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This Article is From Jan 15, 2023

भगवान को भोग लगाते समय ध्यान रखें इन बातों का ताकि ईश्वर रहें प्रसन्न और फल मिले दोगुना !

bhog lagane ke niyam : सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के बाद, किसी दिन, किस भगवान को कौन सा प्रसाद चढ़ाया जाना है, सबके लिए कुछ अलग अलग तरीके माने जाते हैं. ये भी मान्यता है कि भोग अर्पित करते समय उन नियमों का ध्यान भी रखा जाना चाहिए.

भगवान को भोग लगाते समय ध्यान रखें इन बातों का ताकि ईश्वर रहें प्रसन्न और फल मिले दोगुना !
Prasad niyam : ये भी मान्यता है कि भोग अर्पित करते समय उन नियमों का ध्यान भी रखा जाना चाहिए. 

Bhagwan ka bhog : घर में पूजा पाठ करते वक्त अधिकांश लोग भगवान को भोग लगाते हैं. कोई खास अवसर, त्यौहार या पर्व होने पर घर में खास पकवान बनते हैं. भगवान को इन पकवानों का भोग भी लगाया जाता है.  ये अमूमन हर घर में होता है. लेकिन कई लोग ये नहीं जानते कि प्रसाद चढ़ाने के भी कई नियम कायदे माने जाते हैं. सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के बाद, किसी दिन, किस भगवान को कौन सा प्रसाद चढ़ाया जाना है, सबके लिए कुछ अलग अलग तरीके माने जाते हैं. ये भी मान्यता है कि भोग अर्पित करते समय उन नियमों का ध्यान भी रखा जाना चाहिए. 

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प्रिय प्रसाद का रखें ध्यान


ऐसा माना जाता है कि हर देवता का एक प्रिय प्रसाद है. पूजा करते समय उसी तरह के प्रसाद चढ़ाए जाने चाहिए. ये भी मान्यता है कि त्रिदेव में शामिल भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी और शिवजी को अलग अलग तरह के प्रसाद पसंद हैं. उनकी पूजा करते समय उसी अनुसार भोग लगाना चाहिए.

विष्णु जी का प्रिय भोग


भगवान विष्णु का प्रिय भोग खीर या सूजी का हलवा माना जाता है. ये भी मान्यता है कि इस प्रसाद पर तुलसी का पत्ता रख कर चढ़ाने के से ही भगवान भोग ग्रहण करते हैं. माता लक्ष्मी को भी यही भोग प्रिय माने जाते हैं

शिवजी का प्रिय भोग


भगवान शिव का प्रिय भोग भांग, धतुरा, पंचामृत माना जाता है. आप इसके साथ कुछ मीठा भोग भी भगवान को अर्पित कर सकते हैं. माता पार्वती को खीर का भोग चढ़ाना अच्छा माना जाता है.

सात्विक हो प्रसाद


ये भी कहा जाता है कि भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद पूरी तरह साफ, शुद्ध और सात्विक होना चाहिए. जो भी पकवान भगवान को अर्पित करने हैं उन्हें साफ-सफाई से बनाकर, साफ प्लेट या कटोरी में रखा जाना चाहिए.

न चढ़ाएं जूठा भोग


भगवान को जूठा भोग भी न चढ़ने की मनाही है. बड़े बुजुर्ग हमेशा यही सीख देते रहे हैं कि भगवान को भोग लगाने से पहले भोग को जूठा नहीं करना चाहिए. इसलिए कहा जाता है कि भोग में चढ़ाई जाने वाली वस्तु पहले अलग निकाल कर रख दी जाए. इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि भोग अर्पित करने के बाद ही उस सबको मिल बांट कर खा लेना चाहिए.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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