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This Article is From Aug 19, 2022

Janmashtami 2022 Bhog: जन्माष्टमी पर कान्हा जी को लगाएं 56 भोग, यहां जानें छप्पन पकवान की पूरी लिस्ट

Janmashtami 2022 Bhog: जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा बेहद पुरानी है. माना जाता है कि भगवान को छप्पन भोग लगाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है.

Janmashtami 2022 Bhog: जन्माष्टमी पर कान्हा जी को लगाएं 56 भोग, यहां जानें छप्पन पकवान की पूरी लिस्ट
Janmashtami 2022 Bhog: जन्माष्टमी पर जानिए, छप्पन भोग में कौन-कौन से पकवान आते हैं.

Krishna Janmashtami 2022 Bhog: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि आज है. ऐसें में पूरे भारत में आज जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. धार्मिक मान्यता है भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को ही भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था, इसलिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन कान्या जी का विशेष श्रृंगार किया जाता है. साथ ही उन्हें 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है. 56 भोग में लड्डू गोपाल के कई व्यंजनों को शामिल किया गया है. आइए जानते हैं श्रीकृष्ण को लगाए जाने वाले 56 प्रकार के भोग और उसकी परंपरा के बारे में.


 

ये हैं 56 भोग पकवान

चोला, जलेबी, दही, मक्खन, मलाई, मेसू, रसगुल्ला, पगी, महारायता

सिखरन, शरबत, बालका (बाटी), इक्षु, बटक,  मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, मठरी

फेनी, पूड़ी, खजला, घेवर, मालपुआ,  थूली, लौंगपुरी, खुरमा, दलिया, परिखा, सौंफ युक्त बिलसारू

लड्डू, साग, अधौना अचार, मोठ, खीर, भात, सूप, चटनी, कढ़ी, दही शाक की कढ़ी,  रबड़ी, पापड़

गाय का घी, सीरा, लस्सी, सुवत, मोहन, सुपारी, इलायची, फल, तांबूल, कटु, अम्ल, तांबूल, लसिका

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ऐसे शुरू हुई कान्हा को 56 भोग लगाने की परंपरा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता यशोदा कान्हा जी को बचपन में दिन में 8 बार भोजन कराती थीं. कहते हैं कि एक बार गांव में अच्छी बारिश की इच्छा पूर्ति के लिए नंद बाबा और सभी ग्रामीण मिलकर इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ का आयोजन किए. कान्हा जी को भी को इस आयोजन का ज्ञात हुआ तो उन्होंने कहा कि बारिश के लिए पूजा करनी है तो इंद्रदेव की नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत की आराधना करें. इससे फल-सब्जियां प्राप्त होती हैं और पशुओं को चारा भी प्राप्त होगा.

बिना भोजन के 7 दिन तक रहे कान्हा जी

कान्हा जी के कहने पर नंद बाबा सहित सभी मिलकर इंद्रदेव की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. कहते हैं कि इंद्र देव ने गुस्से में आकर बारिश कर दी. जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो गया. तब कृष्ण जी ने अपनी एक उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सबकी रक्षा की. कहा जाता है कि सात दिन तक कान्हा बिना खाए इसी अवस्था में रहे. इसके बाद माता यशोदा और सभी गांववालों ने बाल गोपाल के लिए सात दिन और आठ प्रहर के हिसाब से छप्पन में कई पकवान बनाकर उन्हें खिलाए. कहते हैं कि तभी से कान्हा को 56 भोग लगाने की परंपरा चली आ रही है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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