
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भाई बहन के बीच की प्यार भरी बॉन्डिंग को मजबूत करने का भी एक जरिया है. इस दिन बहनें न सिर्फ अपने भाई की कलाई पर राखी (Rakhi Bandhane Ke Niyam) बांधती हैं, बल्कि दिल से दुआ भी करती हैं, भाई की सुरक्षा की, सफलता की और सुख-शांति की. इस बार रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 (Rakshabandhan Ka Shubh Muhurt) को मनाया जाएगा, श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि पर. इस दिन का ज्योतिषीय महत्व भी खास बताया जा रहा है.
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जानी-मानी एस्ट्रोलॉजर और स्पिरिचुअल गाइड डॉ. जय मदान के अनुसार, रक्षाबंधन 2025 का दिन ज्योतिषीय रूप से बेहद शुभ है. इस दिन ग्रहों की स्थिति भाई-बहन के रिश्ते में सुरक्षा और बदलाव की दिशा में एक पॉजीटिव कदम बन सकती है.
जय मदान की खास सलाह | Raksha Bandhan Tips From Jai Madan
ग्रहों का प्रभाव
इस दिन चंद्रमा कुंभ राशि में रहेगा, जो भावनात्मक संतुलन और ऊंचे आदर्शों को दर्शाता है. वहीं, मंगल मिथुन राशि में स्थित होगा, जो रिश्तों में क्लियरिटी और सुरक्षा की भावना को बढ़ाता है. यानी ये समय भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए सबसे अच्छा समय है.
राखी बांधते समय कौन-सी दिशा है शुभ?
डॉ. मदान बताती हैं कि राखी बांधते समय भाई और बहन दोनों को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) की ओर मुख करके बैठना चाहिए. ये दिशा देवताओं की मानी जाती है और पूरे ब्रह्मांड की एनर्जी का मुख्य सोर्स मानी जाती है. इस दिशा में राखी बांधने से रिश्ते में पॉजीटिव एनर्जी और आशीर्वाद कई गुना बढ़ जाते हैं.

भाई के लिए कौन सा तिलक है सबसे शुभ?
राखी के साथ तिलक भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. डॉ. मदान के अनुसार हर तिलक का एक ग्रह से संबंध होता है और उसका सही तरीके से उपयोग करने से भाई के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं.
- लाल सिंदूर (अंगूठे से लगाएं): मंगल ग्रह का प्रतीक, साहस और पहल की भावना जगाता है.
- केसरी तिलक (तर्जनी अंगुली से लगाएं): बृहस्पति ग्रह को सक्रिय करता है, बुद्धिमत्ता और स्थिरता लाता है.
- चंदन तिलक (अनामिका से लगाएं): चंद्रमा का प्रतीक, मन को शांति और रिश्तों में तालमेल रखने की ताकत देता है.
- हर उंगली और हर तिलक का अपना ग्रहों से जुड़ा कम्पन होता है, जो सही विधि से लगाने पर भाई को उसी प्रकार का आशीर्वाद देता है.
थाली में दुर्वा क्यों रखें?
बहुत से लोग राखी की थाली में दुर्वा घास रखना भूल जाते हैं. लेकिन डॉ. जय मदान इसके महत्व पर जोर देती हैं. दुर्वा को भगवान गणेश से जोड़ा जाता है. जो नई शुरुआत, बुद्धिमत्ता और विघ्नों को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं. थाली में दुर्वा रखने से भाई के जीवन में स्टेबिलिटी आती है और सफलता के रास्ते खुलते हैं.
2025 का रक्षाबंधन क्यों है विशेष?
डॉ. मदान के अनुसार इस वर्ष ग्रहों का तालमेल बेहद शुभ संकेत दे रहा है
- चंद्रमा कुंभ में: भावनात्मक जिम्मेदारी और कलेक्टिव सपोर्ट को बढ़ावा.
- मंगल मिथुन में: निर्णय लेने की क्षमता और बाहरी खतरे से सुरक्षा.
- बुध सिंह में: बेहतर संवाद, खासकर उन भाई-बहनों के लिए जो कुछ समय से दूर हैं या मनमुटाव हुआ है.
- गुरु वृषभ में: आर्थिक समृद्धि और पारिवारिक स्थिरता का आशीर्वाद.
इन ग्रहों की स्थिति मिलकर एक ऐसा माहौल बनाती है जहां रक्षा की भावना और दिल का रिश्ता दोनों मजबूत होते हैं. ये नक्षत्र बना सकते हैं राखी को और भी असरदार. अगर राखी इन नक्षत्रों में बांधी जाए, तो उसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है:
- पूर्वा फाल्गुनी – आनंद, पारिवारिक सुरक्षा और उत्सव का प्रतीक.
- उत्तर फाल्गुनी – वचनबद्धता और सच्चे रिश्तों की मजबूती.
- हस्त नक्षत्र – देखभाल, उपचार और भावनात्मक समझ का भाव.
इन शुभ नक्षत्रों में बांधी गई राखी सिर्फ धागा नहीं होती, बल्कि सालभर चलने वाला एक वादा बन जाती है.
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