Chaitra Navratri 2023: आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. मान्यतानुसार यह दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है. इस दिन पूरे विधि-विधान से माता रानी की पूजा की जाती है और माना जाता है कि जो भक्त पूरे श्रद्धाभाव से मैया का पूजन करते हैं उन्हें माता की विशेष कृपा मिलती है. मां ब्रह्मचारिणी (Ma Brahmacharini) को तपश्चारिणी भी कहा जाता है क्योंकि हजारों वर्षों तक वे कठिन तपस्या करती रही थीं. इसके अतिरिक्त, माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से संयम और त्यागभावना आती है. यहां जानिए मान्यताओं के आधार पर किस तरह मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है और माता को प्रसन्न करने के लिए भक्त किस रंग के वस्त्र धारण करते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा | Maa Brahmacharini Puja
विधिवित मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. आज 23 मार्च, चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा का उत्तम मुहुर्त सुबह 6 बजकर 22 मिनट से सुबह 7 बजकर 54 मिनट तक माना जा रहा है. इसके अलावा पूजा का उन्नति मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से 1 बजकर 59 मिनट तक है. वहीं, आज सर्वाद्ध सिद्ध योग पूरे दिन रहने वाला है.
- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सुबह-सवेरे उठकर निवृत्त हुआ जाता है. इसके पश्चात स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं.
- मान्यतानुसार भक्त मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए लाल, पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करते हैं. माना जाता है कि लाल रंग माता का प्रिय रंग है. वहीं, पीला और सफेद रंग अधिकतर तपस्वी पहनते हैं.
- अब भक्त व्रत का संकल्प लेते हैं.
- व्रती भक्त माता रानी की पूजा के लिए पूजाघर साफ करते हैं और जोत जलाते हैं.
- पूजा में मां को उनकी पसंद की चीजें अर्पित की जाती हैं. इन चीजों में अधिकर सफेद वस्तुएं होती हैं. कहते हैं इससे भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस चलते मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग (Bhog) लगाया जाता है और इसी का वितरण प्रसाद के रूप में भी होता है.
- भक्त 'ऊं ऐं नम:' मंत्र का 108 बार जाप करते हैं. इसे बेहद शुभ माना जाता है और कहते हैं कि इससे मां भक्तों की सभी इच्छाएं सुनती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप तपस्या करने वाली स्त्री जैसा है. मां अत्यधिक श्वेत वस्त्र धारण किए नजर आती हैं, उनके हाथों में अष्टदल की माला और एक हाथ में कमंडल नजर आते हैं. मां ज्ञान और तंत्र से पूर्ण और सर्वज्ञ हैं. माता की पूजा (Brahmacharini Puja) करने पर भक्तों को लंबी आयु, सौभाग्य, आरोग्य और आत्मविश्वास के साथ-साथ अभय की प्राप्ति होती है.
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता,
जय चतुरानन प्रिया सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाते हो,
ज्ञान सभी को सिखाते हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा,
जिसको जपे सकल संसार।
जय गायत्री वेद की माता,
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहाणे न पाए,
कोई भी दुख सहने ना पाए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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