भोग आरती 5:30 से 6:30 बजे तक चलेगी. शयन आरती शाम 7 से 7:30 बजे तक होगी. फिर शयन आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद होंगे.

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