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This Article is From Aug 19, 2022

Bhadrapada Amavsya 2022: पितर देव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन करें पिंडदान, मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद

Bhadrapada Amavsya 2022: भाद्रपद मास की अमावस्या पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए बेहद खास माना गया है. मान्यता है कि इस दिन पितरों निमित्त पिंडदान करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Bhadrapada Amavsya 2022: पितर देव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन करें पिंडदान, मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद
Bhadrapada Amavsya 2022: भाद्रपद मास की अमावस्या इस दिन पड़ रही है.

Bhadrapada Amavsya 2022, Pitra Shanti Upay : सनातन धर्म में हर तिथि का विशेष महत्व है. अमवस्या तिथि (Bhadrapada Amavsya Date 2022) पतरों को समर्पित माना गया है. भाद्रपद मास की अमावस्या 27 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है. ऐसे में इस दिन पितर के साथ-साथ शनि देव (Shani Dev) की भी पूजा की जाएगी. मान्यता है कि इस दिन पितर और शनि देव की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. दरअसल शास्त्रों के मुताबिक अमावस्या (Amavasya 2022) तिथि को पितरों की आत्मा की शांति, दान-पुण्य और कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosha) निवारण के लिए खास माना जाता है. आइए जानते हैं भाद्रपद अमावस्या (Bhadrapada Amavsya) कब है, इस दिन शुभ योग कौन सा है और पितरों की आत्मी की शांति के लिए क्या करना अच्छा होता है. 

भाद्रपद अमावस्या 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त | Bhadrapada Amavsya 2022 Date Shubh Muhurat

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 26 अगस्त, शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू हो रही है. जबकि इस तिथि की समाप्ति 27 अगस्त, शनिवार को दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर होगी. ऐसे में उदया तिथी की मान्यता के अनुसार भाद्रपद की अमावस्या 27 अगस्त, शनिवार को है. धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन पीपल की पूजा होती है. मान्यतानुसार इस दिन पीपल और शनि देव की पूजा करने से पितृदेव और शनि देव दोनों ही प्रसन्न होते हैं.

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भाद्रपद अमावस्या 2022 शुभ योग | Bhadrapada Amavsya 2022 Shubh Yog

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार भाद्रपद अमावस्या के दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है. शिव योग 27 अगस्त को सुबह से लेकर 28 अगस्त की सुबह तक रहेगा. कहा जाता है कि शिव योग में किए गए कार्य शुभ फलदायी होते हैं. वहीं दिन शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है. इसके अलावा इस दिन राहु काल सुबह 9 बजकर 09 मिनट से सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. 

पितरों की शांति के लिए किया जाता है पिंडदान | Bhadrapada Amavsya Pind Daan For Pitra Shanti

अमावस्या का दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए बेहद खास माना गया है. यही कारण है कि लोग अमावस्या के दिन पितरों की आत्मशांति के लिए किसी पवित्र नदी के किनारे पिंडदान और दान करते हैं. माना जाता है अमावस्या के दिन ऐसा करने से पितृ दोष का निवारण होता है. साथ ही पितरों को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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