Prasad offering rules : सनातन धर्म में भगवान की पूजा (Puja) अर्चना करते वक्त भगवान को नेवैद्य यानी भोग ( bhagwan ka bog) लगाने की परंपरा चली आ रही है. अपने आराध्य को उनका मनचाहा भोग लगाकर भक्त भगवान को प्रसन्न करते हैं. खासकर तीज-त्योहार और घर में होने वाले मांगलिक कार्यक्रमों के दौरान भगवान को विशेष पकवानों के भोग लगाए जाते हैं. लेकिन कई लोग भोग लगाने का महत्व और इसके नियम पूरी तरह नहीं जानते हैं, इसलिए यह जानना जरूरी है कि भगवान को अर्पित किए जा रहे भोग को लेकर सही नियम क्या हैं. माना जाता है कि इन नियमों (Prasad offering rules) का पालन करके ही आपका भोग स्वीकार्य स्थिति में आएगा और भगवान प्रसन्न होंगे. कई बार अनजाने में भोग लगाते वक्त ऐसी गलतियां हो जाती हैं कि भोग का फल व्यर्थ चला जाता है.
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चलिए जानते हैं कि भगवान को भोग लगाते समय किन बातों का खास ध्यान रखा जाना चाहिए.
भोग का समय - भोग के समय का खास ध्यान रखना चाहिए. जिस वक्त पूजा कर रहे हैं, उस वक्त भोग लगाना चाहिए. इसके लिए घर के सभी लोगों को साथ होना चाहिए. भोग लगाने के बाद भगवान के सामने कुछ देर तक उस भोग को रखें और फिर पूजा के बाद सभी लोगों में बांट देना चाहिए.
भोग लगाने का पात्र - भगवान को भोग लगाने का पात्र सोना, चांदी, तांबा, पीतल, मिट्टी या भी लकड़ी का होना चाहिए. स्टील या प्लास्टिक के बर्तन में भगवान के समक्ष नेवैद्य रखने में परहेज करना चाहिए क्योंकि ये शुद्ध पात्र नहीं माने जाते हैं. इतना ही नहीं टूटे बर्तन में भी भोग नहीं लगाना चाहिए.
जूठा भोग ना लगाएं - कई बार भोग लगाने वाले प्रसाद में से ही लोग खाना शुरू करदेते हैं. भगवान को जूठा भोग नहीं लगाना चाहिए. अगर घर में ज्यादा लोग हैं और भोजन को लेकर चिंता है तो पहले ही एक बर्तन में भगवान के लिए भोग निकाल कर अलग रख दें और फिर बाकी का खाना लोग खा सकते हैं, इसलिए जूठे भोग को शास्त्रों में बहुत अशुभ बताया गया है.
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सात्विक भोग लगाएं - भोग में तामसिक पदार्थ शामिल नहीं करने चाहिए. आप भले ही लहसुन, प्याज आदि खाते हों, लेकिन अगर भगवान को भोग अर्पण कर रहे हैं तो इस भोग में प्याज लहसुन आदि नहीं होना चाहिए. भगवान को साफ सुथरा, ताजा और सात्विक भोजन ही अर्पित करना चाहिए.
प्रसाद को बांटना है शुभ - कई बार प्रसाद कुछ ही लोग खा जाते हैं, लेकिन ये गलत है, पूजा के बाद प्रसाद यानी भोग को ज्यादा से ज्यादा लोगों में बांटना चाहिए. चाहे किसी के पास एक तिनका ही आए, लेकिन प्रसाद जितना बांटा जाता है, उतना ही घर वालों के लिए लाभकारी और तरक्की देने वाला होता है.
प्रसाद को व्यर्थ नहीं करना चाहिए - कई बार भोग लगाने के बाद प्रसाद यूं ही मंदिर में रखा रह जाता है. ऐसा नहीं करना चाहिए. भोग लगाने के कुछ देर बार प्रसाद बांटकर खा लेना चाहिए. इससे प्रसाद का फल मिलेगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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